नईदिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष डॉकिंग परीक्षण के लिए काउंटडाउन रविवार शाम को शुरू हो गया। यह परीक्षण सोमवार को पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के साथ लॉन्च होगा। यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इस मिशन में अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का परीक्षण किया जाएगा। इस उपलब्धि को हासिल करने वाला भारत चीन, रूस और अमेरिका के बाद चौथा देश होगा।
इसरो ने पीएसएलवी-सी60 के लॉन्च का समय सोमवार (30 दिसंबर) की रात 9.58 तय किया है। रॉकेट में स्पेडेक्स मिशन के तहत दो उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। इसके साथ 24 अन्य पेलोड भी होंगे। इसरो के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि पीएसएलवी/स्पेडेक्स मिशन का काउंटडाउन आज रात नौ बजे शुरू हुआ।
इन-स्पेस डॉकिंग तकनीक अंतरिक्ष में भारत की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक होगी, जिसमें चंद्रमा पर मानव को भेजना, वहां से नमूने लाना और भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण और संचालन भी शामिल है।
डॉकिंग तकनीक का उपयोग तब भी किया जाएगा जब सामान्य मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च की योजना बनाई जाएगी।
इन उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करेगा प्रमुख रॉकेट
इसरो ने कहा कि इस मिशन के तहत इसरो का प्रमुख रॉकेट ‘पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल’ (पीएसएलवी) दो उपग्रहों एसडीएक्स01 और एसडीएक्स02 को एक कक्षा (ऑर्बिट) में स्थापित करेगा जो उन्हें एक दूसरे से 5 किलोमीटर दूर रखेगा। बाद में, इसरो मुख्यालय के वैज्ञानिक उन्हें 3 मीटर तक करीब लाने की कोशिश करेंगे, जो बाद में उन्हें पृथ्वी से लगभग 470 किमी की ऊंचाई पर एक साथ विलय करने के लिए प्रेरित करेगा। इसरो के अधिकारियों ने कहा कि यह प्रक्रिया सोमवार को निर्धारित प्रक्षेपण के लगभग 10-14 दिन बाद होने की उम्मीद है।
स्पाडेक्स मिशन में, अंतरिक्ष यान ए में एक उच्च रिजॉल्यूशन कैमरा है, जबकि अंतरिक्ष यान बी में लघु मल्टीस्पेक्ट्रल पेलोड और एक विकिरण मॉनिटर पेलोड है। ये पेलोड उच्च रिजॉल्यूशन वाली छवियां, प्राकृतिक संसाधन निगरानी, वनस्पति अध्ययन आदि प्रदान करेंगे।
पीओईएम-4 मिशन
इस महत्वपूर्ण मिशन के अलावा, पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्पेरिमेंटल मॉड्यूल-4(पीओईएम-4) मिशन भी किया जाएगा। इसमें 24 पेलोड (इसमें इसरो के 14 और उद्योग व अकादमिक संस्थाओं के 10 पेलोड शामिल) को एक के बाद एख 90 मिनट के समय में अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इन पेलोड का जीवनकाल 3 से 4 महीने तक रहेगा। वह पीएसएलवी का 18वां कोर-अलोन वेरिएंट होगा। इसे श्रीहरिकोटा स्थिथ पीएसएलवी इंटीग्रेश फैसिलिटी में तैयार किया गया है।
यह 2024 में इसरो का आखिरी मिशन होगा और पीएसएलवी-सी60 यहां स्थापित पीएसएलवी एकीकरण सुविधा में चौथे चरण तक एकीकृत होने वाला पहला वाहन है।
स्पेडेक्स मिशन का उद्देश्य क्या है?
इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक, स्पेडेक्स मिशन का मुख्य उद्देश्य दो छोटे उपग्रहों (एसडीएक्स01 और एसडीएक्स02) की डॉकिंग और अनडॉकिंग की तकनीक विकसित करना है, जो एक धरती की निचली कक्षा (लो-अर्थ ऑर्बिट) में एक साथ जुड़ेंगे। मिशन का दूसरा मकसद यह साबित करना है कि डॉक किए गए उपग्रहों के बीच बिजली का स्थानांतरण (ट्रांसफर) कैसे किया जा सकता है। यह भविष्य में अंतरिक्ष रोबोटिक्स और अंतरिक्ष कार्यों को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
उपग्रह और पेलोड क्या काम करेंगे
डॉकिंग और अनडॉकिंग के बाद ये उपग्रह धरती की कक्षा में दो साल तक काम करते रहें। इन उपग्रहों का काम अलग-अलग होगा, जैसे तस्वीर लेना, पृथ्वी के संसाधनों की जानकारी एकत्र करन और दूसरे वैज्ञानिक काम करना। एसडीएक्स01 उपग्रह में एक उच्च-रिजॉल्यूशन कैमरा (एचआरसी) है।
जबकि एसडीएक्स02 में दो पेलोड ‘मिनिएचर मल्टीस्पेक्ट्रल’ (एमएमएक्स) और ‘रेडिएशन मॉनिटर’ (रेडमॉन) हैं। ये पेलोड उच्च रिजॉल्यूशन की तस्वीरें, प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी, वनस्पति अध्ययन और अंतरिक्ष में विकिरण की माप करेंगे। इन पेलोड का उपयोग कई कामों में किया जा सकता है। इसके अलावा, पीएसएलवी-सी60 मिशन के तहत 24 अन्य पेलोड भी लॉन्च किए जा रहे हैं। ये पेलोड इसरो की विभिन्न प्रयोगशालाओं, निजी स्टार्ट-अप्स और शिक्षण संस्थानों से हैं और इनका मकसद अंतरिक्ष में विभिन्न प्रयोग करना है।