रायपुर।छत्तीसगढ़ में सोमवार को धान की सरकारी खरीदी का पिछले सभी रिकॉर्ड टूट गये। किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 100 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीद लिया गया। धान की यह खरीदी 31 जनवरी तक जारी रहनी है। खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा, छत्तीसगढ़ में धान खरीदी शुरू से ही एक चुनौती रही है। बीते चार सालों में छत्तीसगढ़ सरकार ने इस चुनौती तमाम तरह की परेशानियों, केंद्र के अड़ियल रवैये, बारदाने की आपूर्ति में व्यवधान के बावजूद भी अपने बलबूते पूरा किया है। मंत्री ने कहा, प्रदेश में 100 लाख मीट्रिक टन धान की बिना किसी व्यवधान के खरीदी अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
रायपुर के अपने निवास पर पत्रकारों से बातचीत में खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा, इस साल धान बेचने के लिए 24 लाख 96 हजार किसानों ने पंजीयन कराया था। इसमें से 22 लाख 48 हजार किसानों ने धान बेचा है। इसके एवज में किसानों को 20 हजार 375 करोड़ रुपए का भुगतान बैंक लिंकिंग व्यवस्था के तहत किया गया है। मंत्री अमरजीत भगत ने बताया, राज्य सरकार की किसान हितैषी योजनाओं से इन चार वर्षों में लगातार किसानों की पंजीयन में वृद्धि हुई है।
खरीदी केंद्र में बोरों में रखा गया धान।
इस वर्ष 24.96 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है, इनमें 2.30 लाख नए किसान हैं। राज्य सरकार द्वारा इस सीजन में 110 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का अनुमान लगाया गया है। किसानों को धान विक्रय में सहूलियत हो इस लिहाज से इस साल राज्य में 135 नए उपार्जन केन्द्र शुरू किए गए, जिसके कारण कुल उपार्जन केंद्रों की संख्या 2617 हो गई। प्रदेश में धान खरीदी अभी 31 जनवरी तक जारी रहनी है। तब तक 110 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी संभावित है। सीजन की खरीदी शुरू होने से पहले विभाग ने इतना धान आने का अनुमान लगाया था।
छत्तीसगढ़ में इस सीजन धान की खरीदी एक नवम्बर से शुरू हुई थी।
2017-18 में तो 56 लाख मीट्रिक टन ही खरीदी हुई थी
मंत्री अमरजीत भगत ने बताया, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने से ठीक पहले यानी खरीफ सीजन 2017-18 में 56 लाख 88 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। उस साल किसानों को 10 हजार 596 करोड़ 49 लाख रुपए का भुगतान हुआ था। वर्ष 2018-2019 में लगभग 80 लाख 37 हजार मीट्रिक टन धान खरीदी कर 14 हजार 15 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ। उसके बाद प्रति क्विंटल धान के मान से 750 रुपए बोनस देते हुए 20 हजार 92 करोड़ 32 लाख रुपए का भुगतान किया।
वर्ष 2019-2020 में लगभग 83 लाख 94 हजार टन धान खरीदी कर 15 हजार 286 करोड़ रुपए समर्थन मूल्य और 5 हजार 628 करोड़ रुपए की इनपुट सब्सिडी दी गई। वर्ष 2020-2021 में 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी कर 17 हजार 241 करोड़ रुपए का समर्थन मूल्य और 5हजार 553 करोड़ रुपए इनपुट सब्सिडी मिलाकर कुल 22 हजार 794 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ। वर्ष 2021-2022 में 98 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी के एवज में 19 हजार 37 करोड़ रुपए समर्थन मूल्य के रूप में दिया गया था। इनपुट सब्सिडी के रूप में अक्टूबर 2022 तक तीन किस्तों में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 5 हजार 235 करोड़ रुपए दिये जा चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में धान खरीफ सीजन की सबसे प्रमुख फसल है।
साल दर साल बढ़ता गया है खेती का रकबा
मंत्री अमरजीत भगत ने कहा, छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किसानों की ऋण माफी और राजीव गांधी किसान न्याय योजना के लागू होने से किसान खेती की ओर वापस लौटने लगे है। इस वर्ष 24 लाख 96 हजार किसानों ने धान बेचने के लिए अपना पंजीयन कराया है। इनमें 2 लाख 30 हजार नए किसान हैं। वर्ष 2017-2018 में किसानों ने 24 लाख 46 हजार हेक्टेयर रकबे में धान की फसल पंजीकृत कराई गई थी। वर्ष 2022-2023 में यह रकबा 32 लाख 16 हजार हेक्टेयर हो गया है।