रायपुर। लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन में बड़ा बदलाव होने वाला है। बताया जा रहा है कि OBC चेहरे को संगठन में शामिल किया जाएगा। ऐसे में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की बात है।
सूत्रों के मुताबिक, बघेल को AICC का महासचिव बनाया जा सकता है। वह प्रदेश में पार्टी का कद्दावर OBC चेहरा हैं। बघेल ने कहा कि, क्या जिम्मेदारी मिलेगी, ये हाई कमान तय करेगा। वहीं प्रदेश कांग्रेस संगठन में भी बड़े बदलाव के संकेत मिले हैं।
कांग्रेस मुख्यालय दिल्ली में मंगलवार को महासचिव और प्रभारियों की बैठक शुरू होने से पहले CM बघेल ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़े और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ अलग से मुलाकात की। इसमें तय हुआ है कि बघेल को नई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने जा रही है।
कमजोर परफॉर्मेंस से संगठन में बदलाव
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने पहले ही ये संकेत दे दिए थे कि, जिन राज्यों की लोकसभा चुनाव में परफॉर्मेंस कमजोर रही है। वहां संगठन में बदलाव किए जा सकते हैं। वहीं आने वाले दिनों में 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर संगठन को मजबूत करने के लिए AICC नए चेहरे लाए जा सकते हैं।
बघेल ने कहा- अलग-अलग समय में जिम्मेदारियां मिलती हैं
पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिलने के सवाल पर भूपेश बघेल ने कहा कि, AICC लगातार अलग-अलग समय में जिम्मेदारियां देती रही है। अब क्या जिम्मेदारी मिलेगी, वो हाई कमान तय करेगा। जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र के चुनाव में भी जिम्मेदारी मिलेगी तो बखूबी निभाया जाएगा। निकाय चुनाव में भी जिम्मेदारी मिलेगी काम किया जाएगा।
भूपेश को AICC महासचिव बनाने का समीकरण
इस समय बदलाव और इसकी प्रकृति कई कारकों पर निर्भर करेगी। इसमें अन्य सीनियर नेताओं से प्रतिक्रिया और राज्य की राजनीतिक स्थिति का आकलन भी शामिल है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व प्रदेश में बड़े नेताओं के बीच खींचतान को खत्म करने और एकता बहाल करने के मकसद के लिए ये बड़ा कदम उठाने जा रही है।
- राष्ट्रीय स्तर पर OBC कुर्मी समुदाय का बड़ा चेहरा
- प्रियंका गांधी के करीबी माने जाते हैं भूपेश बघेल
- लोकसभा चुनाव और कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में प्रभार दिया गया
प्रदेश अध्यक्ष को लेकर टीएस सिंहदेव के नाम की चर्चा
सियासी गलियारों में ये भी खबर है कि भूपेश बघेल को AICC में महासचिव की जिम्मेदारी देने के बाद टीएस सिंहदेव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। हांलाकि इसे लेकर अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।
दरअसल विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा में भी कांग्रेस की परफॉर्मेंस छत्तीसगढ़ में अच्छी नहीं रही। जबकि देश क दूसरे राज्यों में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन रहा है। अब राज्यों में संगठन को मजबूत करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष समेत कार्यकारिणी में भी बदलाव किए जाने के संकेत मिल रहे हैं।
टीएस सिंहदेव ने दिल्ली से लौटने पर रायपुर एयरपोर्ट में कहा- संगठन में अभी बदलाव को लेकर तुरंत कोई स्थिति नहीं लग रही है।
सिंहदेव बोले- मुझसे पार्टी की बेहतरी के लिए सुझाव मांगे
वहीं दिल्ली से फैक्ट फाइडिंग कमेटी की बैठक में शामिल होकर लौटे पूर्व डिप्टी CM टीएस सिंहदेव ने कहा कि, उनसे पार्टी की बेहतरी को लेकर सुझाव मांगे गए। मुझे जिम्मेदारी दी जाएगी, इसे लेकर मेरे से कोई बात नहीं हुई है। सिंहदेव ने कहा कि, अभी नगरीय निकाय चुनाव होने हैं।
दो-तीन महीने में आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में संगठन के नए लोगों को समझने में दिक्कत होगी। बाकी जो निर्णय आगे हाई कमान लेगा। जिम्मेदारी मिलने के सवाल पर कहा, जहां मुझे लगता है कि कारगर ढंग से काम कर सकता हूं, वहां करता हूं। जहां नहीं कर सकता, वहां बोलता हूं कि नहीं कर सकूंगा।
मेरी प्राथमिकता जहां हारे वहां बेहतर कर सकें
सिंहदेव ने कहा कि, मेरे विधानसभा में पार्टी को नीचे किया। मैं जीत नहीं सका। अभी मेरी प्राथमिकता है कि वहां जो कमियां रहीं, उन्हें दूर कर सकूं। सरगुजा अंचल में एक भी सीट नहीं आई। जो भी कारण रहे, उनमें कैसे परिवर्तन ला सकें। पार्टी के लिए मैं वो योगदान देना चाहता हूं।
उसके साथ छत्तीसगढ़ में कहीं उपस्थित होकर पार्टी के बेहतरी के लिए काम कर सकता हूं, वहां उपस्थित रहता हूं। मैंने पार्टी को बताया कि, संगठन में कार्यकर्ताओं को ये एहसास होना कि पार्टी उनके बिना सफलता हासिल नहीं कर पाएगी। उनको सशक्त करने के लिए जो कदम उठाना पड़े, वो करें। वहीं ऊपरी से मिलकर सब लोग काम करें। दोनों स्तर से हम लोगों को काम करना है।
ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की थी भंग
जुलाई महीने में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कड़ा फैसला लेते हुए ओडिशा की प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भंग कर दिया था। ये फैसला इसलिए लिया क्योंकि ओडिशा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की परफॉर्मेंस बेहद खराब थी और उसके बाद लगातार वहां प्रदेश अध्यक्ष का विरोध हो रहा था।
इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी इसी तरह का फैसला लिया जा सकता है। हाई कमान की कोशिश है कि ओडिशा जैसी स्थिति दूसरे राज्यों में ना बने इसलिए 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले सब कुछ ठीक करने के लिए कांग्रेस में बड़े फैसले लिए जा रहे हैं।