नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह और आर्मी जनरल परवेज मुशर्रफ का दुबई में निधन हो गया है। 79 साल की उम्र में मुशर्रफ ने दुबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। परवेज मुशर्रफ भारत में एक जाना पहचाना नाम हैं, इसकी वजह ये है कि आगरा वार्ता के तुरंत बाद भारत की पीठ में छुरा घोंपने और चोरी छिपे करगिल युद्ध छेड़ने के पीछे परवेज मुशर्रफ का ही दिमाग था। हालांकि ये बात कम ही जानते होंगे की परवेज मुशर्रफ का यह दुस्साहस शायद उनकी जिंदगी का आखिरी भी साबित हो सकता था, जब करगिल युद्ध के दौरान वह और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ एक भारतीय लड़ाकू विमान की बमबारी का निशाना बन सकते थे।
भारत सरकार के एक दस्तावेज से इस बात का खुलासा हुआ था। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, 24 जून 1999 को भारतीय वायुसेना के जगुआर लड़ाकू विमान ने एलओसी के ऊपर उड़ान भरी थी। इस विमान को पाकिस्तानी सेना के ठिकानों पर लेजर गाइडेड सिस्टम से बमबारी के लिए टारगेट सेट करना था। इस विमान के पीछे आ रहे दूसरे जगुआर प्लेन को बमबारी करनी थी। विमान के पायलट ने एलओसी के पास गुलटेरी में पाकिस्तानी सेना के ठिकाने को निशाना बनाया था लेकिन बम सही निशाने पर नहीं गिरा क्योंकि बम लेजर बास्केट से बाहर गिरा था। बाद में इस बात की पुष्टि हुई थी कि जिस गुलटेरी को निशाना बनाया जाना था, वहां हमले के वक्त पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ और तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ मौजूद थे। हालांकि जिस वक्त जगुआर ने निशाना साधा, तब तक ये खबर नहीं थी कि गुलटेरी में परवेज मुशर्रफ और नवाज शरीफ मौजूद थे।
बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच मई 1999 से लेकर जुलाई 1999 के बीच करगिल युद्ध हुआ था। पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठियों के रूप में करगिल की ऊंची पहाड़ियों पर चोरी-छिपे जाकर अपने ठिकाने बना लिए थे। बाद में युद्ध के दौरान पता चला कि घुसपैठियों के भेष में पाकिस्तानी सेना के जवान हैं। इसके बाद पाकिस्तानी सेना को अपनी जमीन से खदेड़ने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय की शुरुआत की। करीब दो माह चले युद्ध के बाद पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी।