रायपुर।प्रदेश में सबसे ज्यादा आबादी साहू समाज के लोगों की है। इनकी संख्या 30 लाख 5 हजार 661 है। इसका खुलासा भूपेश कार्यकाल में बनवाई गई क्वांटिफायबल डेटा लीक से हुआ है जो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। जिसके मुताबिक 1 करोड़ 25 लाख 7 हजार 169 हेडकाउंट में सबसे बड़ा ओबीसी वर्ग है। यहां 95 जातियों के सदस्य OBC और आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणियों से ताल्लुक रखते हैं।
प्रदेश में दूसरी बड़ी जाति यादवों की है। इनकी संख्या 22 लाख 67 हजार 500 है। तीसरे नंबर पर निषाद समाज के लोग हैं। इनका हेडकाउंट 11 लाख 91 हजार 818 है। चौथे नंबर पर कुशवाहा समाज के सदस्य है। इनकी संख्या 8 लाख 98 हजार 628 है। वहीं पांचवे नंबर पर कुर्मी जाति है, इनकी संख्या प्रदेश में 8 लाख 37 हजार 225 है।
आयोग की रिपोर्ट के अनुसार आबादी का प्रतिशत
जाति | आबादी | प्रतिशत |
साहू, तेली | 30 लाख 5 हजार 661 | 24.03 |
यादव, राउत | 22 लाख 67 हजार 500 | 18.12 |
ढीमर/ केवट | 11 लाख 91 हजार 818 | 9.52 |
मरार/पटेल | 8 लाख 98 हजार 628 | 7.18 |
कुर्मी, चंद्रनाहू | 8 लाख 37 हजार 225 | 6.69 |
पनिका | 4 लाख 2 हजार 894 | 3.22 |
कलार, जायसवाल | 3 लाख 91 हजार 176 | 3.12 |
मुस्लिम धर्मावलंबी वर्ग समूह | 3 लाख 81 हजार 323 | 3.04 |
कोष्टा, देवांगन | 3 लाख 20 हजार 33 | 2.55 |
धोबी, रजक | 3 लाख 16 हजार 953 | 2.53 |
कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर क्वांटिफायबल डाटा आयोग का गठन हुआ था। सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा 11 सितंबर 2019 को इस संबंध में निर्देश जारी किया गया था। राज्य सरकार ने बिलासपुर जिला एवं सेशन जज के पद से सेवानिवृत्त छविलाल पटेल को आयोग का अध्यक्ष बनाया था। इसका कार्यालय सागौन परिसर बंगला के पास था।
आयोग के अध्यक्ष ने रिपोर्ट 21 नवंबर 2022 को भूपेश बघेल सरकार को सौंपा था। रिपोर्ट का आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया गया। कांग्रेस सरकार ने डेढ़ साल तक इसे गोपनीय रखा। बीते दिनों विधानसभा में क्वांटिफायबल डाटा आयोग के आंकड़ों पर चर्चा हुई, तो सीएम विष्णुदेव साय ने इस आंकड़े को सार्वजनिक करने की बात कही थी।
सरकार इस आंकड़े को सार्वजनिक करती, इससे पहले ही सर्वे का डाटा सोशल मीडिया में वायरल हो गया। सोशल मीडिया में वायरल आंकड़ा सही है या नहीं, इस बात की जानकारी नहीं है।
कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय ठाकुर के मुताबिक डेटा सार्वजनिक करने से पहले लीक होना साय सरकार की विश्वसनीयत पर सवाल उठाता है। भूपेश कार्यकाल में इसका सर्वे कराकर सुरक्षित रखा गया था। साय सरकार ने डेटा जल्द सार्वजनिक करने की बात कही थी। इसकी जांच होनी चाहिए। वहीं भाजपा प्रवक्ता केदार गुप्ता के मुताबिक भूपेश बघेल आरक्षण विरोधी थे, इसलिए सोच समझकर रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया था।