रामपुर। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खां के खिलाफ चल रहे एससी-एसटी एक्ट के मामले में आपत्ति पर मंगलवार को अदालत ने फैसला सुनाया। आवाज की जांच न कराने की मांग को लेकर आजम खां के अधिवक्ता की ओर से दाखिल आपत्ति को अदालत ने खारिज कर दिया है।
आजम खां पर 15 साल पहले दर्ज हुआ था मुकदमा
आजम खां के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट का मामला 15 साल पुराना है। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में आजम खां ने टांडा तहसील क्षेत्र में जनसभा की थी। उन पर जनसभा में जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप है। तब बसपा नेता धीरज शील की ओर से टांडा थाने में आजम खां पर एससी-एसटी एक्ट की धारा में प्राथमिकी पंजीकृत कराई गई थी।
बसपा नेता ने कराया था मुकदमा, अब हो चुकी है मौत
बसपा नेता का निधन हो चुका है। मुकदमे की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट (सेशन ट्रायल) में चल रही है। मामले की सुनवाई के दौरान भाषण की रिकार्डिंग अदालत सुन चुकी है। अदालत ने आजम खां की आवाज का सेंपल लेकर विधि विज्ञान प्रयोगशाला में रिकार्डिंग से मिलान कराने के आदेश दिए थे।
बचाव पक्ष ने आवाज की जांच कराने की मांग की थी
इस पर बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा प्रार्थना पत्र दिया गया था, जिसमें 15 साल पुरानी घटना बताते हुए आवाज के सैंपल की जांच न कराए जाने की मांग की थी। अभियोजन की ओर से प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दाखिल की गई। आपत्ति पर दोनों पक्षों की बहस हुई।
अदालत ने अभियोजन की आपत्ति को खारिज कर दिया
मंगलवार को अदालत ने फैसला सुनाया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अमित कुमार सक्सेना ने बताया कि अदालत ने आपत्ति खारिज कर दी है। अब आवाज के सैंपल की जांच कराने के संबंध में अदालत बुधवार को कोई निर्णय ले सकती है।