नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर नौ फरवरी तक चलेगा। दस दिनों के बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होगी और उसी दिन आर्थिक सर्वे पेश किए जाने की संभावना है। दस दिन तक चलने वाला यह बजट सत्र अंतरिम बजट होगा और इसमें सरकार केवल आवश्यक खर्चों के लिए अनुमति मांगेगी। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले पेश किए जाने वाले इस बजट के लोकलुभावन नीतियों से भरपूर होने की संभावना है।
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी सरकार ने आयकर की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया था, जिसका बहुत स्वागत किया गया था। इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा कही जाने वाली चार विशेष जातियों महिलाओं, युवाओं, किसानों और गरीबों के लिए विशेष योजनाएं पेश की जा सकती हैं।
आर्थिक मामलों के जानकारों के अनुसार, इस बार बजट में आयकर सीमा को बढ़ाने की संभावना नहीं है। प्रत्यक्ष आयकर दाताओं की संख्या पहले ही बहुत कम है, इसलिए सरकार आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर अपनी आय कम करने की बात नहीं सोचेगी। उसे लोक कल्याणकारी योजनाओं के लिए पर्याप्त पैसे की भी आवश्यकता है। ऐसे में वह अपनी आय कम करने का कोई भी रास्ता नहीं अपनाएगी। हालांकि, किसी नए कर प्रस्ताव के न आने की भी संभावना हो सकती है।
आयकर में बदलाव की संभावना कम
आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. नागेंद्र कुमार ने बताया कि सरकार की सबसे ज्यादा आय अप्रत्यक्ष करों के माध्यम से हो रही है। जीएसटी कर संग्रह लगातार 1.50 लाख करोड़ सीमा को पार कर रहा है। इसको और ज्यादा बढ़ाने से सरकार की आय में वृद्धि हो सकती है।
लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि लोगों के हाथ में ज्यादा पैसे रहें और वे आवश्यक चीजों की बढ़-चढ़कर खरीद करें। ऐसे में सरकार आयकर बढ़ाकर लोगों के हाथों से पैसा कम करने का कोई उपाय नहीं करेगी। लेकिन अपनी आय कम करने के डर से वह आयकर छूट की सीमा बढ़ाने से बचने की नीति अपना सकती है।