अयोध्या। ससुराल जनकपुर से दामाद श्रीराम के लिए भारी संख्या में उपहार शनिवार को अयोध्या पहुंचे तो भारत-नेपाल के बीच त्रेतायुगीन रिश्तों की डोर और भी मजबूत होती दिखी। मिथिला का कण-कण खिला, जमाई राजा राम मिला…मिथिला नगरिया निहाल सखियां, चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखियां…की धुन से रामनगरी गूंज उठी। 40 कारों और सात बसों-ट्रकों से 581 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने के बाद अपने रामलला के लिए भार लेकर पहुंचे ससुरालियों के चेहरों की रौनक देखते ही बन रही थी।
शनिवार को माता सीता की जन्मस्थली से उनकी ससुराल में भार लेकर नेपाल से श्रद्धालुओं का काफिला पहुंचा। यात्रा वैसे तो तीन हजार थाल लेकर आरंभ हुई थी, लेकिन अयोध्या पहुंचते-पहुंचते इसकी संख्या पांच हजार से ज्यादा हो गई। जानकी मंदिर के छोटे महंत राम रोशन दास के नेतृत्व में तीन ट्रक में भार का सामान लेकर करीब आठ सौ श्रद्धालु आए हैं।
अपने पाहुन (दामाद) और अपनी दीदी के लिए भार लेकर अयोध्या पहुंचे श्रद्धालुओं के चेहरे की चमक देखते ही बन रही थी। अपने दामाद के घर पहुंच कर जनकपुरवासियों ने कारसेवकपुरम में शादी-ब्याह में होने वाले सोहर गीत पर नृत्य भी किया। जानकी मन्दिर के तरफ से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को भार समर्पण किया गया।
कृषि विभाग से सेवानिवृत्त हो चुके हरिश्चंद्र यादव ने बताया कि हमारे दामाद भगवान राम का नया घर तैयार हो रहा है। रस्मों के अनुसार जब दामाद का घर तैयार हो जाता है तो उनकी ससुराल से भार आता है। प्रभु राम अपने भव्य महल में विराजमान होने जा रहे हैं।
उपहार में आभूषण कपड़े और मिष्ठान
प्रभु राम के भव्य महल में विराजमान होने से पहले उनकी ससुराल से आए भार में अलग-अलग प्रकार के पकवान और आभूषण शामिल हैं। इसके अलावा कपड़े और तरह-तरह के पांच हजार से भी ज्यादा उपहार हैं।
- उपहार लेकर पहुंचीं बिंदु ठाकुर ने बताया कि जब वे जनकपुर से निकलीं तो उनकी संख्या पांच सौ के करीब थी। अयोध्या पहुंचते-पहुंचते यह संख्या आठ सौ हो गई।
- रास्ते में जगह-जगह रंगोली बनाई गई थी, लोग पुष्पवर्षा कर रहे थे। अपनी क्षमता व भाव के अनुसार रामलला के लिए उपहार भी दे रहे थे। हर कोई रामलला के लिए कुछ न कुछ अर्पित करना चाह रहा है।
रामलला दरबार में हाजिरी
जनकपुर के मेयर मोहन शाह और जानकी मंदिर जनकपुर के महंत रामतपेश्वर दास के साथ जनकपुरवासियों के समूह ने शनिवार को रामलला दरबार में हाजिरी लगाई। पहला भार उन्हें ही अर्पित किया गया। सभी उपहारों को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंप दिया गया।
एक संधि से नेपाल में गया था जनकपुर
नेपाल का जनकपुर बिहार के दरभंगा से 40 किमी दूर है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता का जन्म जनकपुर में ही हुआ था। वर्ष 1816 में नेपाली शासकों और ईस्ट इंडिया कंपनी में हुई सुगौली संधि के बाद मिथिला राज्य का उत्तरी भाग नेपाल में चला गया। इसी में जनकपुर है। जनकपुर वही स्थान है, जहां देवी सीता राजा जनक को खेत में हल चलाते वक्त मिली थीं।
इस रास्ते से आए
जनकपुरधाम से जलेश्वर, सर्लारी के मलंगवा होते हुए सिमरौनगढ़, प्रसिद्ध गढ़ीमाई मंदिर के दर्शन के बाद बीरगंज में विश्राम, 5 जनवरी को बीरगंज से वाल्मीकिनगर, बेतिया, बगहा, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर होते हुए गोरखपुर के रास्ते देर रात अयोध्या पहुंची।
जनकपुर से आया भार
विवाह के बाद जिस रास्ते से सीताजी को लेकर आए श्रीराम, उसी मार्ग से आए ससुराल से उपहार
- 581 किमी की दूरी तय की
- 800 लोग आए हैं रामजी के ससुराल से
- 03 हजार थाल लेकर चले थे, अयोध्या आते-आते हो गए पांच हजार
नेपाल में भी दीपोत्सव
प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन 22 जनवरी को न सिर्फ अयोध्या बल्कि पड़ोसी देश नेपाल में भी वृहद स्तर पर अनुष्ठान व उत्सव की तैयारी हो रही है। जानकी मंदिर जनकपुर के उत्तराधिकारी महंत राम तपेश्वर दास ने बताया कि नेपाल में 20 जनवरी से उत्सव की शुरुआत हो जाएगी। घर-घर पूजा-पाठ व अनुष्ठान होगा। रामजानकी मंदिर में इस दिन शाम को सवा लाख दीप जलाकर खुशी मनाई जाएगी, पूरे जनकपुर में दीपोत्सव मनेगा।