राहुल गांधी को सजा देने वाले जज का प्रमोशन अवैध- SC ने जस्टिस वर्मा समेत 68 जजों को मूल पद पर वापस भेजने को कहा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में 68 जजों के जिला जज कैडर में प्रमोशन को अवैध करार दिया है और स्टे लगा दिया है। इन 68 जजों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि से जुड़े मामले में सजा देने वाले जस्टिस हरीश हसमुखभाई वर्मा भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि फिलहाल जिन जजों को प्रमोट किया गया है, उन्हें उनके मूल पद पर वापस भेजा जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? 

न्यायमूर्ति एमआर शाह ने कहा कि यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि गुजरात के भर्ती नियमों के अनुसार प्रमोशन की क्राइटेरिया ‘योग्यता सह वरिष्ठता’ (merit cum seniority) और सूटेबिलिटी टेस्ट है। ऐसे में हम संतुष्ट हैं कि राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का उल्लंघन करता है। जस्टिस शाह ने आगे कहा- हालांकि हम इस याचिका का निस्तारण चाहते थे, लेकिन एडवोकेट दुष्यंत दवे नहीं चाहते हैं कि हम याचिका डिस्पोज करें।

जस्टिस शाह ने आगे कहा, ‘चूंकि राज्य सरकार ने अधिकारियों को प्रमोट करने का निर्णय ले लिया है, ऐसे में हम इस प्रमोशन लिस्ट को लागू करने पर रोक लगाते हैं। जिन जजों को प्रमोट किया गया है, उन्हें उनके मूल मूल पदों पर वापस भेजा जाए’। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है स्टे ऑर्डर उन लोगों तक ही सीमित रहेगा, जिनका नाम पहली 68 लोगों की प्रमोशन वाली सूची में नहीं है। 

अब सीजेआई चंद्रचूड़ सुनेंगे मामला

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा है कि अब इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच करेगी और 8 अगस्त 2023 को फाइनल हियरिंग के लिए सूचीबद्ध होगा।

कहां से शुरू हुआ विवाद? 

सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार के ही दो अफसरों, रवि कुमार मेहता और सचिन प्रताप राय मेहता ने याचिका दायर की थी। दोनों सीनियर सिविल जज कैडर के अफसर हैं और खुद 65 प्रतिशत प्रमोशन कोटा के लिए हुई परीक्षा में शामिल हुए थे। रवि कुमार मेहता गुजरात सरकार के लीगल डिपार्टमेंट में अंडर सेक्रेटरी हैं, तो वहीं सचिन प्रताप राय मेहता, गुजरात स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (Gujarat State Legal Services Authority) में असिस्टेंट डायरेक्टर हैं।