छत्तीसगढ़: अब कोयले से प्राकृतिक गैस एवं रसायन बनाने शुरू होगी प्रक्रिया, प्रदेश के महामाया कोयला खदान में SECL ने पूरी की तैयारी

SECL ने जियोलॉजिकल सर्वे के बांद कोयला खदानों को किया चिन्हित। - Dainik Bhaskar

बिलासपुर। देश में कोयला उत्पादन करने वाली सबसे बड़ी कोल कंपनी SECL अब कोयले से प्राकृतिक गैस और रसायन बनाने की ओर कदम रखने जा रही है। इसके लिए देश भर में 67 कोयला खदानों को चिन्हिंत किया गया है, जिसमें छत्तीसगढ़ के सूरजपुर के महामाया कोयला खदान को शामिल किया गया है। जहां कोयला खदान में कोयला गैसीकरण परियोजना की मदद से प्राकृतिक गैस, मेथनॉल, अमोनिया और अन्य आवश्यक उत्पाद बनाई जाएगी। ऐसा पहली बार होगा, जब कोयले से इस तरह की गैस बनाई जाएगी।

छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के महामाया खुली खदान में कोयला गैसीकरण परियोजना लगाने के लिए SECL ने तैयारी पूरी कर ली है। कहा जा रहा है कि कोयला गैसीकरण परियोजना के माध्यम से यहां उपयुक्त डाउन स्ट्रीम प्रोडक्ट के रूप में ‘अमोनिया’ बनाने की योजना बनाई गई है। इसके लिए जियोलॉजिकल सर्वे वगैरह का काम पूरा हो गया है। अब किसी एजेंसी से अनुबंध करने पर विचार हो रहा है।

गैसीकरण के लिए गैस कंपनियों से अनुबंध
SECL के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सनिश चंद्रा ने बताया कि कोल इंडिया अपनी विभिन्न अनुषांगिक कंपनियों में कोयला गैसीकरण की संभावनाएं तलाशने पर काम कर रही थी। गैसीकरण परियोजनाओं के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने में सहयोग और विशेषज्ञता को बढ़ावा देने के लिए कंपनी ने बीएचईएल (भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड), आईओसीएल (इंडियन ऑइल कार्पोरेशन लिमिटेड), जीएआईएल (गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड), के साथ अनुबंध किया है।

देश के खदानों को किया है चिन्हिंत
एसईसीएल की कोयला खदान में कोयला गैसीकरण परियोजना की मदद से कोयले से प्राकृतिक गैस, मेथनॉल, अमोनिया और अन्य आवश्यक उत्पाद बनाने की संभावना पर पहले से काम चल रहा था। इसके लिए देश की कोयला खदानों में जियोलॉजिकल सर्वे कराया गया है, जिसमें 67 खदानों में गैस उत्पादन की संभावनाओं पर काम होगा। अगर यह परियोजना अमल में आती है तो छत्तीसगढ़ राज्य में इस प्रकार की पहली परियोजना होगी। कोयला गैसीकरण दहन के विपरीत कोयले के अवयवों को विद्युत, हाइड्रोजन, स्वच्छ ईंधन एवं मूल्यपरक रसायनों में बदलने का सबसे स्वच्छ एवं पर्यावरण-हितैषी तरीका है।

कोयला क्षेत्र में आएगी नई क्रांति
SECL के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि विकास को बढ़ावा देने एवं कोयला उद्योग के कार्बन फुटप्रिंट कम करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय ने वित्तिय वर्ष 2030 तक 100 मिलियन टन (एमटी) कोयले का गैसीकरण हासिल करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए अपनी प्राकृतिक गैस का लगभग 50 प्रतिशत, कुल मेथनॉल खपत का 90 प्रतिशत से अधिक और कुल अमोनिया खपत का लगभग 13-15 प्रतिशत आयात करता है। कोयला गैसीकरण के क्रियान्वयन से 2030 तक इन उत्पादों का आयात कम करके देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने की उम्मीद है। इन परियोजनाओं से भारत में गैसीकरण प्रौद्योगिकी को अपनाने से कोयला क्षेत्र में नई क्रांति आ जाएगी। इससे प्राकृतिक गैस, मेथनॉल, अमोनिया और अन्य आवश्यक उत्पाद के आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी।