दो दिन में केरल में दस्तक दे सकता है मानसून, कृषि क्षेत्र के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है अच्छी बारिश

monsoon can enter in kerala within two days good Rain is must for Agriculture Sector

नई दिल्ली। दक्षिण पूर्व अरब सागर के ऊपर कम दबाव वाले क्षेत्र में एक चक्रवात सर्कुलेशन बन गया है, जो आने वाले दो दिनों में तेज हो जाएगा। भारत मौसम विभाग ने बताया कि केरल में मानसून के जल्द आने की संभावनाएं हैं। हालांकि, विभाग ने केरल में मानसून आने की तारीखों का एलान नहीं किया है। विभाग का कहना है कि दक्षिणी अरब सागर के ऊपर पश्चिमी हवाएं 2.1 किलोमीटर ऊपर तक चलता है। चक्रवात सर्कुलेशन के कारण बादल एक साथ हो जाते हैं और उसी क्षेत्र में केंद्रित रहता है।

सात जून तक केरल में दस्तक देगा मानसून 
आईएमडी का कहना है कि सिस्टम के गठन उत्तर की तरफ बढ़ रहा है, इस वजह से दक्षिण-पश्चिम मानसून के केरल तट की ओर बढ़ने की संभावनाएं प्रभावित होंगी। मई के मध्य में विभाग ने कहा था कि चार जून तक मानसून केरल में दस्तक दे देगा। बता दें, आम तौर पर मानसून एक जून को (सात दिन का आगे-पीछे) केरल में प्रवेश कर जाता है।

जानिए, पिछले साल कब प्रवेश किया था दक्षिण-पूर्वी मानसून

  1. 2022- 29 मई
  2. 2021- 3 जून
  3. 2020- 1 जून
  4. 2019- 8 जून
  5. 2018- 29 मई

भारत के कृषि क्षेत्र के लिए बारिश अधिक महत्वपूर्ण 
कुछ दिनों पहले, आईएमडी ने कहा था कि एल नीनो के कारण दक्षिण-पश्चिम मानसून से भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है। उत्तर-पश्चिम मानसून में सामान्य से कम बारिश होने की संभावनाएं होती हैं। जबकि, पूर्व, उत्तर-पूर्व, मध्य और दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य बारिश होने की संभावना होती है। भारत के कृषि क्षेत्र में सामान्य बारिश अधिक महत्वपूर्ण है। खेती का 52 प्रतिशत क्षेत्र सामान्य क्षेत्र पर निर्भर करता है। इससे बिजली उत्पादन के साथ-साथ पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण है।

सामान्य से अधिक गर्मी रहने का जताया था अनुमान 
उत्तर-पश्चिम और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों को छोड़कर, मौसम विभाग ने देश के अधिकांश क्षेत्रों में अप्रैल से जून तक अधिक तापमान की संभावना जताई थी। इस दौरान मध्य, पूर्व और उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक गर्मी रहने का अनुमान है।

अब, जानिए क्या होता है अल नीनो और ला नीना 
बता दें, दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर में पानी के गर्म होने, मानसूनी हवाओं के कमजोर होने और भारत में कम वर्षा होने वाली स्थिति को अल नीनो कहा जाता है। दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर में पानी के ठंडे होने की विशेषता जो  भारतीय मानसून का पक्ष लेती है, उसे ला नीना कहा जाता है।