कोरबा प्लांट से इस तरह निकाली जा रही है फ्लाई ऐश।
कोरबा। बिजली कंपनियों से निकलने वाली फ्लाई ऐश (राख) के पहाड़ खड़े होते जा रहे हैं। वर्तमान में 400 लाख टन फ्लाई ऐश सिर्फ कोरबा ज़िले में जमा हो चुकी है, इसको डिस्पोजल करना छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी के लिए चुनौती बन गया है। हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अधिकारियों को ऐश को जल्द से जल्द डिस्पोजल करने के निर्देश दिए थे। आखिर यह राख के पहाड़ कैसे तैयार हो गए, जब इसके पीछे की वजह को खोजा गया तो चौंकाने वाली बात सामने आई। पहले सीमेंट कंपनियां मुफ्त में राख ले जाती थीं, पिछले कई सालों से उन्होंने लेना बंद कर दिया है।
उनका कहना है कि फैक्ट्री तक राख पहुंचाई जाए, या पैसा दिया जाए तब ही लेंगे। ऐसे में बिजली कंपनी अलग से बजट देने पर भी विचार कर रही है। वहीं दूसरी तरफ एनएच में इस राख का उपयोग होता है, लेकिन नेशनल हाई-वे अथॉरिटी भी इस राख को लेने में अपना रुझान कम दिखा रही है। उसकी डिमांड भी यह है कि जहां हाई-वे बन रहे हैं, बिजली कंपनी वहां तक ऐश पहुंचाए या ट्रांसपोर्टेशन खर्च दे।
जहां फ्लाई ऐश खपा सकते हैं, वहां दिक्कतों को ऐसे समझें
- सीमेंट फैक्ट्री- सबसे अधिक फ्लाई ऐश का उपयोग सीमेंट संयंत्रों में किया जाता है। सीमेंट बनाने के लिए फैक्ट्री में 30 प्रतिशत फ्लाई ऐश का उपयोग किया जाता है। पहले फैक्ट्रियां ऐश लेती थीं, पर अब नहीं ले रही हैं।
- एनएच- नेशनल हाइवे बनाने के लिए बेस में फ्लाई ऐश का उपयोग होता है। यहां भी ऐश का बड़ा उपयोग है, लेकिन इसका ट्रांसपोर्टेशन बड़ा चैलेंज है। इसलिए एनएच अथॉरिटी भी करीब की कंपनियों से ऐश लेती हैं।
- ऐश की ईंट- ईंट बनाने के लिए भी फ्लाई ऐश का उपयोग होता है। इसे नीलाम करने के लिए सरकारी पीएसयू एमएसटीसी से बिजली कंपनी ने टाइअप करने की कोशिश की थी। लेकिन दोनों पक्षों में बात नहीं बन पाई।
- खदान में- मिनरल्स की खदानों में जो बड़े गड्ढे हो जाते हैं, उन्हें भरने के लिए भी फ्लाई ऐश का उपयोग होता है। सरकार ने मानिकपुर में एक गड्ढेदार खदान ही दी है, जहां फ्लाई ऐश का अभी डिस्पोजल हो रहा है।
जिले के दो प्लांट में इतनी राखड़ हुई इकट्ठा
- डॉ. श्यामाप्रसाद प्लांट, कोरबा 190 लाख टन
- हसदेव थर्मल प्लांट, कोरबा 211 लाख टन
राख निकलने का गणित
बिजली बनाते समय कोयले से 35-40 प्रतिशत तक फ्लाई ऐश निकलती है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी के तीन प्लांट चालू हैं। तीनों में हर दिन 45 हजार टन कोयले की खपत है, जिससे लगभग 18 हजार टन फ्लाई ऐश रोज निकल रही है। कोरबा में स्थित प्लांट में 1980 से फ्लाई ऐश जमा हो रही है, जिसे समय-समय थोड़ा बहुत डिस्पोजल भी किया जाता है। यही वजह है कि कोरबा में 4 राखड़ के पहाड़ खड़े हो गए हैं।