नई दिल्ली। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पर बोलने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दल कांग्रेस पर बड़ा कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस लगातार तीन चुनावों में 100 का आंकड़ा नहीं छू पाई है। ये तीसरी बार कांग्रेस का सबसे कम स्कोर है। अच्छा होता कि कांग्रेस जनता के इस फैसले को स्वीकारती। कांग्रेस और उसका ईकोसिस्टम दिन रात हिंदुस्तान के नागरिकों के मन में ये स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने हमें हरा दिया है। आदरणीय सभापति जी, ऐसा क्यों हो रहा है।”
पीएम मोदी ने कहा, “मैं जरा अपने सामान्य जीवन का वक्तव्य बताता हूं। एक छोटा बच्चा साइकिल लेकर निकला है। वो बच्चा गिर जाता है। साइकिल से लुढ़क जाता है। रोने लगता है। एक बड़ा व्यक्ति उसके पास आकर कहता कि चींटी मर गई, चिड़िया उड़ गई। तुम बहुत अच्छी साइकिल चलाते हो। उसका ध्यान बंटाकर के उस बच्चे का मन बहला देते हैं। वैसे ही बच्चों के मन बहलाने का काम चल रहा है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस और उसका ईको सिस्टम सिर्फ मन बहलाने का काम कर रहा है। पीएम ने कहा, “आदरणीय सभापति जी 1984 उपचुनाव को याद कीजिए, उसके बाद इस देश में 10 लोकसभा के चुनाव हुए हैं। इसके बावजूद कांग्रेस 250 के आंकड़े को छू नहीं पाई है। पीएम मोदी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग बधाई दे रहे हैं कि तुम 100 में 99 नंबर लाए हो। अब उनको कौन बताए कि ये 100 में से नहीं 543 में से 99 नंबर लाया है। फेल होने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया है।”
पीएम ने शोले के ‘जय और मौसी’ के डायलॉग का किया जिक्र
पीएम मोदी ने शोले के डायलॉग का जिक्र करते हुए कहा कि मौसी ये बात तो सही है कि ये लोग सिर्फ तीसरी बार ही तो हारे हैं। मौसी मॉरल विक्टरी तो है न। मौसी सिर्फ 13 राज्यों में जीरो सीटें आई हैं, पर हीरो तो हैं न। अरे पार्टी की लुटिया तो डुबोई है। अरे मौसी पार्टी अभी सांसें तो ले रही है। मैं कांग्रेस के लोगों को कहूंगा कि जनादेश को फर्जी जीत के जश्न में मत दबाओ। फर्जी नशे में मत दबाओ। ईमानदारी से देशवासियों के जनादेश को जरा समझने की कोशिश करो। इसे स्वीकार करो। सभापति जी मुझे नहीं पता कि कांग्रेस के जो साथीगण है, उन्होंने इस चुनाव का विश्लेषण नहीं किया है। ये चुनाव इन साथियों के लिए भी संदेश है। 2024 में जो कांग्रेस है वो परजीवी कांग्रेस है। परजीवी उसी को खाता है, जो उससके शरीर पर होता है।
एक बच्चा स्कूल से आया और जोर से रोने लगा। उसकी मां ने पूछा क्या हुआ। उसने कहा कि आज स्कूल में मुझे मारा गया। मां परेशान हो गई। उसने पूछा कि बेटा बात क्या थी। बच्चा बता नहीं रहा था और रो रहा था कि मुझे मारा, मुझे मारा। बच्चा यह नहीं बता रहा था कि आज स्कूल में उस बच्चे ने किसी बच्चे को मां की गाली दी थी। उसने ये नहीं बताया कि किसी बच्चे की किताबें उसने फाड़ दी थीं। उसने ये नहीं बताया कि उसने टीचर को चोर कहा था। उसने ये नहीं बताया कि वो किसी का टिफिन चुरा कर खा गया था। हमने सदन में यहीं बचकाना हरकत देखी है। कल यहां बालकबुद्धि का विलाप चल रहा था। मुझे इसने मारा, मुझे उसने मारा। मुझे यहां मारा, मुझे वहां मारा। ये चल रहा था।
इन पर सावरकर का अपमान करने का आरोप है। इन पर संस्थाओं के बारे में झूठ बोलने का आरोप है। इन पर ओबीसी वर्ग को चोर कहने के मामले में सजा मिली है। ये बालकबुद्धि अपनी सीमाएं खो देती है। इनकी सच्चाई अब पूरा देश समझ गया है। आज देश इनसे कह रहा है- तुमसे नहीं हो पाएगा। तुमसे न हो पाएगा।