नई दिल्ली। टाटा समूह के दिग्गज दिवंगत रतन टाटा की वसीयत एक बार फिर सुर्खियों में है। उनके वसीयत में शामिल एक नाम ने टाटा परिवार के अलावे पूरे कारोबार जगत को चौंका दिया है। वह नाम है जमशेदपुर के एक करोबारी मोहिनी मोहन दत्ता का। मामले की जानकारी रखने वाले परिवार के लोगों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रतन टाटा ने अपनी वसीयत में करीब 500 करोड़ रुपये उनके नाम करने की बात कही है। कौन हैं मोहिनी मोहन दत्ता, रतन टाटा से उनका क्या नाता रहा, रतन टाटा की वसीयत में उनका नाम क्यों है, आइए जानते हैं हर सवाल का जवाब।
मोहिनी मोहन दत्ता जिनकी उम्र फिलहाल 80 साल से अधिक है पहली बार रतन टाटा से 1960 के दशक में मिले। उस समय 24 साल की उम्र में रतन टाटा ने टाटा स्टील में काम शुरू किया था। उसी दौरान डीलर्स होस्टल में उनकी मुलाकात दत्ता से हुई। इस मुलाकात ने आने वाले वर्षों में दत्ता की जिंदगी पूरी तरह से बदल दी। अक्तूबर 2024 में रतन टाटा के निधन के बाद दत्ता ने उन्हें याद कर बताया, “हम पहली बार जमशेदपुर के डीलर्स हॉस्टल में मिले। तब रतन टाटा की उम्र महज 24 साल थी। उन्होंने मेरी मदद की और असल में मुझे तैयार किया।” शुरुआत दिनों की यह जान-पहचान रतन टाटा और मोहिनी मोहन दत्ता दोनों के लिए पूरे जीवनकाल के लिए सार्थक जुड़ाव में बदल गया।
दत्ता ने अपना करियर ताज ग्रुप के साथ शुरू किया और फिर उन्होंने अपना खुद का उद्यम, स्टैलियन ट्रैवल एजेंसी शुरू की। इसका 2013 में ताज ग्रुप ऑफ होटल्स के एक विभाग, ताज सर्विसेज के साथ विलय हो गया। उनके पास व्यवसाय में 80% हिस्सेदारी थी, जबकि शेष हिस्सा टाटा इंडस्ट्रीज के पास था। आगे चलकर एजेंसी का ताज के ट्रैवल डिवीजन के साथ विलय कर दिया गया, जिसका बाद में टाटा कैपिटल ने अधिग्रहण किया। बाद में इसे थॉमस कुक (इंडिया) को बेच दिया गया। अब टीसी ट्रैवल सर्विसेज़ के रूप में काम करते हुए, दत्ता निदेशक बने हुए हैं। उनके पास टाटा समूह की कंपनियों में भी शेयर हैं, जिनमें जल्द ही सूचीबद्ध होने वाली टाटा कैपिटल भी शामिल है।