राम रहीम की फरलो बनी राजनीतिक चर्चा का विषय, राजस्थान चुनाव में पड़ सकता है बड़ा असर

नईदिल्ली : डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम के फरलो पर आने का सीधा असर राजस्थान चुनावों पर देखने को मिल सकता है। डेरा सच्चा सौदा का बड़ा प्रभाव हरियाणा के साथ लगती राजस्थान बेल्ट में देखने को मिलता है। इसीलिए राजस्थान चुनावों के मद्देनजर राम रहीम को फरलो मिलना, एक चुनावी चर्चा बन गया है। चुनावी तौर पर उसकी फरलो को देखा जा रहा है। हालांकि इस संबंध में डेरा प्रबंधन कुछ भी कहने से गुरेज करता नजर आता है।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार डेरा प्रमुख का प्रभाव कई लोकसभा व विधानसभा क्षेत्रों पर देखने को मिलेगा। 20 से 30 के आसपास विधानसभा क्षेत्रों को यह प्रभावित करेगा। राजस्थान के हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चुरू, झुंझुनूं , तारानगर और सीकर जैसे क्षेत्र में प्रभाव है।

इसके अतिरिक्त झालावाड़, जयपुर, उदयपुर क्षेत्र में डेरे का प्रभाव है। डेरे के अनुयायी हैं। श्रीगंगानगर में राम रहीम का जन्म स्थान होने के कारण इस जोन में भी अनुयायी हैं। यही वजह है कि फरलो पर राम रहीम के आने के बाद राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं।

सरकार अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए अपराधी को छूट दे रही है : अंशुल छत्रपति
राम रहीम को फरलो देने पर अंशुल छत्रपति ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि न्यायपालिका ने दुष्कर्म और हत्या मामले में राम रहीम को सजा दी है। कहा कि न्यायपालिका ने बिना छूट के सजा राम रहीम को सुनाई है। उसके बावजूद सरकार उसे छूट पर छूट दिए जा रही है। कानून की दुहाई सरकार दे रही है। सरकार कहती है कानून के तहत पैरोल और फरलो दी जा रही है। एक ही देश में अलग-अलग कानून कैसे हो गए हैं। कई उदाहरण ऐसे हैं, जिनमें जिन लोगों को इस तरह के अपराध में सजा हुई है और उन्हें कोई पैरोल या फरलो नहीं दी गई है।

उन्होंने कहा कि गुरमीत राम रहीम के लिए कौन सा ऐसा कानून है, जो उसे सरकार छूट पर छूट दिए जा रही है। सरकार को ऐसा कौन-सा फायदा मिल रहा है जो कानून में बदलाव कर रही है। आरोप लगाया कि सरकार अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति करने में लगी हुई है। गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि गुरमीत के धनबल और जनबल के मार्फत उसे यह लाभ दिया जा रहा है। जो सरासर गलत है।