World Cup 2023: जब 40 साल पहले विश्वविजेता बनी थी टीम, 30 हजार लोगों ने किया स्वागत; तोड़ दिए थे होटल की शीशे

When Indian cricket team became world champion 40 years ago people welcomed in agra glass of hotel broken

आगरा। क्रिकेट विश्वकप का फाइनल मुकाबला रविवार को अहमदाबाद में होगा। इस विश्वकप फाइनल से पहले शहर के लोगों की 40 साल पहले की यादें ताजा हो गईं, जब भारत ने पहली बार 25 जून, 1983 को दो बार की विश्व विजेता वेस्टइंडीज की टीम को हराया था। रेडियो पर लोगों ने मैच की कमेंट्री सुनी थी और सुबह के अखबार में भारतीय टीम के जीतने की खबर देखी।

विश्वकप जीतने के बाद कपिल देव के नेतृत्व वाली टीम जब कुछ समय बाद आगरा आई तो स्टेडियम में 30 हजार लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया था। तब मानो पूरा शहर खिलाड़ियों की एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़ा था। होटल क्लार्क्स शिराज में स्टेडियम के समारोह के बाद जब क्रिकेट खिलाड़ी दोपहर में भोज के लिए पहुंचे तो प्रशंसकों ने होटल के शीशे ही तोड़ दिए। 

सनी और कपिल के नाम से थे क्रिकेट टीम के जूते
जूता निर्यातक हरविजय बाहिया 1983 के विश्वकप की यादें ताजा करते हुए बताते हैं कि क्रिकेट टीम के खिलाड़ी सुनील गावस्कर को जूते से तकलीफ थी। वह चेन्नई के चेपक स्टेडियम में उनसे मिले, तब उनकी समस्या दूर करने के लिए उन्होंने आगरा में खिलाड़ियों के लिए जूते बनवाए। लाइफ नाम से पेश किए स्पोर्ट्स शूज पर सुनील गावस्कर के नाम पर सनी लिखा गया। बाद में इन पर कपिल देव के हस्ताक्षर छपे हुए आने लगे। विश्वकप जीतने वाली टीम के सदस्य मदनलाल, रोजर बिन्नी समेत खिलाड़ियों ने आगरा के बने जूतों को ही पहनकर मैदान में जलवा दिखाया। बाहिया ही इन रिश्तों के कारण भारतीय टीम को आगरा लेकर आए थे।

रेडियो पर सुनी थी तब कमेंट्री
1982 के एशियाड गेम्स के दौरान टीवी घरों में खरीदा जाने लगा, लेकिन तब केवल चुनिंदा घरों में ही टीवी थे। अधिकांश लोग रेडियो पर ही मैच की कमेंट्री सुनते थे। होटल कारोबारी रमेश बाधवा बताते हैं कि आज की तरह टीवी स्क्रीन तो थी नहीं, दोस्तों के साथ क्रिकेट मैच का हाल रेडियो पर सुना। रेडियो भी कॉलोनियों में कुछ घरों में ही था, जिस पर बार-बार व्यवधान भी आता था। रणजी टीम के खिलाड़ी केके शर्मा बताते हैं कि वह उन दिनों सीके नायडू टूर्नामेंट में प्रदेश की क्रिकेट टीम का हिस्सा थे। उन्होंने भारतीय टीम के जीतने की खबर अगले दिन पढ़ी तो खुशी का ठिकाना न रहा। तब ट्रांजिस्टर की अनुमति भी नहीं थी।

दोपहर में आई आंधी, फिर टीम ने मचाया कहर
क्रिकेट प्रशंसक ललितेंद्र कुमार बताते हैं कि जिस दिन 1983 में भारत फाइनल मैच खेल रहा था, उस दिन तेज आंधी आई थी। कुछ दोस्तों के घर ब्लैक एंड व्हाइट टीवी थे, लेकिन पूरे शहर की लाइट गुल हो गई थी। तब रेडियो पर आंखों देखा हाल सुना। वेस्टइंडीज के हर विकेट के साथ जोर से चिल्लाते तो परिवार के लोग शांत कर देते।