अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनावों का एलान आज हो सकता है। 2017 की तरह इस बार भी दो चरण में मतदान हो सकता है। आठ दिसंबर को हिमाचल प्रदेश के साथ ही गुजरात चुनाव के भी नतीजे आ सकते हैं। पिछली बार भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर रही थी। वहीं, इस बार आम आदमी पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगी है।
2017 में गुजरात के किस क्षेत्र में किसे कितनी सीटें मिली थीं? किस क्षेत्र में भाजपा को बढ़त मिली तो किस क्षेत्र में कांग्रेस को? किस इलाके में भाजपा ने निर्णायक बढ़त बनाई थी? कितने जिलों में भाजपा ने बढ़त बनाई और कितने में कांग्रेस रही आगे? आइये जानते हैं…
2017 में गुजरात के किस क्षेत्र में किसे कितनी सीटें मिली थीं?
गुजरात में कुल 182 विधानसभा सीटें हैं। बहुमत के लिए 92 सीटों की जरूरत होती है। 2017 के विधानसभा चुनाव भाजपा को 99, कांग्रेस को 77 सीटें मिलीं थी। छह सीटें निर्दलीय और अन्य के खाते में गई थीं। राज्य की सीटों को क्षेत्रवार देखें तो मध्य गुजरात में 68, सौराष्ट्र एवं कच्छ में 54, उत्तर गुजरात में 32 और दक्षिण गुजरात में 28 सीटें आती हैं।
मध्य गुजरात की 68 में से 40 सीटें भाजपा के खाते में गईं थीं। कांग्रेस को 24 सीटें मिली थीं। वहीं, अन्य के खाते में चार सीटें गई थीं। यानी, मध्य गुजरात में भाजपा को बड़ी बढ़त मिली थी। कच्छ-सौराष्ट्र क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन भाजपा से बेहतर था। कांग्रेस इस इलाके की 54 में से 30 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी। वहीं, भाजपा के खाते में 23 सीटें गई थीं। एक सीट अन्य के खाते में गई।
उत्तर गुजरात में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हुई थी। इस इलाके की 32 में से 17 सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी। वहीं, 14 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। एक सीट पर कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार जिग्नेश मेवाणी जीते थे। दक्षिण गुजरात में भाजपा ने एकतरफा जीत दर्ज की थी। इस इलाके की 28 सीटों में से 22 पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। बाकी छह सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी।
किस इलाके में भाजपा ने निर्णायक बढ़त बनाई थी?
मध्य और दक्षिण गुजरात में जहां भाजपा ने बड़ी बढ़त बनाई वहीं, सौराष्ट्र-कच्छ में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा था। हालांकि, सौराष्ट्र के सबसे बड़े जिले राजकोट में कांग्रेस को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली थी। जिले की आठ में से छह सीटें भाजपा के खाते में गई थी। उत्तर गुजरात में कांग्रेस का प्रदर्शन भाजपा के मुकाबले बेहतर रहा था। इस इलाके में कांग्रेस को भाजपा से तीन सीटें ज्यादा मिली थीं। वहीं, एक सीट पर कांग्रेस समर्थित निर्दलीय जीता था। मध्य गुजरात सीटों के लिहाज से गुजरात का सबसे बड़ा इलाका है। इस इलाके में अहमदाबाद, वडोदरा जैसे जिले आते हैं, जो भाजपा का गढ़ माने जाते हैं। इस इलाके की 68 में से 40 सीटों पर भाजपा जीतने में सफल रही थी। वहीं, दक्षिण गुजरात की 28 में से 22 सीटें अकेले भाजपा के खाते में गई थीं। इस इलाके में कांग्रेस सबसे ज्यादा कमजोर रही थी। दक्षिण गुजरात और अहमदाबाद, वडोदरा जैसे बड़े जिलों में जीत की वहज से ही भाजपा सत्ता में लौटने में सफल रही।
कितने जिलों में भाजपा ने बढ़त बनाई और कितने में कांग्रेस रही आगे?
गुजरात में कुल 33 जिले हैं। इन जिलों में अहमदाबाद में सबसे ज्यादा 21, सूरत में 16 और वडोदरा में 10 सीटें हैं। इन तीनों बड़े जिलों में भाजपा को एक तरफा जीत मिली थी। अहमदाबाद की 21 में से 15, सूरत की 16 में से 15 और वडोदरा की 10 में से आठ सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। इस तरह से 33 में से केवल इन्हीं तीन जिलों में ही भाजपा 38 सीटें जीतने में सफल रही।
अगर, नौ सीट वाले बनासकांठा और आठ सीट वाले राजकोट को भी जोड़ लें तो पांच सबसे ज्यादा सीटों वाले जिलों में भाजपा को 47 सीटें मिली थीं। इन जिलों की कुल 64 में से केवल 16 सीट ही कांग्रेस जीत सकी। कुल 33 में 13 जिलों में भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मिलीं। वहीं, 15 जिलों में कांग्रेस की सीटें भाजपा से ज्यादा थीं। पांच जिले ऐसे थे जहां दोनों पार्टियों की सीटें बराबर थीं।
क्या ऐसा भी कोई जिला था जहां भाजपा या कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली?
दोनों पार्टियों का कई जिलों में खाता तक नहीं खुला। कुल सात जिले ऐसे थे जहां भाजपा खाता भी नहीं खोल सकी। इनमें अमरेली, नर्मदा, डांग्स, तापी, अरावली, मोरबी और गिर सोमनाथ जिले शामिल थे। वहीं, दो जिले ऐसे थे जहां 2017 में कांग्रेस का खाता नहीं खुल सका था। इनमें पंच महल और पोरबंदर जिला शामिल था।