बिलासपुरः हिंदी मीडियम में एग्जाम देंगे साइंस कॉलेज के स्टूडेंट्स, हाईकोर्ट का फैसला, कॉलेज में मना जश्न, अंग्रेजी माध्यम बनाने के खिलाफ लगी थी जनहित याचिका

स्टूडेंट्स ने हाईकोर्ट के फैसले पर जताई खुशी। - Dainik Bhaskar

बिलासपुर। बिलासपुर के गवर्नमेंट ई. राघवेंद्र राव पीजी साइंस कॉलेज को अंग्रेजी माध्यम में बदलने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर स्टूडेंट्स को बड़ी राहत मिली है। छात्रों की याचिका पर हाईकोर्ट ने उन्हें हिंदी मीडियम में एग्जाम देने की अनुमति दी है। कोर्ट का फैसला आने के बाद स्टूडेंट्स ने डीजे की धुन पर थिरकते हुए जश्न मनाया और खुशी में आतिशबाजी करते हुए जमकर नारेबाजी भी की। इस दौरान छात्रों ने कहा कि आंदोलन के बाद भी पक्ष में निर्णय नहीं लेने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

कॉलेज की छात्रा भूमिका चंद्रा और मुकेश साहू ने एडवोकेट संघर्ष पांडेय के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर बताया कि साइंस कॉलेज में सत्र 2022-23 में प्रवेश की प्रक्रिया 16 जून से 16 अगस्त तक चली। इस दौरान तक 775 स्टूडेंट्स ने कॉलेज में प्रवेश लिया। एडमिशन के दौरान उन्हें अंग्रेजी और हिंदी माध्यम दोनों में एग्जाम देने की छूट दी गई थी। इसके चलते ही हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स ने यहां एडमिशन लिया था। लेकिन, बाद में 27 अगस्त को उच्च शिक्षा आयुक्त ने प्रदेशभर के कॉलेजों की ऑनलाइन बैठक ली, जिसमें साइंस कॉलेज बिलासपुर को 2023-24 सत्र से अंग्रेजी माध्यम में बदलने का प्रस्ताव लाया और इस प्रस्ताव को इसी साल से अमल में लाते हुए अचानक कॉलेज को अंग्रेजी माध्यम करने का आदेश जारी कर दिया। साथ ही यह आदेश जारी किया गया कि प्रथम वर्ष के छात्रों को अंग्रेजी में परीक्षा देनी होगी। उच्च शिक्षा विभाग की आयुक्त ने 29 अगस्त को जारी पत्र में अकादमिक सत्र 2023-24 से अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तन करने की बात कही गई है। उस आदेश का उल्लंघन करते हुए इसी सत्र से कॉलेज को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तन कर दिया गया है। इस केस की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन और उच्च शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

कॉलेज कैंपस में डीजे बजाकर की जमकर आतिशबाजी।

कॉलेज कैंपस में डीजे बजाकर की जमकर आतिशबाजी।

हिंदी को देना है बढ़ावा, लेकिन खत्म कर रहे कॉलेज
याचिका में बताया गया कि उच्च शिक्षा आयुक्त का आदेश छात्रों को संविधान में मिले मूलभूत अधिकार अनुच्छेद 19 (1) (अ) का हनन है। इसी तरह छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 का भी उल्लंघन किया जा रहा है। अधिनियम में कहा गया है कि विश्वविद्यालय राज्य और केंद्र सरकार के साथ मिलकर हिंदी को बढ़ावा देंगे, लेकिन यहां हिंदी माध्यम महाविद्यालय को खत्म कर दिया गया है और अंग्रेजी को बढ़ावा दिया जा रहा है।

डिवीजन बेंच ने हिंदी मीडियम में एग्जाम दिलाने दी अनुमति
सोमवार को हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान उच्च शिक्षा विभाग ने जवाब प्रस्तुत करने के साथ ही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए तर्क दिया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने भी शासन के निर्णय को संविधान और विश्वविद्यालय अधिनियम के विपरीत माना है। कोर्ट ने कॉलेज के स्टूडेंट्स को हिंदी मीडियम में एग्जाम देने की अनुमति देने का आदेश दिया है, जिस पर शासन ने भी सहमति जताई है।

छात्रों ने शासन के फैसले के खिलाफ किया था धरना-प्रदर्शन।

छात्रों ने शासन के फैसले के खिलाफ किया था धरना-प्रदर्शन।

हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद कॉलेज में जश्न
जिस तरह हिंदी मीडियम स्कूलों का उन्नयन कर उन्हें आत्मानंद अंग्रेजी मीडियम स्कूल के रूप में बदला गया है। उसी तरह राज्य सरकार ने हिंदी मीडियम कॉलेज को भी अंग्रेजी माध्यम में बदलने का निर्णय लिया है। अपने पक्ष में हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद सोमवार को स्टूडेंट्स कॉलेज में डीजे लेकर पहुंच गए और जमकर आतिशबाजी करते हुए जश्न मनाने लगे। कॉलेज के छात्र-छात्रों ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई।

स्टूडेंट्स ने छेड़ा था आंदोलन
कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने राज्य शासन के इस फैसले के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन भी किया था। कॉलेज कैंपस में धरना-प्रदर्शन करने के साथ ही विधायक निवास और कलेक्टेरेट का धरना-प्रदर्शन भी किया था। छात्रों के इस आंदोलन को भाजपा समर्थित छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी समर्थन किया था और कॉलेज को हिंदी माध्यम नहीं करने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी थी। लेकिन, शासन पर इस आंदोलन का कोई असर नहीं हुआ, तब उन्होंने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी।