नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों के बाद राज्यसभा में 10 सीटें खाली हो गई हैं। जो सीटें खाली हुई हैं, उसमें असम, बिहार और महाराष्ट्र में दो-दो, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा में एक-एक सीट शामिल हैं। खास तौर पर हरियाणा में एनडीए बनाम इंडिया के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है।
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों के चलते राज्यसभा में 10 सीटें रिक्त हो गई हैं। राज्यसभा सचिवालय ने सात राज्यों में रिक्तियों को अधिसूचित भी कर दिया है। इनमें हरियाणा में एक बार फिर एनडीए बनाम इंडिया की कड़ी लड़ाई दिख सकती है।
हालांकि, महाराष्ट्र में भी राज्यसभा उपचुनाव पर सबकी नजरें टिकी होंगी। उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार ने राज्यसभा उपचुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। इसको लेकर एनसीपी के वरिष्ठ नेता और मंत्री छगन भुजबल के अनबन की खबरें भी आईं। भुजबल ने एक बयान में कहा भी कि हालांकि वह चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन वह सुनेत्रा पवार के नामांकन से नाराज नहीं हैं।
आइये जानते हैं कि लोकसभा चुनावों के बाद किस राज्य में राज्यसभा में कितनी सीटें खाली हुई हैं? कौन से राज्यसभा सदस्य लोकसभा चुनाव में विजयी हुए हैं? हरियाणा और महाराष्ट्र में ऐसे सांसदों की संख्या कितनी है? रिक्त सीटों पर उपचुनाव कब होगा?
लोकसभा चुनाव 2024 में कितने राज्यसभा सांसद चुने गए हैं?
लोकसभा चुनावों के बाद राज्यसभा में 10 सीटें खाली हो गई हैं। राज्यसभा सचिवालय ने इन रिक्तियों को अधिसूचित किया है। जो सीटें खाली हुई हैं, उसमें असम, बिहार और महाराष्ट्र में दो-दो, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा में एक-एक सीट शामिल हैं। इस अधिसूचना के बाद निर्चाचन आयोग राज्यसभा में इन रिक्तियों को भरने के लिए चुनाव की नई तारीखों की घोषणा करेगा।
मध्य प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की है। भाजपा नेता को केंद्र की मोदी कैबिनेट में दूरसंचार और पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय भी सौंपा गया है।
महाराष्ट्र से भाजपा के राज्यसभा के सांसद रहे पीयूष गोयल और उदयनराजे भोंसले अब लोकसभा के सदस्य हैं। मुंबई उत्तर सीट से जीते गोयल को मोदी सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री बनाया गया है। वहीं दूसरे नेता उदयनराजे भोंसले सतारा से लोकसभा सांसद चुने गए हैं।
हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव जीता है। पहले वह हरियाणा से कांग्रेस के राज्यसभा के सदस्य थे।
इसके अलावा मीसा भारती (बिहार), विवेक ठाकुर (बिहार), कामाख्या प्रसाद तासा (असम), सर्बानंद सोनोवाल (असम), केसी वेणुगोपाल (राजस्थान) और बिप्लब कुमार देब (त्रिपुरा) भी लोकसभा चुनाव जीते हैं।
संसद – फोटो : ANI
किन राज्यों में राज्यसभा के लिए होगा चुनाव?
जिन सात राज्यों की 10 सीटों पर रिक्तियों की अधिसूचना जारी की गई है उनमें सात सीटें भाजपा, दो कांग्रेस और एक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पास थीं। कांग्रेस और राजद दोनों ही इंडिया के प्रमुख घटक हैं। असम, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और त्रिपुरा जैसे राज्यों के उम्मीदवारों के आसानी से जीत हासिल करने की संभावना है। महाराष्ट्र विधानसभा में एनडीए की पर्याप्त संख्या होने पर इसके दो उम्मीदवार अपनी-अपनी सीट जीत जाएंगे लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद हो रहे उपचुनाव पर सबकी नजरें टिकी होंगी। हालांकि, हरियाणा में खाली हुई सीट के लिए होने वाले चुनावों में भाजपा को कठिन चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
हरियाणा के सीएम नायब सैनी
हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के लिए क्या गणित है?
जिन राज्यों में राज्यसभा चुनाव होगा उनमें हरियाणा की लड़ाई सबसे दिलचस्प होगी। दीपेंद्र हुड्डा के रोहतक से सांसद चुने जाने के कारण जरूरी हो गया है। 90 सदस्यीय विधानसभा अब 87 सदस्यों की रह गई है। पार्टीवार ताकत पर गौर करें तो भाजपा के पास अपने 41 विधायक हैं। इनके अलावा दो विधायकों -निर्दलीय नयन पाल रावत और हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के गोपाल कांडा के समर्थन के साथ भाजपा के पास 43 सीटें हो जाती हैं।
वहीं दूसरी ओर विपक्ष की तरफ गौर करें तो इधर 44 विधायक दिखाई देते हैं। इनमें कांग्रेस के 29 विधायक, जननायक जनता पार्टी (जजपा) के 10 और तीन निर्दलीय (रणधीर गोलान, धर्म पाल गोंदर और सोमवीर सांगवान), चौथे निर्दलीय बलराज कुंडू और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के अभय चौटाला शामिल हैं। तीन निर्दलीय रणधीर गोलान, धर्म पाल गोंदर और सोमवीर सांगवान ने पहले सरकार को समर्थन दिया था लेकिन हाल ही में उन्होंने कांग्रेस का समर्थन कर दिया। महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने न तो भाजपा को और न ही कांग्रेस को समर्थन दिया है। इनेलो के अभय चौटाला ने भी अभी तक किसी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा नहीं की है। कांग्रेस को उम्मीद है कि अगर उसे सभी विपक्षी विधायकों का समर्थन मिल गया तो वह भाजपा से चुनाव जीत सकती है, हालांकि सब कुछ इतना आसान नहीं होने जा रहा है।
दरअसल, भाजपा की तरफ 43 और विपक्ष की तरफ 44 सदस्यों के मामले में 10 विधायकों वाली जजपा की भूमिका काफी अहम हो जाती है। दुष्यंत चौटाला की पार्टी के कुछ विधायकों की पार्टी से नाराजगी की खबरे आती रही हैं। जजपा के दो विधायक जोगीराम सिहाग और राम निवास सुरजाखेड़ा ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की है। जजपा ने स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता को पत्र लिखकर इन दोनों विधायकों के खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की मांग भी की है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनावी शतरंज में बाजी कौन मारता है।
एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस
महाराष्ट्र में क्या गणित है?
यहां छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोंसले और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के कारण राज्यसभा की सीटें खाली हो गईं। राज्य में सत्तारूढ़ महायुति के पास पर्याप्त संख्या बल है। इसके बावजूद विपक्ष द्वारा उम्मीदवार उतारने की स्थिति में यहां मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान न मिलने से एनडीए के घटक दलों में शिवसेना और एनसीपी में नाराजगी के सुर दिखाई पड़े हैं। इस बीच, उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार ने राज्यसभा उपचुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है।