नईदिल्ली I कई भारतीय छात्रों को इस साल अपना स्टूडेंट वीजा हासिल करने में परेशानियों का सामना करना पड़ा है. लेटेस्ट मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है ऑस्ट्रेलिया ने भारत, पाकिस्तान और नेपाल से Student Visa के लिए अप्लाई करने वाले लगभग 50 प्रतिशत छात्रों का वीजा रिजेक्ट कर दिया है. मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत, पाकिस्तान और नेपाल से अप्लाई करने वाले लगभग 50 फीसदी छात्रों का स्टूडेंट वीजा रिजेक्ट हुआ है.
2022 को लेकर ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने सुझाव दिया कि इंटरनेशनल वीजा के लिए अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या में भारी कमी देखी गई है. अगर चार स्टूडेंट एडमिशन की अप्लाई कर रहे हैं, तो उसमें सिर्फ एक ही इंटरनेशनल स्टूडेंट है. वहीं, वोकेशनल एजुकेशन के लिए भारत, पाकिस्तान और नेपाल से अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 50 फीसदी से कम है. इन कोर्सेज के लिए सिर्फ 3.8 स्टूडेंट्स का एप्लिकेशन ही मंजूर किया गया है. कुल मिलाकर 900 स्टूडेंट्स में से सिर्फ 34 को ही स्टूडेंट वीजा मिला है.
चीन के बाद सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स भारत से
मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात की जानकारी भी दी गई है कि जुलाई 2022 तक भारत के 96,000 के करीब स्टूडेंट्स ऑस्ट्रेलिया में पढ़ रहे हैं या उनहोंने पढ़ाई के लिए अप्लाई किया है. चीन के बाद ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई करने वाले इंटरनेशनल स्टूडेंट्स की सबसे अधिक संख्या भारत से ही है.
अगर बात करें, हायर एजुकेशन की, तो भारतीय स्टूडेंट्स के लिए वीजा हासिल करने का सक्सेस रेट या कहें वीजा अप्रूव होने की दर घटकर 56 फीसदी पर आ गई है. पाकिस्तानी स्टूडेंट्स के लिए ये 57 फीसदी है, जबकि नेपाली स्टूडेंट्स के लिए ये संख्या 33 फीसदी पर है. वहीं, वोकेशनल एजुकेशन के लिए नेपाली स्टूडेंट्स का वीजा अप्रूवल रेट 15 फीसदी तक है.
क्यों रिजेक्ट हो रहे हैं वीजा?
ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्री क्लेयर ओ’नील ने कहा कि कॉमनवेल्थ देशों के लिए इमिग्रेशन सिस्टम पर फिर से काम करने की बात कही है. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का सुझाव दिया गया है कि स्टूडेंट वीजा रिजेक्ट होने की कई वजहें हैं. इसमें फर्जी एजेंट्स और थर्ड-पार्टी एजेंसियां शामिल हैं. जो स्टूडेंट्स से वादा करती हैं कि उन्हें 100 फीसदी तक एडमिशन मिलेगा, मगर फर्जी दस्तावेजों की वजह से एडमिशन नहीं हो पाता है. इस वजह से एप्लिकेशन की संख्या तो बढ़ जाती है, मगर रिजेक्शन भी बढ़ जाता है.