रायपुर। राजधानी रायपुर के सत्यम विहार कालोनी में 15 साल के बच्चे पर एसिड अटैक की रिपोर्ट फर्जी निकली। पुलिस की जांच में पता चला की बच्चे ने अपने माता-पिता की डांट से बचने के लिए एसिड अटैक की कहानी रची थी, जिसमें उसके छोटे भाई ने भी उसका साथ दिया। हालांकि, जब पुलिस ने उससे पूछताछ की, तो सच्चाई उजागर हो गई। बच्चे ने एसिड अटैक की योजना मोबाइल में वीडियो देखकर बनाई थी। मामला डीडी नगर थाना क्षेत्र का है।
बता दें कि सत्यम विहार कालोनी स्थित गणेश मंदिर के पीछे रायपुरा के रहने वाले टीकम देवांगन ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनका बेटा कल्प देवांगन घर से अपने छोटे भाई नवनीत देवांगन को साइकिल से लेकर दोस्त के घर खेलने जा रहा था, इस दौरान जब दोनों एजुकेशनल एकेडमी स्कूल के पास सत्यम विहार पहुंचे। तभी चंगोराभाठा की तरफ से आ रहे बाइक सवार दो युवकों ने भूरे और गुलाबी रंग का केमिकल पाउडर फेंक दिया। इसके बाद दोनों युवक भाग गए, केमिकल इतना खतरनाक था कि कल्प का चेहरा और दोनों आंख बुरी झुलस गई है जिसका इलाज रायपुर एम्स अस्पताल में चल रहा है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर एंटी क्राइम और साइबर यूनिट के साथ पुलिस की संयुक्त टीम ने मामले की जांच शुरू की। इस दौरान घायल कल्प ने पुलिस को बताया कि स्कूल के आसपास हमेशा बदमाशों का जमावड़ा लगा रहता है। वे स्कूल के बच्चों को धमका कर रुपये मांगते हैं। लेकिन पुलिस ने जब जांच की तो सच्चाई कुछ और सामने आई।
ऐसे सामने आई सच्चाई
टीम ने घटनास्थल और आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, लेकिन फुटेजो में दोनों भाई घटना स्थल या उसके इर्द-गिर्द कहीं भी नजर नहीं आ रहे थे, इसके बाद टीम ने घटना स्थल के पास स्थित दुकानों और अन्य व्यक्तियों से भी पूछताछ की लेकिन किसी ने भी बच्चे पर एसिड अटैक की कोई भी घटना घटित नहीं होना बताया। इसके बाद पुलिस ने जब कल्प के छोटे भाई नवनीत से अलग से पूछताछ की तो उसने पूरा सच उगल दिया।
नवनीत ने पुलिस को बताया कि घटना वाले दिन दोनों भाई स्कूल से घर आए थे और गैस चूल्हा जलाने के दौरान आग की लपटों से बड़े भाई का चेहरा झुलस गया। इसके बाद माता-पिता की फटकार से बचने दोनों ने झूठी कहानी गढ़ी कि किसी अज्ञात युवक ने उसके चेहरे पर ज्वलनशील पदार्थ फेंका था। कल्प ने नवनीत को आग की लपटों से झुलसने की बात किसी को न बताने के लिए कहा था।
छोटे बच्चों के माता-पिता को हमेशा सख्ती से पेश नहीं आना चाहिए
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, छोटे बच्चों के साथ माता-पिता को हमेशा सख्ती से पेश नहीं आना चाहिए। बच्चों के साथ ऐसा संबंध बनाना चाहिए जिसमें वे बिना किसी डर के खुलकर अपनी बातें साझा कर सकें। अगर बच्चों के मन में माता-पिता का डर बैठ जाता है, तो वे सच छुपाने और झूठ बोलने लगते हैं। यह अक्सर तब होता है जब अभिभावक छोटी-छोटी बातों पर बच्चों को डांटते या फटकारते हैं। ऐसे में बच्चों के मन में एक डर पैदा हो जाता है, जो अंततः उन्हें झूठ बोलने या कहानियाँ गढ़ने के लिए प्रेरित करता है। इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए माता-पिता को बच्चों के साथ नरमी और समझदारी से पेश आना चाहिए, ताकि बच्चे बिना किसी भय के अपनी समस्याओं और भावनाओं को व्यक्त कर सकें।