भिलाई I भिलाई के मैत्री बाग जू में दो महीने पहले पैदा हुआ सफेद शेर (सिंघम) अब पर्यटकों के लिए मंगलवार से केज के बाहर आएगा। लोग सिंघम को उसकी मां रोमा के साथ केज के बाहर देख पाएंगे। शावक सिंघम को सफदे शेरनी रोमा ने जन्म दिया है। शावक को किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसके लिए जू प्रबंधन इनका विशेष ध्यान रख रहा है।
मैत्री बाग जू में एक-एक कर सफेद बाघ की मौत के साथ इनकी संख्या घटती जा रही थी। ऐसे में पैदा हुआ नया शावक कई सालों बाद काफी खुशी लेकर आया है। इससे पहले जू प्रबंधन सफेद शेरनी सोनम और सुल्तान की ब्रीडिंग करता था। लेकिन उसके दूसरे जू चले जाने से सुल्तान अकेला पड़ गया था। इस बीच उसकी दोस्ती जू की नई शेरनी रोमा के साथ हुई। इस जोड़े को एक साथ केज में रखा गया। उनकी ब्रीडिंग करवाई गई। यह प्रयोग सफल रहा और जू में फिर से सफेद शेर का कुनबा बढ़ने लगा है।
शावक सिंघम बना आकर्षण का केंद्र
जू सुपरवाइजर आरिफ खान ने बताया कि, सिंघम को 8 नवंबर से केज के बाहर पर्यटकों के लिए लाया जाएगा। उसे अब तक 7 नंबर केज में उसकी मां के साथ रखा गया है। एक दिन वह केज के बाहर अपनी मां के साथ इधर-उधर घूमते और काफी अटखेलियां करते दिखा था। उसे देखने के लिए पर्यटकों जमावड़ा लग गया था। काफी लंबे समय के बाद मैत्री बाग में सफेद बाघ का शावक देखने को मिलेगा। इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आएंगे।
चार साल बाद मिली खुशखबरी
जू के इंजार्ज डॉ. एनके जैन ने बताया कि मैत्री बाग में 4 सालों बाद कोई शेर पैदा हुआ है। इससे पहले 2018 में सफेद बाघ के शावक रक्षा और आजाद की किलकारी गूंजी थी। सिंघम को दो माह तक पर्यटकों से दूर रखा गया और अब उसके बाद उसे केज के बाहर निकाला गया है। मंगलवार 8 नवंबर से सिंघम को पर्यटकों के लिए बाड़ा के बाहर छोड़ा जाएगा। यह पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र होगा।
कुनबा बढ़ाने पर होगा प्रबंधन का फोकस
डॉ. जैन ने बताया कि, मैत्री बाग में सुल्तान के साथ सोनम थी। इसके बाद सोनम को मध्यप्रदेश के रीवा में ह्वाइट सफारी जू में भेज दिया गया। सुल्तान को दूसरी शेरनी रोमा के पास छोड़ा गया। नए साथी मिलने के बाद सुल्तान और रोमा का कुनबा बढ़ना शुरू हो गया। इनका शावक भी अच्छी नश्ल का है। इसलिए अब जू प्रबंधन का पूरा फोकस इनका कुनबा को बढ़ाने को लेकर होगा।
दो देशों की दोस्ती का प्रतीक है मैत्री बाग जू
1972 में स्थापित मैत्री बाग जू को सोवियत संघ और भारत के बीच दोस्ती के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। भुवनेश्वर स्थित नंदन कानन चिडिय़ा घर से मैत्रीबाग के चिडिय़ा घर में सन् 1998 में सफेद बाघ व बाघिन (तरुण-तापसी) का जोड़ा लाया गया था। मैत्री बाग का बेहतर प्राकृतिक माहौल, वातावरण व बेहतर देख-रेख की वजह से सफेद बाघ का कुनबा बढ़ाने में मदद मिली थी। तब से इनका कुनबा यहां लगातार बढ़ा है।