मोरबी I गुजरात के मोरबी में रविवार शाम करीब 7 बजे केबल सस्पेंशन ब्रिज टूटने से करीब 400 लोग मच्छु नदी में गिर गए। मोरबी के पूर्व भाजपा विधायक कांति अमृतिया ने दावा किया है कि हादसे में अब तक 60 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं। इनमें 10 से ज्यादा बच्चे भी शामिल हैं। हालांकि, आधिकारिक तौर पर मौतों का आंकड़ा नहीं बताया गया है।
बता दें कि यह पुल पिछले 6 महीने से बंद था। हाल ही में करीब 2 करोड़ रुपए की लागत से इसके मरम्मत का काम पूरा किया गया था। दिवाली के एक दिन बाद यानी 25 अक्टूबर को इसे आम लोगों के लिए खोला गया था। जिला प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर (02822243300) जारी किया है।
PM मोदी ने की CM पटेल से बात की
हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है। उन्होंने CM भूपेंद्र पटेल से घटना की जानकारी ली और मृतकों के आश्रितों को दो लाख और घायलों को 50 हजार रुपए की सहायता देने का ऐलान किया है। CM पटेल ने बताया कि राहत और बचाव कार्य जारी है। तत्काल उपचार की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। मैं जिला प्रशासन के लगातार संपर्क में हूं।
जानिए केबल ब्रिज का क्या है इतिहास?
वहीं, केबल ब्रिज के इतिहास पर नजर डालें तो इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी, 1879 को मुंबई के गवर्नर श्री रिचर्ड टेम्पल ने किया था. यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से 1880 में बनकर तैयार हुआ था. इस समय पुल बनाने का सामान इंग्लैंड से आया था. यह पुल दरबारगढ़ को नजरबाग से जोड़ने के लिए बनाया गया था. हालांकि,अब यह लटकता हुआ कुंड महाप्रभुजी के आसन और पूरे समाकांठा क्षेत्र को जोड़ता है. मोरबी का यह केबल ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसकी लंबाई करीब 765 फीट है. यह केबल ब्रिज गुजरात के मोरबी ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है.