नईदिल्ली I गुजरात दंगों में हत्या और गैंगरेप के 11 दोषियों को रिहा करने के फैसले को बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. बिलकिस का कहना है कि जिन लोगों ने मेरे पूरे परिवार और मेरी जिंदगी तबाह की, उन्हें रिहा किये जाने से मैं हैरान रह गई. उनका कहना है कि जो गलत है और जो सही है, उसके लिए फिर से खड़े होकर लड़ूंगी.
2002 के गुजरात दंगों से भागते समय बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था. उस समय उनकी उम्र 21 साल थी. वह पांच महीने की गर्भवती थी.गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के लोगों ने उसके साथ गैंगरेप किया गया था. इसके साथ ही उनके परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई थी. मारे गए सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी.
‘जीवन नष्ट करने वाले लोगों की रिहाई पर हैरान’
अपनी दो अलग-अलग याचिकाओं में बिलकिस ने 15 अगस्त को गुजरात सरकार द्वारा दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देते हुए कहा कि इसने “समाज की अंतरात्मा को हिला दिया है”.गुरुवार को जारी एक बयान में बानो ने कहा, ‘एक बार फिर से खड़े होने और न्याय के दरवाजे पर दस्तक देने का फैसला मेरे लिए आसान नहीं था. लंबे समय तक, मेरे पूरे परिवार और मेरे जीवन को नष्ट करने वाले लोगों के रिहा होने के बाद वह हैरान थीं. वह अपने बच्चों, अपनी बेटियों और सबसे बढ़कर उम्मीद खोने से सदमे और डर से परेशान थीं. उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है.
‘समर्थन से मिली फिर से विश्वास की हिम्मत’
देश के विभिन्न हिस्सों से समर्थन की आवाजों से उनको निराशा के बीच नई आशा मिली है. वह इस बात को शब्दों में बयां नहीं कर सकतीं कि इस समर्थन का उनके लिए क्या मतलब है. बिलकिस बानो ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से उनके समर्थन में उठ रही आवाजों ने उनको मानवता पर विश्वास को फिर से जगाने में मदद की है. इसके बाद उनको न्याय पर विश्वास रखने की हिम्मत मिली है. उन्होंने कहा कि वह खड़े होकर फिर से लड़ेंगी. जो गलत है और जो सही है, उसके खिलाफ वह लड़ाई जारी रखेंगी. वह अपने लिए, अपने बच्चों और महिलाओं के लिए ऐसा करेंगी.