‘और लड़ो आपस में…’, दिल्ली विधानसभा चुनाव के रुझानों पर जानिए किसने क्या कहा

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नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा चुनाव के रुझानों में भाजपा को बहुमत मिल गया है। दिल्ली, आम आदमी पार्टी का गढ़ रही है, ऐसे में अगर दिल्ली में आम आदमी पार्टी का किला ढहता है तो यह अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी की राजनीति के लिए तगड़ा झटका कहा जाएगा। दिल्ली चुनाव के नतीजों पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई हैं। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बड़ी ही दिलचस्प प्रतिक्रिया दी है। उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि ‘और लड़ो आपस में!’ साथ ही उमर अब्दुल्ला ने एक जीआईएफ भी साझा किया है, जिसमें लिखा है कि ‘जी भर कर लड़ो, समाप्त कर दो एक दूसरे को!’

माना जा रहा है कि उमर अब्दुल्ला ने दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन के बजाय अलग-अलग चुनाव लड़ने पर तंज कसा है। दोनों ही पार्टियां INDI गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और प्रचार के दौरान एक दूसरे पर जमकर तीखा हमला भी बोला। 

संजय राउत बोले- भाजपा की हार तय थी, अगर….
दिल्ली चुनाव के रुझानों पर शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने कहा कि ‘शुरुआती रुझानों में कड़ा मुकाबला दिखा। अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा होता तो नतीजें अलग हो सकते थे? कांग्रेस और आप की विरोधी पार्टी भाजपा है। दोनों ने भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन ये लड़ाई अलग-अलग लड़ी, अगर वे साथ होते तो भाजपा की हार तय थी।’ 

‘दिल्ली की जनता प्रयोग की राजनीति से थके’
भाजपा के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने दिल्ली चुनाव के रुझानों पर कहा कि ‘हम अभी अंतिम नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। हमें लगता है कि अंतिम नतीजे और भी बेहतर होंगे। इससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री मोदी के वादों में लोगों का विश्वास है। ये हमारे लिए सकारात्मक नतीजे हैं। दिल्ली के लोग प्रयोग की राजनीति से थक चुके थे।’

‘अरविंद केजरीवाल अपनी छवि को बेदाग नहीं रख सके’
दिल्ली चुनाव के रुझानों पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि ‘मैं लंबे समय से कह रहा हूं कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार का चरित्र अच्छा होना चाहिए और उसके पास अच्छे विचार हों और उसकी छवि बेदाग हो, लेकिन आप ऐसा नहीं कर सकी। वे शराब और पैसे के फंदे में फंस गए। उनकी (अरविंद केजरीवाल) छवि पर दाग लगे हैं  और इसी वजह से उन्हें कम वोट मिले। लोगों ने देखा कि जो अरविंद केजरीवाल चरित्र की बात करते थे, उन पर शराब घोटाले के आरोप लगे। राजनीति में आरोप लगते हैं। लोगों को साबित करना होता है कि वे बेदाग हैं और सच्चाई हमेशा सच्चाई रहती है। मैंने पहले ही तय किया था कि मैं राजनीति में नहीं आऊंगा और मैं अभी भी उस पर कायम हूं।’