रामलला: सोने की छेनी व चांदी की हथौड़ी से गढ़ी गईं बालक राम की आंखें, मूर्ति निर्माण के समय वानर आते थे देखने

Ramlala: The eyes of child Ram were carved with a gold chisel and a silver hammer

अयोध्या। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा नए मंदिर में हो चुकी है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला की मूर्ति में देवत्व आ चुका है। पत्थर की मूर्ति से देवमूर्ति बनने के सफर के साक्षी रहे हैं संघ से जुड़े संस्कृत और संगीत के आचार्य सुमधुर शास्त्री। सुमधुर ने मूर्ति निर्माण के दौरान हुईं चमत्कारिक घटनाओं की जानकारी दी। उनका दावा है कि रामलला की मूर्ति निर्माण के दौरान वानर स्वरूप में हनुमान जी उन्हें देखने आते थे। स्वर्ण की छेनी व चांदी की हथौड़ी से रामलला की आंखें गढ़ी गई हैं।

सुमधुर शास्त्री बताते हैं कि प्रभु रामलला को शिलारूप में प्रकट होते देखा है। मूर्ति निर्माण के दौरान हनुमानजी के रूप में वानर राज आते और दर्शन करके चले जाते। यह वाकया रोजाना शाम को 5:30 से 6:00 बजे के बीच होता। जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई और 23 जनवरी को राम भक्तों के लिए मंदिर खोला गया, उस दिन भी रामलला के दर्शन के लिए वानर रूप में हनुमानजी गर्भगृह में आए हुए थे। वह लगभग पांच मिनट तक रामलला की प्रतिमा को देखते रहे। थोड़ी देर बाद ही वह चुपचाप रामभक्तों के बीच में से चले गए।

उन्होंने बताया कि मूर्तिकार अरुण योगीराज को बालस्वरूप रामलला की मूर्ति बनाने में सात महीने का वक्त लगा है। मूर्ति की सबसे खास बात यह है कि जब आप दर्शन करेंगे तो वह मुस्कुराते हुए दिखाई देंगे। अचल मूर्ति के निर्माण के लिए ट्रस्ट ने तीन मूर्तिकारों का चयन किया था। सबसे अंत में मूर्ति का निर्माण अरुण योगीराज ने ही शुरू किया था। सभी मूर्तिकारों को ट्रस्ट के निर्देश थे कि रामलला की छवि बाल स्वरूप की हो। नख से लेकर शिख तक 51 इंच की लंबाई हो। बाल सुलभ छवि और मुस्कान उभर कर आए।

20 मिनट में गढ़े गए थे रामलला के नेत्र

Ramlala: The eyes of child Ram were carved with a gold chisel and a silver hammer

सुमधुर ने बताया कि मूर्ति के नेत्र विशेष मुहूर्त में तैयार किए जाते हैं। कर्मकुटी की विधान पूजा के बाद नेत्र को बनाने के लिए सोने की छेनी और चांदी की हथौड़ी का इस्तेमाल किया गया। नेत्र बनाने में मात्र 20 मिनट का वक्त लगा। भगवान राम के नेत्र अलौकिक हैं। कहीं से भी प्रभु श्री राम के दर्शन करेंगे तो ऐसा अहसास होगा कि रामलला आपको ही देख रहे हैं।

उत्तर भारतीय मंदिरों का किया अध्ययन
भगवान के उत्तर भारतीय स्वरूप को समझने के लिए स्वामी नारायण छपिया मंदिर गए। नैमिषारण्य के मंदिर देखे। दिग्गज संत-आचार्यों से राय ली गई। रामचरित मानस व रामायण में वर्णित श्रीराम के स्वरूपों के बारे में जानकारी हासिल की। कई श्लोक अरुण योगीराज ने लिखकर रखे थे। निर्माण के दौरान मुझसे उनका अर्थ भी पूछते थे। मूर्ति निर्माण के दौरान अरुण योगीराज के साथ भाषा की मुश्किल आती रही। हाव-भाव से हम एक दूसरे की बात समझ जाते थे।