लखनऊ। क्या भाजपा के सांसद वरुण गांधी अपने गांधी परिवार के और करीब आते जा रहे हैं। क्या वरुण गांधी आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से अमेठी या रायबरेली के उम्मीदवार हो सकते हैं। दरअसल सियासी गलियारों में यह कयास इसलिए लगाए जा रहे हैं, क्योंकि रायबरेली के मुंशीगंज स्थित संजय गांधी अस्पताल का उत्तर प्रदेश सरकार ने लाइसेंस रद्द कर दिया। इस अस्पताल का शुभारंभ उनकी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। इलाके के मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं और अपनी दादी के हाथों से उद्घाटन किए गए अस्पताल के निलंबन पर वरुण गांधी ने उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक को लंबी चौड़ी चिट्ठी लिखी है। पहले भी सियासी गलियारों में कई यह बात उठती रही है कि क्या वरुण गांधी आने वाले चुनाव में कांग्रेस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सियासी मैदान में अपनी राजनीति करते दिखेंगे। क्योंकि उन्होंने जिस तरीके से इलाके की जनता को हो रही परेशानी के लिए चिट्ठी लिखी है, उससे सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार एक बार फिर से गर्म हो गया है।
दरअसल रायबरेली के मुंशीगंज स्थित संजय गांधी अस्पताल में पथरी का इलाज कराने पहुंची एक महिला की सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया की ओवरडोज दिए जाने की शिकायत सामने आई। उसके बाद वह महिला बेहोश हो गई और कोमा में चली। लखनऊ के मेदांता अस्पताल आगे के इलाज के लिए भेजा गया, जहां उसकी मौत हो गई। इस घटना से नाराज होकर परिजनों और गांव के लोगों ने प्रदर्शन के बाद अस्पताल के सीईओ और तीन अन्य चिकित्सकों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। रायबरेली के सीएमओ डॉक्टर अंशुमान सिंह बताते हैं कि जिला प्रशासन की ओर से संजय गांधी का अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करते हुए नोटिस जारी कर ओपीडी और इमरजेंसी सेवा बंद करने का निर्देश दिया गया है।
इसी घटना के बाद पीलीभीत के भाजपा सांसद वरुण गांधी ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को लंबी चौड़ी चिट्ठी लिखकर योगी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करने पर न सिर्फ गहरी नाराजगी जताई, बल्कि अस्पताल के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई में गहन जांच के न होने की भी बात कहते हुए तमाम सवाल खड़े कर दिए। अपनी चिट्ठी में संजय गांधी ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह मरीज के हितों को ध्यान में रखते हुए उनकी चिट्ठी में की गई मांग पर विचार किया जाए। वरुण गांधी ने लिखी गई चिट्ठी में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि इस अस्पताल का शिलान्यास 1982 में देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। यह अस्पताल कई दशकों तक अमेठी और इसके पड़ोसी जिलों में लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल सहायता के एक दृढ़ स्तंभ के रूप में खड़ा रहा है। यह संस्थान वर्षों से कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, जनरल सर्जरी और स्त्री रोग सहित विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक और बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिहाज से महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है।
चिट्ठी के पूरे मजमून पर राजनीतिक जानकार तमाम तरह के अब कयास लग रहे हैं। रायबरेली के स्थानीय वरिष्ठ नेता अतहर हुसैन कहते हैं कि जिस तरीके से संजय गांधी ने इस अस्पताल के लाइसेंस रद्द होने पर स्थानीय और आसपास के जिलों के लोगों को होने वाली समस्याओं को प्रमुखता से उठाया है, उससे स्पष्ट होता है कि वह यहां की जनता के लिए कितने सजग हैं। अतहर कहते हैं कि यह बात बिल्कुल सच है कि संजय गांधी अस्पताल से आसपास के इलाकों के लोगों को न सिर्फ बेहतर इलाज मिलता है, बल्कि लखनऊ या अन्य बड़े शहरों की ओर जाने से भी राहत मिलती है। अब जब इस अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है, पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी का यहां की जनता के लिए आवाज उठाना सियासत में कई तरह की चर्चाओं को जन्म तो देता ही है। अतहर कहते हैं कि वह लंबे समय से मांग करते आए हैं कि वरुण गांधी को कांग्रेस के साथ मिलकर सियासी मैदान में उतरना चाहिए। अब तो वरुण गांधी ने स्थानीय लोगों की आवाज को उठाना भी शुरू कर दिया है।
राजनीतिक जानकारों का भी कहना है कि जिस तरीके से वरुण गांधी भाजपा और उनकी नीतियों को लगातार निशाने पर लेते आ रहे हैं उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले लोकसभा के चुनाव में उनका सियासी ठिकाना बदल सकता है। राजनीतिक जानकार मुकेश सिंह कहते हैं कि पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं, जिससे स्पष्ट हुआ है कि अगले चुनाव में वरुण गांधी भाजपा से अलग होकर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। हालांकि स्पष्ट रूप से अभी किसी भी सियासी दल ने और वरुण गांधी ने इस तरीके का कोई साफ-साफ संदेश तो नहीं दिया है। लेकिन कभी समाजवादी पार्टी तो कभी कांग्रेस में उनके आने की अटकलें लगती रही हैं। मुकेश सिंह कहते हैं कि अब अगर मुंशीगंज के संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस रद्द होने पर वरुण गांधी ने भाजपा सरकार को घेरकर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी है, तो उसका बड़ा सियासी संदेश रायबरेली अमेठी की जनता में जा रहा है। क्योंकि अपनी चिट्ठी में वरुण गांधी ने न सिर्फ अपनी दादी इंदिरा गांधी का जिक्र किया है, बल्कि स्थानीय लोगों को होने वाली परेशानी का भी जिक्र इस चिट्ठी के माध्यम से किया है। यही वजह है कि वरुण गांधी के अब रायबरेली या अमेठी से कांग्रेस से चुनाव लड़ने की चर्चाएं भी इलाके में होने लगी हैं।