रायपुर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज रविवार को नवा रायपुर में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो कार्यालय का उद्धघाटन किया। इस अवसर पर प्रदेश के सीएम विष्णुदेव साय,केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा भी मौजूद रहे। इस दौरान शाह ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2047 में जब देश की आजादी की शताब्दी मनाई जाएगी तब इस देश को नशे से मुक्त करने का संकल्प लिया है और धीरे-धीरे यह संकल्प 130 करोड़ की आबादी का संकल्प बनता जा रहा है और मैं मानता हूं कि नशा मुक्त भारत का संकल्प समृद्ध सुरक्षित और वैभवशाली भारत के संकल्प के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । एक प्रकार से देखे तो नारकोटिक्स केवल भारत की ही समस्या नहीं है वैश्विक समस्या है, भारत को सबसे ज्यादा जागरूक रहने की जरूरत है। अगर यह लड़ाई अभी से जुनून के साथ लड़े तो यह लड़ाई हम जीत सकते हैं। मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है दुनिया के कई देश इस लड़ाई से हार चुके हैं। भारत में नारकोटिक्स के दूषण से न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ बल्कि नारकोटिक्स के अवैध व्यापार से जो धन मिलता है वह धन आतंकवाद-नक्सलवाद और भारत के अर्थतंत्र को मजबूत करने के काम में भी आते हैं। युवा पीढ़ी को बर्बाद करने वाले ड्रग्स तस्करों पर लगाम लगेगी, उन्हें बख्शा नहीं जायेगा।
हर राज्य में खुलेगा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो
उन्होंने कहा कि यह युवा पीढ़ी को बर्बाद करने का तरीका है और दूसरे और देश की सुरक्षा के साथ नारकोटिक्स से धन से अर्जित करना विधान है। हम सब की जिम्मेदारी बनती है कि जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ हम देश को नारकोटिक्स फ्री बनाएं। नशा मुक्त बनाएं। पीएम मोदी ने जो संकल्प है उसे पूरा करें। आज रायपुर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल ऑफिस का वर्चुअल उद्घाटन हुआ। 5 हजार स्क्वायर फीट में ये भवन फैला हुआ है जो नारकोटिक्स कंट्रोल के लिए अपने आप में कंप्लीट ऑफिस है। मैं राज्य सरकार का धन्यवाद करता कि हमें भूमि और बाकी सभी सुविधाएं प्रदान की। इनके अंदर प्रेस कॉन्फ्रेंस रूम समेत सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं। यह नारकोटिक्स कंट्रोल के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। हमारा लक्ष्य है कि हर राज्य में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की स्थापना की जाएगी। इसके माध्यम से राज्य सरकार के सहयोग से इसके दूषण को कंट्रोल करने का काम किया जाएगा।
‘ड्रग ट्रैफिकिंग का ट्रेंड बदल रहा’
शाह ने कहा कि ड्रग ट्रैफिकिंग का ट्रेंड बदल रहा है। इसके तस्कर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, जितनी कम मात्रा में ड्रग्स आती है और सबसे ज्यादा नुकसान और सबसे ज्यादा कम कीमत भी उसी की होती है। छत्तीसगढ़ में इसका उपयोग का प्रतिशत 1.1 है, जो सबसे ज्यादा है। एक प्रकार से छत्तीसगढ़ में गांजा की तस्करी आंध्र और ओडिशा की सीमा से होती है। छत्तीसगढ़ में गांजा के नशे का उपयोग 4 फीसदी है जो राष्ट्रीय औसत से 2.83 प्रतिशत ज्यादा है। यह हमारे लिए चिंता का विषय है। इस देश में एक छोटी सी पुड़िया दुकान से बनती है तो ये कब और कहां से आई। इसे ध्वस्त करने के लिए हमें इन्वेस्टिगेशन करना पड़ेगा। नारकोटिक्स का केस कोई एक केस नहीं हो सकता है। पूरे तंत्र को इसके पीछे के बैकग्राउंड को ध्वस्त करने के लिए इन्वेस्टिगेशन की आदत डालनी पड़ेगी। बॉटम टू टॉप से एप्रोच लेना पड़ेगा। एक बड़ी मात्रा में गांजा या ड्रग्स मिलता है तो यह किस-किस के माध्यम से उपयोगकर्ता तक जाना था, उसका भी सर्च करना पड़ेगा। इससे कंट्रोल करने में मददगार होगा।
