नईदिल्ली I कोरोना वायरस चीन से निकलकर धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गया. देखते ही देखते इस वायरस ने महामारी का रूप ले लिया. पिछले कुछ सालों में लोगों ने इस बीमारी को लेकर ऐसे हालात देखे जो शायद ही किसी ने पहले सोचा होगा.
अब इस वैश्विक महामारी को करीब 4 साल हो चुके हैं. लेकिन खतरा अभी भी टला नहीं है कई देशों में इसका प्रकोप अभी तक देखने को मिल रहा है. चीन तो दोबारा लॉकडाउन झेल रहा है. भारत सहित कई देशों में बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन अभियान भी चलाए जा रहे हैं.
हालांकि अचानक आई इस बीमारी ने अब सबको सचेत कर दिया है. यही वजह है कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ऐसे रोगजनकों (पैथाजन्स) की पहचान कर रहा है जो आगे चलकर महामारी बन सकते हैं. ऐसा इसीलिए ताकि उन पैथाजन्स की पहचान करके पहले से ही उसके रोकथाम और उचित इलाज को अपनाया जा सके.
WHO खोज वायरस ‘एक्स’ को लेकर कर रहा खोज
डब्ल्यूएचओ की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक ऐसे वायरस की खोज की जा रही है, जो आने वाले समय में कोरोना जैसी महामारी का रूप ले सकते हैं. इसके लिए उन सूक्ष्म जीवों और बैक्टीरिया की लिस्ट तैयार की जा रही है, जो वायरस का रूप ले सकते हैं और दुनिया में महामारी फैला सकते हैं. डब्ल्यूएचओ ने इसके लिए 300 से ज्यादा वैज्ञानिकों की एक टीम तैयार की है जो इसको लेकर काम कर रही है. इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ के वैज्ञानिकों की टीम इलाज की भी खोज कर रही है
डब्ल्यूएचओ की बैठक में तय हुआ है कि 300 से अधिक वैज्ञानिक वायरस और बैक्टीरिया के साथ-साथ बीमारी ‘एक्स’ की खोज करेंगे जो आगे चलकर महामारी बन सकती है. इनमें से 25 वायरसों की एक लिस्ट भी बनाई गई है.
WHO ने 2017 में तैयार की थी पहली सूची
इससे पहले भी साल 2017 में एक लिस्ट तैयार की गई थी और उस पर भी रिसर्च भी हुआ था. लेकिन इस बार की लिस्ट में वायरस परिवार को भी शामिल किया गया है. जिसमें कोविड-19, इबोला वायरस, जीका वायरस,निपाह वायरस, लस्सा फीवर, मारबर्ग वायरस, मिडिल ईस्ट रिस्पायरेटरी सिंड्रोम (एमईआएस),सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (एसएआरएस), मारबर्ग वायरस, हेनिपावायरल रोग, रिफ्ट वैली फीवर,क्रीमियन-कांगो हेमोरेजिक फीवर के साथ साथ वायरस एक्स को भी इस लिस्ट में शामिल हैं.
फिर ना बन जाएं कोरोना जैसा हालात- एक्सपर्ट
दिल्ली मेडिकल काउंसिल के साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के फार्मर जनरल सेक्रेटरी डॉक्टर नरेंद्र सैनी ने बताया कि इस लिस्ट में वायरस एक्स को भी शामिल किया गया है.
उन्होंने कहा कि इसको लेकर डब्ल्यूएचओ ने चिंता जताई है और ऐसे वायरस को लेकर पहले से ही इलाज और रोकथाम के लिए योजना बनाई जा रही है जो एक बेहतर और जरूरी कदम है ताकि कोरोना जैसे हालात दोबारा ना हों. उन्होंने बताया कि ‘एक्स’ नाम का अभी कोई वायरस या बीमारी नहीं है वैज्ञानिकों ने ये नाम खोज के दौरान भविष्य में मिलने वाले वायरस के लिए इस्तेमाल किया है.
डॉक्टर सैनी ने कहा कि कोरोना काल के दौरान लोगों के पास इलाज नहीं था, दवाइयों की कमी थी, अस्पताल में डॉक्टर और बेड आदि मेडिकल सुविधाओं को लेकर हाहाकार मच गया था, वैक्सीनेशन के लिए भी काफी इंतजार करना पड़ा. लेकिन आने वाले समय में ऐसे हालात ना देखने को मिले इसके लिए डब्ल्यूएचओ इस योजना को लेकर काम कर रहा है.
डॉक्टर सैनी ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने जिन वायरस और बीमारियों की लिस्ट तैयार की है वो महामारी का खतरा बन सकती हैं जैसे कि इबोला, लस्सा, एमईआएस और एसएआरएस वायरस हैं.
इन उपायों से होगी महामारी की रोकथाम
डॉक्टर ने बताया की कोरोना के साथ ये बीमारियां भी फैल रही है. ऐसे में जरूरी है कि लोगों को इनको लेकर जागरूक किया जाए, इनसे बचाव के तरीके अपनाए जाए. साथ ही इन वायरस से पीड़ित मरीजों का जल्द से जल्द इलाज किया जाए जिससे ये वायरस आगे ना बढ़े और ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन किया जाए. इन तरीकों के जरिए किसी इंफेक्शन फैलाने वाली बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है.
हालांकि डॉक्टर ने कहा कि कोरोना को लेकर ये उपाय इसीलिए नहीं किए जा सके क्योंकि उस वायरस को लेकर लोगों में जागरुकता नहीं थी किसी को इस वायरस के बारे में नहीं पता था, रिसर्च में काफी वक्त लगा और वैक्सीनेशन भी शुरुआत में नहीं हो सका. लेकिन अभी हम अन्य बीमारियों को इन तमाम उपायों को करते हुए रोक सकते हैं.
पैथाजन्स की पहचान कर महामारी की रोकथाम करेगा WHO
डब्ल्यूएचओ के हेल्थ इमरजेंसिज प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक डॉ.माइकल रयान ने बताया कि जब कोई बीमारी अचानक बढ़ती है तो कम समय में उसकी रोकथाम, इलाज और वैक्सीनेशन को विकसित करना संभव नहीं हो पाता इसीलिए जरूरी है कि प्राथमिकता के तौर पर रोगजनकों की पहचान की जाए उनका ब्लूप्रिंट और रोडमैप तैयार किया जाए.
इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट डॉ सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि पैथाजन्स की ये सूची अगले खतरे से लड़ने के लिए सचेत करेगी और हमें मालूम होगा कि किस दिशा में काम करना है. इसे अलग अलग देशों के विशेषज्ञों के साथ मिलकर तैयार किया गया है. जिसके बाद वैश्विक स्तर पर रिसर्च, उपचार और वैक्सीनेशन को विकसित करने पर काम किया जाएगा.