वाराणसी। वाराणसी के बहुचर्चित ज्ञानवापी के सर्वे के मीडिया कवरेज पर रोक लगाने संबंधी मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर गुरुवार को जिला जज की अदालत का आदेश आ गया। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के संबंध में एएसआई, वादी व प्रतिवादी के अधिवक्ताओं, जिला शासकीय अधिवक्ता (दीवानी) या अधिकारियों को कोई टिप्पणी करने या किसी को सूचना देने का अधिकार नहीं है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एएसआई, वादी पक्ष और प्रतिवादी पक्ष के द्वारा कोई जानकारी न दिए जाने के बावजूद बगैर औपचारिक सूचना के सर्वे के संबंध में प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया गलत प्रकार से कोई समाचार प्रकाशित करता है तो उसके खिलाफ विधि के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जा सकती है।
मुस्लिम पक्ष ने की थी मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने अदालत में आवेदन देकर ज्ञानवापी सर्वे के संबंध में मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग की थी। मसाजिद कमेटी का कहना था कि सर्वे को लेकर तथ्यों के विपरीत रिपोर्टिंग की जा रही है। मसाजिद कमेटी के आवेदन पत्र पर जिला जज की अदालत में बुधवार को बहस हुई। इसके बाद अदालत ने आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रख ली थी। गुरुवार को जिला जज की अदालत ने अपना आदेश सुना कर आवेदन पत्र का निस्तारण किया। साथ ही, दो अन्य आवेदन पत्रों के निस्तारण के लिए सुनवाई की अगली तिथि 17 अगस्त तय की।
कोर्ट ने कहा- सर्वे की प्रकृति संवेदनशील
जिला जज की अदालत ने कहा कि न्यायालय के आदेश से जो सर्वे का कार्य चल रहा है, उसकी प्रकृति संवेदनशील है। एएसआई के अधिकारी सर्वे की रिपोर्ट केवल न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए बाध्य हैं। सर्वे के संबंध में कोई सूचना प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दिया जाना न तो औचित्यपूर्ण है और न ही विधि सम्मत है।
कोई कुछ भी कहीं साझा नहीं करेगा
अदालत ने एएसआई के अधिकारियों को आदेश दिया कि वे सर्वे के संबंध में किसी भी प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रानिक मीडिया को कोई जानकारी नहीं देंगे। सर्वे के संबंध में कोई जानकारी किसी अन्य व्यक्ति से भी नहीं साझा करेंगे और रिपोर्ट केवल न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
जिला जज की अदालत ने कहा कि वाद के वादीगण व प्रतिवादीगण, उनके अधिवक्तागण, जिला शासकीय अधिवक्ता (दीवानी) और अन्य अधिकारियों को भी आदेशित किया जाता है कि सर्वे के संबंध में कोई जानकारी प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ साझा न करें। न सर्वे से संबंधित किसी जानकारी का प्रचार-प्रसार करें। ताकि, रिपोर्ट केवल न्यायालय के समक्ष ही प्रस्तुत की जा सके।