नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) से इलेक्टोरल बॉन्ड पर प्राप्त ताजा जानकारी के डेटा को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। यह डेटा आयोग ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा था। कोर्ट ने बाद में आयोग से इस डेटा को सार्वजनिक करने के लिए कहा था।
जानकारी के मुताबिक बीजेपी को सबसे अधिक लगभग 70 अरब का चंदा मिला है। इसके बाद पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को 1,397 करोड़ रुपये, कांग्रेस को 1,334 करोड़ रुपये और बीआरएस को 1,322 करोड़ रुपये मिले। इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा हासिल करने वालों में बिहार के सियासी दल भी पीछे नहीं है। बिहार में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी को इलेक्टोरल बॉन्ड से करीब 72.50 करोड़ रुपये तो जेडीयू को 13 करोड़ रुपये मिले हैं।
इस बीच 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले प्राप्त दान पर, जेडीयू ने एक विचित्र स्पष्टीकरण दिया, जिसका एक पत्र अब वायरल हो रहा है। इस पत्र के मुताबिक 10 अप्रैल, 2019 जेडीयू को करोड़ों रुपये मिले हैं मगर इसमें जेडीयू ने ये कहा कि उन्हें दानदाताओं के बारे में पता नहीं था और उन्होंने यह जानने की कोशिश भी नहीं की कि दानकर्ता कौन थे।
जनता दल यूनाइटेड के मुताबिक 3 अप्रैल 2019 को उनके पार्टी दफ्तर में कोई आया और एक सील बंद लिफाफा दे गया। इसके बाद जब लिफाफा खोला गया तो उसमें एक-एक करोड़ के 10 इलेक्टोरल बॉन्ड निकले।जनता दल यूनाइटेड ने कहा, “हमें दानदाताओं के ब्योरे के बारे में जानकारी नहीं है, न तो हम जानते हैं और न ही हमने जानने की कोशिश की है क्योंकि जब हमें बांड प्राप्त हुए, तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय का आदेश अस्तित्व में नहीं था और केवल भारत सरकार की राजपत्र अधिसूचना थी।”
हालांकि नीतीश कुमार के आदेश पर जनता दल यूनाइटेड अर्थात जदयू ने इस बात का ऐलान किया कि उन्हें इलेक्टोरल बॉन्ड द्वारा चंदा कौन-कौन सी कंपनियों के द्वारा दिया गया। जेडीयू के मुताबिक भारती एयरटेल और श्री सीमेंट ने पार्टी को 3 करोड़ रुपये चंदा दिए। हालांकि जेडीयू को 10 करोड़ रुपये किसने दिए ये अभी भी एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है।