कोरबाः परसाभाठा विकास समिति ने दी प्रशासन व बालको प्रबंधन को चेतावनी, राखड़ की समस्या का करें समाधान, नहीं तो करेंगे 11 को चक्काजाम


कोरबा। परसाभाठा विकास समिति द्वारा बालको से उत्सर्जित राखड़ से होने वाले प्रदूषण को लेकर 6 बिंदुओं पर बालको प्रबंधन व प्रशासन से मांग की गई है, जिन्हें पूरा नहीं किए जाने पर 11 जनवरी सुबह 8:00 बजे से चक्का जाम की चेतावनी दी गई है। आंदोलन की तैयारियां जोर- शोर से जारी है। इसके लिए जगह-जगह पर नुक्कड़ सभाएं की जा रही हैं, तथा घर-घर जाकर लोगों को अपने हक की लड़ाई लड़ने हेतु जागरूक किया जा रहा है। इसे क्षेत्र के लोगों का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है।

बालको परसाभाठा विकास समिति ने क्षेत्र के समस्त नागरिकों से आग्रह किया है कि जिन्हें भी बालको प्लांट के प्रदूषण से उत्पन्न हो रही समस्याओं से लगातार जूझना पड़ रहा है, ऐसे सभी लोगों से आग्रह है कि वे 11 जनवरी प्रातः 8:00 बजे से परसाभाठा बाजार चौक पर चक्का जाम को समर्थन देने अवश्य पहुंचें।

मालूम हो कि बालको के पॉवर प्लांट से प्रतिदिन 15 हज़ार टन से ज्यादा राखड़ निकलती है। नियमानुसार सभी पावर प्लांट्स को राखड़ के लिये बांध बनाकर उसमें राख छोड़नी होती है ताकि इसका प्रयोग ईंट, सीमेंट आदि बनाने में किया जा सके। लेकिन कोरबा में अब भी कई प्लांट ऐसे हैं, जिनके राखड़ बांध पूरी तरह से भर चुके हैं, जिसके कारण राख को खुले मैदानों पर ही छोड़ा जा रहा है।
बताया जा रहा है कि बालको पॉवर प्लांट के पास बना राखड़ बांध भी पूरी तरह भर चुका है। उसमें पानी भी पूरी तरह सूख चुका है।राख सूखने के बाद जब तेज हवा चलती है तो उड़ कर आस-पास के इलाकों में फैलती है।कोयले के जलने से निकलने वाली राख में आर्सेनिक, पारा यानी मरकरी, सीसा यानी लेड, वैनेडियम, थैलियम, मॉलीबेडनम, कोबाल्ट, मैंगनीज, बेरीलियम, बेरियम, एंटीमनी, एल्युमीनियम, निकेल, क्लोरीन और बोरोन जैसे तत्व पाये जाते हैं।इनवायरन्मेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी ईपीए की रिपोर्ट के अनुसार राख में अधिकांश तत्व हेवी मेटल यानी भारी धातु हैं, जिनकी जद में निरंतर आने पर किसी भी व्यक्ति को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। यानी ऐश पॉन्ड (राख रखने की जगह) के आस-पास रहने वाले लोगों को हमेशा गंभीर बीमारियों का खतरा बना रहता है।इस राख की जद में लंबे समय तक रहने वाले व्यक्ति को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है। गौरतलब है कि कोरबा में बालको के तीन पॉवर प्लांट स्थित हैं।

फ्लाई ऐश प्रभावित इलाकों में ब्रोंकाइटिस (श्वासनली में जलन) जैसी गंभीर बीमारी का खतरा हमेशा बना रहता है। बच्चों में तीव्र श्वसन रोग, अस्थमा व चर्मरोग जैसी समस्याएं भी काफी देखने को मिलती है।
-डॉ. विशाल उपाध्याय, बाल रोग विशेषज्ञ, कोरबा