
नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा में एक चौंकाने वाला प्रस्ताव सामने आया, जिसने देश में मुफ्त सुविधाओं पर जारी बहस को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया। जेडीएस विधायक एमटी कृष्णप्पा ने सुझाव दिया है कि अगर राज्य सरकार महिलाओं को हर महीने दो हजार रुपये और मुफ्त बस यात्रा की सुविधा दे सकती है, तो पुरुषों को भी कुछ दिया जाना चाहिए- जैसे हर हफ्ते दो बोतल मुफ्त शराब! उनके इस बयान के बाद विधानसभा में हंगामा शुरू हो गया और राज्य की वित्तीय नीतियों पर तीखी बहस छिड़ गई।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, चल रहे विधानसभा सत्र के दौरान जेडीएस विधायक एमटी कृष्णप्पा ने सुझाव दिया कि सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को पुरुषों को प्रति सप्ताह दो मुफ्त शराब की बोतलें वितरित करनी चाहिए। मंत्री ने तर्क दिया कि चूंकि पुरुषों को वित्तीय सहायता नहीं दी जा सकती, इसलिए सरकार को शराब पीने वालों को शराब की बोतलें उपलब्ध करानी चाहिए।
जेडीएस विधायक के हवाले से अखबार ने लिखा है, “आप महिलाओं को 2,000 रुपये प्रति माह, मुफ्त बिजली और मुफ्त बस यात्रा दे रहे हैं। वैसे भी यह हमारा पैसा है। इसलिए, जो लोग शराब पीते हैं, उन्हें हर हफ्ते दो बोतल शराब मुफ्त दें। उन्हें पीने दें। हम पुरुषों को हर महीने पैसे कैसे दे सकते हैं? इसके बजाय, उन्हें कुछ दें, सप्ताह में दो बोतलें। इसमें गलत क्या है? सरकार समितियों के माध्यम से यह प्रदान कर सकती है।”
विधायक कथित तौर पर कर्नाटक के आबकारी राजस्व लक्ष्य को 36,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये करने पर टिप्पणी कर रहे थे। कांग्रेस नेताओं का जवाब कट्टापन के सुझाव की अधिकांश कांग्रेस नेताओं ने तीखी आलोचना की, जिसमें ऊर्जा मंत्री केजे जॉर्ज भी शामिल थे। उन्होंने प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा, “आप चुनाव जीतते हैं, सरकार बनाते हैं और ऐसा प्रस्ताव रखते हैं। दूसरी ओर, हम लोगों को कम शराब पीने के लिए प्रेरित करने की कोशिश कर रहे हैं।”
विधानसभा के स्पीकर स्पीकर यूटी खादर ने भी इस विचार का विरोध किया। उन्होंने कहा, “दो बोतलें दिए बिना, हम पहले से ही संघर्ष कर रहे हैं। अगर हम मुफ्त में शराब देंगे तो क्या होगा?” कर्नाटक बजट 2025-26 कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 7 मार्च को पेश किया था। बजट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अनुमानित कुल व्यय 4,09,549 करोड़ रुपये है जिसमें 3,11,739 करोड़ रुपये का राजस्व व्यय, 71,336 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय और 26,474 करोड़ रुपये की ऋण चुकौती शामिल है।