छत्तीसगढ़: कांग्रेस के 50 प्रदेश सचिवों की कुर्सी खतरे में, निकाय चुनाव तक संगठन में बदलाव के आसार नहीं, खाली पदों पर जल्द होंगी नियुक्तियां

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में नगरीय निकाय चुनाव तक अभी बदलाव के आसार नजर नहीं आ रहे हैं, लेकिन खाली पदों पर नियुक्तियों के लिए मंजूरी मिल गई है

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस में नगरीय निकाय चुनाव तक अभी बदलाव के आसार नजर नहीं आ रहे हैं, लेकिन खाली पदों पर नियुक्तियों के लिए मंजूरी मिल गई है, जल्द नियुक्तियां की जाएंगी। बताया जा रहा है कि करीब 50 प्रदेश सचिवों की कुर्सी खतरे में है। वर्तमान में 140 प्रदेश सचिव हैं, जो हटाने के बाद सिर्फ 90 ही बचेंगे।

कांग्रेस पार्टी अभी निकाय चुनाव पर फोकस कर रही है। पार्टी में बदलाव के बजाए कई संगठनात्मक और राजनीतिक टास्क को पूरा करने पर जोर है। कांग्रेस की कोशिश है कि चुनावों तक पार्टी पूरी तरह से एक जुट होकर साथ रहे। विधानसभा और लोकसभा में अच्छे रिजल्ट नहीं आने पर छत्तीसगढ़ की डायरेक्ट दिल्ली से निगरानी हो रही है।

निष्क्रिय पदाधिकारियों पर गिरेगी गाज 

पार्टी के रणनीतिकार विधानसभा में एक सचिव के हिसाब से 90 पदों पर ही नियुक्ति के पक्ष में हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ सचिव पार्टी छोड़कर चले गए थे। कई सचिव पद पर बने तो रहे, लेकिन निष्क्रिय रहे। ऐसे कमजोर परफॉर्मेंस वाले पदाधिकारियों को भी हटाया जा सकता है।

छत्तीसगढ़ के मामलों में AICC सीधे नजर रखेगी 

दिल्ली में तीन दिन पहले मोइली कमेटी के साथ प्रदेश नेताओं की मीटिंग हुई। अंतिम चर्चा के दौरान प्रदेश नेताओं को सीधे संकेत दे दिए गए हैं। अब छत्तीसगढ़ के मामलों में AICC सीधे नजर रखेगी। कोई भी फैसले एकतरफा नहीं लिए जाएंगे। वरिष्ठ नेताओं से रायशुमारी और चर्चा के बाद ही गतिविधियों को आगे बढ़ाया जाएगा।

इस महीने के अंत तक खाली पदों पर नियुक्ति 

कांग्रेस में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान कई पदाधिकारियों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया। संगठन में लंबे समय से रिक्त पड़े पदों में नियुक्तियां भी जल्द ही कर दी जाएंगी। चर्चा है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सभी पदों पर नियुक्तियों का प्रस्ताव सौंप दिया है। AICC से लगभग सहमति भी मिल गई है। औपचारिक प्रक्रिया पूरी करने के बाद विधिवत घोषणा भी कर दी जाएगी।

ये पद खाली 

बीते लोकसभा चुनाव के दौरान कार्यकारिणी में रहे 2 महामंत्रियों ने पार्टी छोड़ दी थी। वहीं प्रदेश उपाध्यक्ष के भी दो पद खाली पड़े हुए हैं। इसी तरह चार संगठन जिलों में कार्यवाहक अध्यक्ष होने से गतिविधियां भी सुस्त पड़ी हुई है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी इसका असर देखने को मिला था।