दुर्ग। हेमचंद यादव यूनिवर्सिटी से PHD की मानद उपाधि लेकर डॉक्टर बने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक बड़ा डर सता रहा है। इस डर का खुलासा उन्होंने यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में छात्रों के बीच किया। जो उनके ट्वीट करते ही वायरल हो रहा है।
भूपेश बघेल को इस बात का मलाल अब तक है, की उनकी पीजी की पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई। वह दो बार परीक्षा देने ही नहीं जा सके। प्रीवियस तो हो गया लेकिन फाइनल नहीं हो पाया। अपनी इसी अधूरी इच्छा को छात्रों के सामने जाहिर करते हुए भूपेश बघेल ने कहा, अब सोच रहा हूं कि पीजी कम्प्लीट कर लूं, लेकिन डर इस बात का है कि नंबर कम आए तो बच्चे क्या बोलेंगे?
मुख्यमंत्री अगर परीक्षा देने जाए तो अच्छी बात है लेकिन नंबर कम आए तो मुश्किल हो जाएगी। भूपेश बघेल के ऐसा कहते ही ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। लोग ठहाका लगाने से खुद को नहीं रोक सके। मौका था हेमचंद यादव यूनिवर्सिटी के पहले दीक्षांत समारोह का, जहां छात्रों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने अपने छात्र जीवन के किस्से, अपनी अधूरी इच्छा और अपने डर का खुलासा भी किया।
भूपेश बघेल ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, विपक्ष में रहते हुए पढ़ाई की असली कीमत समझ में आई। विधानसभा में मुद्दे उठाने के लिए मैं रात-रात भर जाग कर पढ़ता था क्योंकि मुद्दों के विषय में जानकारी होनी जरूरी है। उस समय नहीं पता था कि रातभर जाग कर पढ़ने का मुझे ये मौका मिलेगा। पढ़ाई कभी व्यर्थ नहीं जाती उसी पढ़ाई की बदौलत में यहां पहुंचा।
यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में 135 स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल मिले, जिनमें 107 लड़कियां थीं। सीएम ने मंच से लड़कियों के लिए खुद तालियां बजाई वहीं मजाकिया लहजे में लड़कों को लेकर चुटकी भी ली और कहा कि सिर्फ 23 लड़के, देख लो लड़कों। यह आंकड़ा ठीक नहीं है। लड़कियां चुनौती दे रही हैं। इसके बाद सीएम ने लड़कियों का हौसला अफजाई करते हुए उन्हें भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
मुख्यमंत्री को दी गई मानद उपाधि
हेमचंद यादव यूनिवर्सिटी के पहले दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को मानद उपाधि से नवाजा गया जिसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम के आगे डॉक्टर भूपेश बघेल जुड़ गया है। इस दौरान उनके साथ पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल और सीएम की दोनों बेटियां भी साथ रहीं।