गाजा। इस्राइल-हमास युद्ध की वजह से फलस्तीन का गाजा शहर मलबों के ढेर में तब्दील हो गया है। पिछले एक साल में इस शहर में 4.2 करोड़ टन से अधिक मलबा जमा हो गया है। इसमें टूटी और ध्वस्त दोनों इमारतें शामिल हैं। चिंता की बात है कि मलबा हर दिन बढ़ता ही जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के उपग्रह डाटा के मुताबिक, गाजा की युद्ध पूर्व संरचनाओं में से दो-तिहाई यानी 1,63,000 से अधिक इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई हैं या ढह गई हैं। इनमें से करीब एक तिहाई ऊंची इमारतें थीं। 2014 में गाजा में सात सप्ताह तक चले युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और उसके सहयोगियों ने 30 लाख टन मलबा साफ किया था, जो मौजूदा जमा मलबे का 7 फीसदी है।
यूएनडीपी के गाजा कार्यालय के प्रमुख एलेसेंड्रो मराकिक ने एक अनुमान के आधार पर कहा, एक करोड़ टन मलबा साफ करने में 28 करोड़ डॉलर (2,352.84 करोड़ रुपये) का खर्च आएगा। इसका मतलब है कि अगर युद्ध अभी रुक जाए तो पूरे मलबे को हटाने में करीब 1.2 अरब डॉलर (10,083.64 करोड़ रुपये) खर्च होंगे। संयुक्त राष्ट्र ने अप्रैल में एक अनुमान के आधार पर बताया था कि मलबा हटाने में 14 साल लग जाएंगे।
गीजा पिरामिड से 11 गुना बड़ा…संयुक्त राष्ट्र का दावा है कि मौजूदा मलबा 2008 से लेकर एक वर्ष पहले युद्ध शुरू होने तक गाजा में जमा मलबे की मात्रा से 14 गुना अधिक है। साथ ही, 2016-17 में इराक के मोसुल युद्ध में जमा हुए मलबे की मात्रा से पांच गुना अधिक है। अगर इस मलबे को इकट्ठा कर दिया जाए तो यह मिस्र के सबसे बड़े गीजा पिरामिड से 11 गुना बड़ा हो जाएगा।
मलबे में दबे 10,000 शव, कुछ बम भी
मलबे में ऐसे शव हैं, जो बरामद नहीं हुए हैं। फलस्तीन स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इन शवों की संख्या करीब 10,000 है। कुछ बम भी हैं, जो फटे नहीं।
रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति का कहना है कि खतरा व्यापक है। कुछ मलबे से चोट लगने का खतरा है।
23 लाख टन मलबा दूषित, गंभीर बीमारियों का खतरा
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने गाजा के आठ शरणार्थी शिविरों के आकलन का हवाला देते हुए कहा, करीब 23 लाख टन मलबा दूषित हो सकता है। इनमें से कुछ नुकसानदायक हैं। एस्बेस्टस के रेशे सांस के जरिये अंदर जाने पर कैंसर का कारण बन सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पिछले वर्ष गाजा में तीव्र श्वसन संक्रमण के करीब 10 लाख मामले दर्ज किए हैं, लेकिन यह नहीं बताया है कि उनमें से कितने धूल से जुड़े हैं।
डब्ल्यूएचओ की प्रवक्ता बिस्मा अकबर ने कहा, धूल एक गंभीर चिंता है। यह पानी और मिट्टी को दूषित कर सकती है। फेफड़ों की बीमारी का कारण बन सकती है। डॉक्टरों को डर है कि आने वाले दशकों में धातुओं के रिसाव से कैंसर और जन्म संबंधी बीमारियों में वृद्धि होगी।
मराकिक ने कहा, चुनौतियां बहुत बड़ी हैं। यह बहुत बड़ा अभियान होगा। मलबे के बारे में इस्राइल की सैन्य इकाई सीओजीएटी (कोऑर्डिनेटर ऑफ द गवर्नमेंट एक्टिविटीज इन द टेरेरिस्ट्स) ने कहा, इसका उद्देश्य अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करना है और उन प्रयासों को बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करेंगे।
इसी माह शुरू होगा सफाई का काम…संयुक्त राष्ट्र के तीन अधिकारियों ने कहा, गाजा के अधिकारी मलबे को हटाने पर विचार कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र उनकी मदद की कोशिश कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाले मलबा प्रबंधन कार्यसमूह ने खान यूनिस और मध्य गाजा शहर डेर एल-बलाह में फलस्तीन अधिकारियों के साथ मिलकर एक पायलट परियोजना शुरू करने की रणनीति बनाई है। इसी महीने सड़क किनारे से मलबा हटाने का काम शुरू किया जाएगा।