किस रंग की होगी रामलला की मूर्ति: श्याम होगी या श्वेत, इसको लेकर हुई वोटिंग, जानिए क्या हुआ फैसला

What color will Ramlala's idol be? Voting took place on whether it will be black or white

अयोध्या। राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठित होने वाली रामलला की अचल मूर्ति के चयन को लेकर शुक्रवार को करीब पांच घंटे तक मंथन चला। बाल स्वरूप भगवान राम किस शिला के, किस रंग के व किस रूप के होंगे, इसके लिए आखिरकार वोटिंग करवानी पड़ी। ट्रस्ट के सभी सदस्यों ने एक, दो व तीन नंबर के क्रम में वोट दिए। इसके बाद टीम ने निर्णय सुरक्षित कर लिया। अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास की सहमति बाकी है। ट्रस्ट के सूत्रों के मुताबिक, ट्रस्टियों को कर्नाटक के अरुण योगीराज की श्याम शिला वाली मूर्ति ज्यादा भायी है। हालांकि, ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

सुबह दस बजे कारसेवकपुरम में बैठक शुरू हुई। ट्रस्ट के सभी पदाधिकारियों ने अचल मूर्ति को लेकर अपनी राय दी। सभी की राय को एकत्रित किया गया। इसके बाद ट्रस्ट के सभी पदाधिकारी रामसेवकपुरम पहुंचे, जहां तीनों मूर्तियों को सभी ने देखा। मूर्तिकारों से बातचीत की। बैठक के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि ने बताया कि तीनों मूर्तिकारों ने बहुत ही बेहतरीन काम किया है। किसी एक मूर्ति का चयन करना हमारे लिए कठिन हो गया है। सभी ट्रस्टियों ने व्यक्तिगत मत दिए हैं। जल्द अचल मूर्ति का चयन हो जाएगा। अंतिम निर्णय ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास करेंगे।

राममंदिर के ट्रस्टी युगपुरुष परमानंद ने बताया कि तीनों मूर्तिकारों का परिश्रम, चिंतन लाजवाब है। मूर्तियों को देखकर लगता है कि इन्होंने रामायण व शास्त्रों का गहन अध्ययन करने के बाद मूर्ति निर्माण किया है। मूर्तियां शास्त्रोक्त व रामायण काल के आधार पर बनाई गई हैंं। तीनों मूर्तियों में बाल सुलभ कोमलता झलक रही है। भगवान श्रीराम के चरण रज से शिला भी जीवंत हो उठती है। वह जिस शिला में प्रकट होना चाहेंगे, उस शिला में स्वयं आकार ले लेंगे।

बैठक में राममंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र, ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, जगद्गुरु वासुदेवानंद सरस्वती, महंत दिनेंद्र दास, डॉ़ अनिल मिश्र, कामेश्वर चौपाल, बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, जिलाधिकारी नितीश कुमार शामिल रहे। के़ पराशरण, जगद्गुरु विश्वप्रसन्न तीर्थ, प्रदेश सरकार के गृह सचिव संजय प्रसाद से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये राय ली गई है।

अचल मूर्ति के लिए मंगाए गए थे 12 पत्थर
रामलला की अचल मूर्ति निर्माण के लिए नेपाल की गंडकी नदी समेत कर्नाटक, राजस्थान व उड़ीसा के उच्च गुणवत्ता वाले 12 पत्थर ट्रस्ट ने मंगाए थे। इन सभी पत्थरों को परखा गया तो राजस्थान व कर्नाटक की शिला ही मूर्ति निर्माण के लायक मिली। देश के तीन प्रसिद्ध मूर्तिकार इन शिलाओं पर रामलला के बाल स्वरूप को जीवंत करने में जुट गए। राजस्थान की संगमरमर शिला पर विग्रह बनाने का काम मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय कर रहे हैं। कर्नाटक की श्याम रंग की एक शिला पर मूर्तिकार गणेश भट्ट व दूसरी शिला पर अरुण योगीराज ने रामलला की अद्भुत छवि उकेरी है।

इसलिए हुआ था कर्नाटक व राजस्थान की शिला का चयन
कर्नाटक की श्याम शिला व राजस्थान के मकराना के संगमरमर शिला को इनकी विशेष खासियतों के चलते चुना गया। मकराना की शिला बहुत कठोर होती है और नक्काशी के लिए सर्वोत्तम होती है। इसकी चमक सदियों तक रहती है। वहीं कर्नाटक की श्याम शिला पर नक्काशी आसानी से होती है। ये शिलाएं जलरोधी होती हैं, इनकी आयु लंबी होती है।

मूर्ति निर्माण के तय हुए थे ये मानक
– मूर्ति की कुल ऊंचाई 52 इंच हो
– श्रीराम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हों
– मस्तक सुंदर, आंखें बड़ी और ललाट भव्य हों
– कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति
– हाथ में तीर व धनुष
– मूर्ति में पांच साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलके।