बिलासपुर । एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने बालको को फ्लाई एश के निपटान के लिए केंद्रीय पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड (सीपीसीबी) के निर्देशों और मापदंडों का गंभीरता के साथ पालन करने के निर्देश दिये हैं। जरूरी निर्देश के साथ डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका को निराकृत कर दिया है।
कोरबा जिले के ग्राम झगरहा निवासी मृगेश कुमार यादव ने अधिवक्ता नूपुर त्रिवेदी व अंशुल तिवारी के जरिये छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। दायर याचिका में कहा कि बालको के अफसरों ने ग्राम झगरहा में फ्लाई एश से भरे वाहनों की तौल के लिए धर्म कांटा (वेट ब्रिज) लगा दिया है।
गांव के नजदीक वेट ब्रिज लगाने से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। इसका असर ग्रामीणों पर भी तेजी के साथ पड़ रहा है। बालको प्रबंधन के साथ जिला प्रशासन के अफसरों से इसकी शिकायत करते हुते वेट ब्रिज को अन्यत्र स्थापित करने की मांग की थी, लेकिन आज तक शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
बालको के अधिकारियों ने ग्राम झगरहा में अवैध रूप से वेट ब्रिज स्थापित कर दिया, जिसके कारण पूरा गांव वायु प्रदूषण से प्रभावित है। याचिका के अनुसार बाल्को से ट्रकों द्वारा वेटब्रिज में तौले जाने के लिए ले जाए जाने वाली फ्लाई ऐश के कारण प्रदूषण और धूल, जिससे विशेष क्षेत्र में मानव जाति का अस्तित्व कठिन हो जाता है। इस स्थान पर वेट ब्रिज खोलना अवैध एवं विधि विरुद्ध है।सीपीसीबी के निर्देशों का उल्लंघन
याचिका के अनुसार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मार्च, 2019 में निचले क्षेत्रों के सुधार और बंद खदानों के भंडारण के लिए फ्लाई एश के निपटान व उपयोग के लिए महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किए थे। फ्लाई एश की लोडिंग, अनलोडिंग, भंडारण, परिवहन के लिए किए जाने वाले उपाय और फ्लाई एश के परिवहन के बारे में बताया गया है। बालको के अधिकारियों को केंद्रीय प्रदूषण निवारण बोर्ड के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।
बालको व स्थानीय प्रशासन ने दिया जवाब
बालको के अलावा जिला प्रशासन की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने बताया कि केंद्र सरकार के सभी प्रावधानों और मानदंडों के साथ-साथ सीपीसीबी के दिशा निर्देशों का पालन किया जा रहा है। वेट ब्रिज को स्थापित करने वाले डीलर द्वारा वैध लाइसेंस प्राप्त करने के बाद स्थापित किया जाता है। वेट ब्रिज कंपनी की अपनी भूमि पर स्थापित है, लेकिन कुछ अनियमितताओं के कारण, इसे उसके नाम पर परिवर्तित नहीं किया गया, हालांकि कार्यवाही राजस्व अधिकारियों के समक्ष लंबित है।
याचिका में इस पर जोर
याचिकाकर्ता के वकील नूपुर त्रिवेदी ने सीपीसीबी के निर्देशों पर जोर दिया। फ्लाई ऐश की लोडिंग, अनलोडिंग, भंडारण, परिवहन के लिए दिशानिर्देश का उल्लंघन किये जाने की जानकारी भी दी। निर्देशों का हवाला भी दिया। बिजली संयंत्रों को फ्लाई एश और बाटम ऐश के शुष्क संग्रह को अधिकतम करने की आवश्यकता है और लोडिंग, अनलोडिंग, भंडारण, परिवहन और विभिन्न के दौरान उड़ने वाली धूल उत्सर्जन को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय भी अपनाने होंगे।
प्रदूषण बना बड़ा खतरा
याचिकाकर्ता का कहना है कि पावर प्लांट द्वारा सीपीसीबी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण मनुष्यों और जानवरों का जीवन प्रभावित हो रहा है। किसी भी स्थिति में, परिवहन के दौरान धूल उत्सर्जन पर नियंत्रण प्रमुख चिंता का विषय है। चूंकि फ्लाई ऐश का उपयोग विभिन्न उपयोगकर्ताओं द्वारा ईंट बनाने, सीमेंट निर्माण, निचले क्षेत्र को भरने आदि जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, इसलिए फ्लाई ऐश की हैंडलिंग और परिवहन को सीपीसीबी दिशानिर्देशों के अनुसार सख्ती से तय किया जाना चाहिए।हाई कोर्ट ने जारी किया निर्देश
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रजनी दुबे के डिवीजन बेंच में हुई। डिवीजन बेंच ने बालको कम्पनी को केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड के मापदंडों व निर्देशों का सख्ती के साथ पालने करने का निर्देश जारी किया है।
बालको के अलावा कलेक्टर कोरबा व स्थानीय प्रशासन को भी निर्देशों का पालन करने हिदायत दी है। बालको को निर्देशित किया है कि उपरोक्त दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने और क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा। इसके साथ ही जनहित याचिका को निराकृत कर दिया है।