छत्तीसगढ़: अमित शाह बोले-‘मार्च 2026 तक देश से खत्म हो जाएगा नक्सलवाद’, कहा-‘रूथलेस रणनीति के साथ वामपंथी उग्रवाद पर होगा अंतिम प्रहार’

रायपुर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म करने की बात कही है। छत्तीसगढ़ के रायपुर में शनिवार को वामपंथी उग्रवाद पर उन्होंने समीक्षा की। इसके बाद उन्होंने कहा कि, अब समय आ गया है कि वामपंथी उग्रवाद की समस्या पर एक मजबूत रणनीति के साथ रुथलेस रणनीति के साथ अंतिम प्रहार किया जाए।

समीक्षा बैठक में 7 राज्यों अफसरों के साथ शाह ने करीब 4 घंटे तक बातचीत की। मीटिंग में अलग-अलग राज्यों के DGP, पैरा मिलिट्री फोर्स के चीफ और राज्य सरकार के सचिवों को बुलाया गया था। बैठक के बाद शाह ने कहा कि, वामपंथी उग्रवाद लोकतंत्र व्यवस्था के लिए चैलेंज है।

सरेंडर पॉलिसी होगी अपडेट-शाह

अमित शाह ने बताया कि, आज की मीटिंग में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कुछ फैसले लिए हैं। जो लोग वामपंथी उग्रवाद के लंबे समय के प्रभाव के कारण निरक्षर रह गए हैं, उनको साक्षर बनाया जाएगा। चाहे उनकी आयु कोई भी हो। इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार और भारत सरकार का गृह मंत्रालय एक अभियान चलाएगा।

साथ ही शाह ने कहा कि, तेंदूपत्ता की खरीदी की पॉलिसी में भी हम परिवर्तन करेंगे और इसके साथ-साथ NIA के तर्ज पर SIA बनाकर इसे ताकतवर बनाएंगे। जो दोष सिद्धी का प्रमाण है उसे भी बढ़ाएंगे। गृहमंत्री शाह ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार सरेंडर पॉलिसी को भी अपडेट कर रही है, एक-दो महीने में इसकी घोषणा होगी।

मीटिंग में इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी फोकस

शाह ने कहा कि, नक्सल प्रभावित जिलों में केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजना का सौ फीसदी काम हो इसे लेकर बैठक में चर्चा हुई। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर के जो प्रोजेक्ट है उसकी प्रगति और प्रगति के रास्ते में जो अड़चन है इसको दूर करने के लिए हमने मीटिंग की है। भारत सरकार बस्तर से बीजापुर और दंतेवाड़ा से लेकर धमतरी तक कुरुक्षेत्र के विकास के लिए कटिबद्ध है।

अमित शाह की अपील
शाह ने कहा कि, मेरी सभी वामपंथी उग्रवाद में लिप्त युवाओं से अपील है कि भारत सरकार आपके और आपके क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। हथियार छोड़िए और एक नए युग का आगाज हुआ है इसको आप सभी मजबूती दीजिए। मैं आशा करता हूं कि हमने जो लक्ष्य तय किया है उस लक्ष्य के अनुसार ही पूरे छत्तीसगढ़ और पूरे देश को हम नक्सलवाद की समस्या से मुक्त कराएंगे।

सभी प्रदेशों से पुलिस प्रमुख पहुंचे हैं छत्तीसगढ़। - Dainik Bhaskar

सभी प्रदेशों से पुलिस प्रमुख पहुंचे हैं छत्तीसगढ़।

छत्तीसगढ़ सरकार के काम की तारीफ

अमित शाह ने नक्सलवाद मोर्चे पर छत्तीसगढ़ सरकार के किए काम की सराहना की। कहा, छत्तीसगढ़ में नई सरकार आने के बाद में इन्होंने बड़ी शिद्दत से अच्छा काम किया है। देश की बात की जाए तो 90% हिस्सा छत्तीसगढ़ का है जो नक्सल प्रभावित है। यहां 179 वामपंथी उग्रवादियों को न्यूट्रलाइज करने का काम अगस्त महीने तक हुआ है।

559 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 540 ने आत्मसमर्पण किया है 46 नए फोर्स के कैंप स्थापित किए गए हैं। शाह ने आगे कहा, हिड़मा के गांव में जाकर प्रदेश के गृहमंत्री उनका आधार कार्ड और आयुष्मान कार्ड देते हैं तो दिल्ली में बैठकर बहुत संतोष होता है।

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव ने किया अमित शाह का स्वागत। - Dainik Bhaskar

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव ने किया अमित शाह का स्वागत।

इन जिलों में एक्टिव हैं नक्सली

छत्तीसगढ़– बीजापुर, दंतेवाडा, धमतरी, गरियाबंद, कांकेर, कोंडागांव, महासमुंद, नारायणपुर, राजनांदगांव, मोहल्ला मानपुर, आबगढ़ चौकी, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, सुकमा, कबीरधाम और मुंगेली जिले हैं।

ओडिशा- कालाहांडी, कंधमाल, बोलांगीर, मलकानगिरी, नबरंगपुर, नुआपाड़ा और रायगढ़ नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल है।

झारखंड- पांच जिले गिरिडीह, गुमला, लातेहार, लोहरदगा और पश्चिमी सिंहभूमि इसमें शामिल हैं।

आंध्रप्रदेश- अल्लूरी सीतारमा राजू, पूर्वी गोदावरी, पार्वतीपुरम मान्यम, श्रीकाकुलम और विशाखापत्तनम जिले शामिल हैं ।

मध्यप्रदेश- बालाघाट,मंडला जिले और डिंडोरी जिले में नक्सलियों का प्रभाव दिखता है।

केरल– वायनाड़ और कुन्नूर, महाराष्ट्र में गढ़चिरौली और गोंदिया, तेलंगाना में भाद्राद्री-कोथागुड़ेम और मुगुलू जिलों में नक्सलियों का दबदबा है।

नक्सली बनाना चाहते हैं अपनी सरकार 

भारत में नक्सलवाद की शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से हुई थी। शुरू में पुलिस ने इस विद्रोह को कुचलने की कोशिश की, लेकिन दशकों बाद यह आंदोलन झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में फैल गया।

नक्सलवाद की शुरुआत चारु माजूमदार और कानू सान्याल ने की थी। साल 1969 में इन दोनों ने भूमि अधिग्रहण को लेकर पूरे देश में सत्ता के ख़िलाफ़ आंदोलन शुरू किया था। आंदोलनकारी नेताओं का मानना था कि ज़मीन उसी की होनी चाहिए जो उस पर खेती करें।

बाद में इस आंदोलन में छात्र भी शामिल हो गए। नक्सलवाद के ज़रिए कुछ कम्युनिस्ट गुरिल्ला युद्ध के ज़रिए राज्य को अस्थिर करना चाहते हैं. वे मौजूदा शासन व्यवस्था को उखाड़ फेंककर लगातार युद्ध के ज़रिए ‘जनताना सरकार’ लाना चाहते हैं।