रायपुर I रायपुर के एक कारोबारी ने जो किया कम लोग ही कर पाते हैं। खुद की जिंदगी मौत के रिस्क के बीच थी मगर उन्होंने दूसरों की मदद की सोची। सड़क हादसे में एक आंख निकलकर बाहर आ गई। परिजन आंख लेकर डॉक्टर के पास पहुंचे थे। मगर घायल कारोबारी ने जीते जी अपनी एक आंख डोनेट कर दी।
ये छत्तीसगढ़ का पहला मामला था कि किसी ने जिंदा रहते हुए अपनी एक आंख दान कर दी। दुखद संयोग रहा कि कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई। मौत के बाद भी ये कारोबारी किसी को जिंदगी देने के फर्ज से पीछे नहीं हटा, उन्होंने पहले ही कह रखा था, मृत्यु के बाद परिजनों ने दूसरी आंख भी डोनेट की। इससे किसी और को जिंदगी की रोशनी मिली। नेत्रदान की ये पहल दिवंगत विनोद चोपड़ा ने जीते जी और अपने निधन के बाद परिजनों के जरिए की। विनोद चोपड़ा रायपुर के शास्त्री बाजार में ड्रायफ्रूट्स का कारोबार करते थे। पचपेड़ी नाका के वॉलफोर्ट एंक्लेव सोसायटी में उनका परिवार रहता है।
मामला रायपुर के MMI अस्पताल से जुड़ा हुआ है। हाल ही में यहां रोड एक्सीडेंट में घायल कारोबारी विनोद चोपड़ा को गंभीर अवस्था में लाया गया था। अस्पताल की डॉ सोनल व्यास ने बताया कि हमें हैरानी हुई, मरीज के परिजन अपने साथ उनकी बाहर निकल चुकी आंख साथ लाए थे। ये आंख बिल्कुल ऐसे बाहर आई थी जैसे किसी सर्जन ने सफाई से निकाला हो । आंख में कहीं डैमेज नहीं था। मगर ये आंख उन्हें दोबारा लगाई नहीं जा सकती थी।
हमने पहले मरीज की कंडीशन को स्टेबल किया। उन्हें बताया कि ये आंख उनके काम नहीं आ सकती। चोपड़ा परिवार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए मेडिकल कंडीशंस को समझा और नेत्रदान करने का फैसला लिया। उनकी आंख एक मरीज को लगाई गई, ये पहला मामला था जब किसी ने जीते जी इस तरह आई डोनेशन किया। विनोद चाेपड़ा ने ये भी कहा कि कल को उन्हें कुछ हो जाए तो उनकी दूसरी आंख भी डोनेट की जाए। हालांकि अस्पताल में इलाज के बाद विनोज चोपड़ा की तबीयत में सुधार हुआ वो घर लौट गए। जीते जी किसी ने आई डोनेट की हो डॉ सोनल के मुताबिक ये प्रदेश का पहला मामला है।
हार्ट अटैक की वजह से निधन
विनोद चोपड़ा के परिजन ने बताया कि अस्पताल से उनकी छुट्टी हो गई थी। एक आंख जो निकल चुकी थी उसे पट्टी से ढंका गया था। वो दूसरी आंख से देख पा रहे थे। एक्सीडेंट के जख्मों की दवाएं चल रही थीं। मगर कुछ दिन बाद उन्हें हार्ट अटैक हुआ जिस वजह से उनका निधन हो गया। उनकी आखिरी इच्छा के रूप में उनकी दूसरी आंख भी डोनेट कर दी गई।
अस्पताल की डॉक्टर सोनल व्यास ने कहा आज भले ही विनोद चोपड़ा का निधन हो गया, मगर उनकी एक कोशिश से दो मरीजों को जिंदगी की राेशनी मिली। दो लोगों को उनकी आंखें लगाई गई हैं। नियमों की वजह से हमने जिन्हें आंखें लगाई उनका नाम उजागर नहीं कर सकते। मगर अब वो मरीज स्वस्थ्य हैं। दान की गई आंखों से अपनी आगे के जीवन में दुनिया देख पाएंगे।
क्या होता है नेत्रदान?
डॉक्टर सोनल ने बताया, ‘नेत्रदान का मतलब है मृत्यु के बाद किसी को आंखों की रोशनी देना। यह एक तरह से आंखों का दान होता है, जिससे मृत्यु के बाद किसी दूसरे नेत्रहीन व्यक्ति को देखने में मदद मिलती है। इसमें कॉर्निया का दान होता है। इसमें पूरी आंख को नहीं निकाला जाता है यानी आंख की बॉल को नहीं निकाला जाता है, इसमें सिर्फ ट्रांसप्लांट टीश्यू ही लिए जाते हैं। अधिकांश ये यह किसी भी डोनर की मृत्यु के बाद ही होता है। कुछ लोगों में भ्रांति है कि नेत्रदान के बाद वो अगले जन्म में दृष्टिहीन पैदा होंगे, इसका इससे कोई लेना-देना नहीं ये सिर्फ भ्रम है।
आप कैसे कर सकते हैं आई डाेनेट
आंखें मृत्यु के 4-6 घंटे के बीच डोनेट की जाती है। नेत्रदान के लिए अपने नजदीक के नेत्रबैंक, मेडिकल कॉलेज अस्पताल या जिला चिकित्सालय में संपर्क कर सकते हैं। नेत्रदान के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर के फोन नं. 0771-2890067, सिम्स मेडिकल कॉलेज बिलासपुर के फोन नं. 07752-222301, एम्स (AIIMS) रायपुर के फोन नम्बर 0771-2577389 से जानकारी ली जा सकती है।