‘पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करें’
उन्होंने कहा कि जब तक हम पूरी चैन को खत्म नहीं करते तब तक यह पूरे नेटवर्क को ध्वस्त नहीं कर पाएंगे। कुछ लोगों को जद में लेकर नारकोटिक्स कंट्रोल नहीं कर सकते। उनके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए प्रयास होना चाहिए। ड्रग डिमांड डिडक्शन के लिए राष्ट्रीय कार्यालय के तहत यहां पर साथ पुनर्वास केंद्र चल रहे हैं। छत्तीसगढ़ के चीफ सेक्रेटरी डीजीपी से अनुरोध है कि सातों पुनर्वास केंद्र में कम से कम तीन-तीन घंटा निकाल जाए और उसके एप्लीकेशन पर ध्यान देना होगा। 14 नशा मुक्ति केंद्र राज्य सरकार भी चल रही है। ये सारे पुनर्वास केंद्र और नशा मुक्ति केंद्र को यह हमारे लड़ाई का महत्वपूर्ण केंद्र योजना का हिस्सा होना चाहिए। जो ड्रग लेता है वह सिस्टम का विक्टम है जो इसका व्यापार करता है वह गुनहगार है। वह इस सूत्र को ध्यान में रखकर ये लड़ाई लड़नी होगी। ड्रग छुपाने के तरीके, सिंथेटिक ड्रग की फैक्ट्रियां और प्रयोगशालाएं नई क्रिप्टो की न्यू एज चैलेंज इन सबको जब तक हम समाहित करके रणनीति नहीं बनाते हैं तब तक हम सफल नहीं हो सकते। कई जगह पर ड्रोन से, मोबाइल एप्स से, हेल्थ सेवाओं के माध्यम से भी ड्रग्स बेचने के किस्से सामने आए हैं। उन्हें ध्यान में रखकर एक रणनीति राज्य में बननी चाहिए।
युवा पीढ़ी को बर्बाद करने वाले ड्रग्स तस्करों पर नकेल जरूरी
एनसीबी का परफॉर्मेंस बेहतर है। वर्ष 2004 से 2014 तक 1 हजार 250 कैसे रजिस्टर्ड हुए थे। अब 4 हजार 150 हुए हैं, जो 230 प्रतिशत की वृद्धि है विगत 10 साल। कल तक जो अरेस्ट 1 हजार 360 था अब 6300 हुआ है। 364% की वृद्धि हुई है। पूर्व में 52 लाख किलो नारकोटिक्स पर अब 54 हजार 300 किलो नारकोटिक्स पकड़ा गया है। दो पॉइंट 70% की वृद्धि है। 10 साल में 22 हजार करोड़ के ड्रग्स सीज किए गए हैं। इसे रोकने के लिए मानस पोर्टल का उपयोग करना चाहिए। जॉइंट कोऑर्डिनेशन कमेटी का भी उपयोग करें। फंडिंग के सोर्स की जांच करके संपत्ति को जब्त करें। छत्तीसगढ़ जिस तरह से बीजेपी की नई सरकार काम कर रही है। एक विकसित राज्य बनने की दिशा में आगे बढ़ेगी। युवा पीढ़ी को बर्बाद करने वाले ड्रग्स तस्करों पर नकेल कसना जरूरी है। ये नशा मुक्त भारत का संकल्प है। एनसीबी ऑफिस हमेशा सहयोग के लिए रहेगी।
हाईटेक सुविधाओं से लैस नवा रायपुर का नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो
बता दें कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो रायपुर का आंचलिक इकाई नवा रायपुर सेक्टर 24 के केंद्रीय सचिवालय भवन के तृतीय तल पर स्थित है। यह करीब 5 हजार स्क्वायर फीट में फैला हुआ है जो नारकोटिक्स कंट्रोल के लिए अपने आप में कंप्लीट ऑफिस है। हाईटेक सुविधाओं से लैस है।
इसके पहले उन्होंने कल छत्तीसगढ़ की छह स्थानीय भाषाओं में रूपांतरित ‘नए भारत का नया कानून’ किताब का विमोचन किया था। यह पुस्तक ‘2023 के नए आपराधिक कानून’ का छत्तीसगढ़ की छह प्रमुख स्थानीय भाषाओं यानी हल्बी, गोंडी, भतरी, कुडुख, छत्तीसगढ़ी और हिंदी में रूपांतरित संस्करण है। विमोचन के दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा उपस्थित रहे।