नई दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व संक्रामक रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रमन आर गंगाखेड़कर का कहना है कि जिन्होंने कोरोना का टीका लिया है उन्हें किसी भी तरह का जोखिम नहीं है। सभी टीकों पर वैज्ञानिक परीक्षण हुए हैं।
विभिन्न टीकों की बदौलत बीते 200 साल में करोड़ों बच्चे और वयस्क बीमारियों से बचे हैं। भारत में हर साल नवजात शिशु और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण होता है, जिसका कवरेज साल 2023 में 81 फीसदी पहुंचा। लोगों के भरोसे से यह भी मुमकिन रहा कि भारत में कोरोना का टीकाकरण पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा 220 करोड़ रहा। एस्ट्राजेनेका के बयान के बाद कोरोना टीका को लेकर लोगों में घबराहट पर देश के वैज्ञानिक और डॉक्टरों ने टीके के दुष्प्रभावों के प्रति निश्चिंत रहने की बात कही है।
पहली खुराक के बाद जोखिम, दूसरी-तीसरी के बाद बहुत कम
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व संक्रामक रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रमन आर गंगाखेड़कर का कहना है कि जिन्होंने कोरोना का टीका लिया है उन्हें किसी भी तरह का जोखिम नहीं है। सभी टीकों पर वैज्ञानिक परीक्षण हुए हैं। अगर किसी को टीके का दुष्प्रभाव होता है तो उसका जोखिम सबसे ज्यादा पहली खुराक के दौरान होता है। दूसरी या तीसरी खुराक में यह जोखिम बहुत कम होता है, क्योंकि तब तक शरीर को उस वायरस की आदत लग चुकी होती है। परीक्षण के दौरान ही टीके के सीमित दुष्प्रभावों के बारे में पता था। अब तीन साल बाद लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
चिकित्सा में जब भी दुष्प्रभावों की बात आती है तो सिर्फ टीके के बारे में चर्चा नहीं होनी चाहिए। किसी भी व्यक्ति या मरीज में टीका और दवा या फिर किसी इलाज का दुष्प्रभाव हो सकता है। यह लाभ बनाम जोखिम पर चर्चा आज कोई नई नहीं है। यह हमेशा से बहस का मुद्दा भी रहा है। हमेशा से लाभ ज्यादा हैं, दुष्प्रभाव कम। यदि किसी व्यक्ति को जोखिम से ज्यादा लाभ हो रहा है तो उस दवा या टीके का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। -डॉ. अरुण गुप्ता, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष और बाल रोग विशेषज्ञ
अगर हम इस बात पर भरोसा करें कि कोरोना का टीका लगने की वजह से देश में हार्टअटैक बढ़ गया है तो लोगों को यह भी समझना चाहिए कि हार्टअटैक कोई नया नहीं है। कोरोना हमारे यहां 2020 में आया है, लेकिन हार्टअटैक के मामले सालों से है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का आंकड़ा है कि 2019 में 28 हजार लोगों की हार्टअटैक से मौत हुई। यह आंकड़ा 2020 में 28,680 और 2021 में 28,449 रहा। -डॉ. समीरन पांडा, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व संक्रामक रोग विभागाध्यक्ष
जिन्हें कोविशील्ड टीका लगा, वे चिंतित न हों
डॉ. चंद्रकांत लहरिया का कहना है कि जिन लोगों ने कोविशील्ड की दो या फिर तीन खुराक ली हैं उन्हें चिंतित होने की जरूरत नहीं है। तरह-तरह की खबरों पर यकीन कर लोगों को लग रहा है कि कोरोना टीका की वजह से भारत में दिल के दौरे की घटनाएं बढ़ी हैं, जबकि वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर कहें तो ऐसी आशंका बहुत कम है। भारत में स्वतंत्र वैज्ञानिक अध्ययन में टीका और दिल के दौरे के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया है। टीका से जुड़े कोई भी दुष्प्रभाव कुछ मिनट या दिन में पता चल जाते हैं। देश में अभी कोरोना काबू में है और टीकाकरण नहीं हो रहा है।