रिसर्च जारी है: लंग्स कैंसर का इलाज होगा आसान, एम्स ने लैब का विस्तार कर तैयार किया स्पेसिफिक जीन पैनल

नई दिल्ली। जल्द ही लंग्स कैंसर का उपचार आसान हो सकेगा। इसके लिए जिम्मेदार जीन का पता लगाने के लिए एम्स के पैथोलॉजी विभाग ने स्पेसिफिक जीन पैनल तैयार किया है। इसमें एक साथ कई जीन की जांच की जा सकेगी। इसकी मदद से लंग्स कैंसर का सटीक उपचार संभव होगा।

दरअसल, एम्स की मौजूदा व्यवस्था में जो पैनल मौजूद है, उसमें एक बार में केवल एक ही जीन की जांच होती है। डॉक्टरों का मानना है कि लंग्स कैंसर के लिए एशियाई क्षेत्रों में डीएनए के आठ से 10 और आरएनए के चार से पांच जीन की जांच जरूरी है। ऐसे में पीड़ित मरीज में कैंसर के लिए जिम्मेदार जीन का पता लगाने के लिए एक-एक करके जीन की जांच की जाती थी। वह भी सिर्फ चार जीन को ही देखा जाता है। इसमें काफी समय लगता है।

एम्स प्रशासन का कहना है कि नए पैनल की मदद से इसमें तेजी आएगी। नए पैनल की मदद से एक बार में डीएनए के 14 और आरएनए के चार जीन की जांच हो सकेगी। एम्स ने 60 मरीजों पर इसका सफल ट्रायल भी पूरा कर लिया है। अब आगे का शोध किया जा रहा है। इसे एक साल में पूरा कर लिया जाएगा। इसके बेहतर नतीजों के आधार पर सुविधा आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी। लंग्स कैंसर में अगर जीन का पता चल जाता है तो इसका इलाज भी बेहतर होता है। जीन के आधार पर इलाज के लिए दवा उपलब्ध है, जीन का पता चलने के बाद उक्त दवा का इस्तेमाल किया जा सकेगा जिससे परिणाम बेहतर आने की उम्मीद हो जाएगी।

2012 में शुरू हुई थी जांच
एम्स की पैथोलॉजी विभाग के प्रोफेसर व शोध प्रक्रिया से जुड़ी डॉक्टर दीपाली जैन ने बताया कि लंग्स कैंसर के इलाज के लिए पहले जीन का जांच करनी पड़ती है। एम्स में इसकी शुरूआत 2012 में की गई थी। शुरुआत टिशु से हुई और पिछले साल ही ब्लड सैंपल की मदद से जांच शुरू की गई थी। एम्स में अभी लंग्स कैंसर की जीन की जांच के लिए चार प्रकार के जीन की जांच की जा रही है। इन सभी जीन की जांच एक साथ नहीं होती। इन्हें एक-एक करके करना पड़ता है।

बढ़ सकता है जांच का दायरा
एम्स में अभी हर साल 500 से 1000 नमूनों की जांच होती है। आने वाले दिनों में सुविधाओं का विस्तार होने से जांच का दायरा भी बढ़ेगा। निजी लैब में 200 जीन तक का पैनल होता है। यहां सॉलिड ट्यूमर से जांच की जाती है, लेकिन जांच का खर्च 50 हजार तक आ सकता है। एम्स सरकारी संस्थान है ऐसे में यहां सुविधा शुरू होने के बाद एम्स के अलावा अन्य जगहों से भी सैंपल जांच के लिए आ सकते हैं।

करेंगे ब्लड सैंपल से जांच
डॉ. दीपाली का कहना है कि अभी तक जांच के लिए बायोप्सी कर टिशू लिया जाता है, जिसमें मरीज को बेहोश तक करना पड़ता है। मरीज को इस समस्या से बचाने के लिए पिछले साल जीन की जांच ब्लड से करना शुरू किया, लेकिन अभी केवल सिंगल जीन पर ही यह संभव हो पा रहा है। आने वाले समय में हम लंग्स कैंसर के सभी जीन की जांच भी लिक्विड बायोप्सी यानी ब्लड सैंपल से कर पाएंगे। इस पर रिसर्च जारी है।