बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 6 पटवारियों का ट्रांसफर दूसरे जिलों में करने के आदेश पर रोक लगा दिया है। इसके साथ ही राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव और अवर सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि, पटवारियों के स्थानांतरण कलेक्टर ही कर सकता है। क्योंकि, वही उनके नियुक्तिकर्ता अधिकारी हैं।
बिलासपुर के मोपका पटवारी हल्का नंबर 29 में पदस्थ पटवारी आलोक तिवारी का ट्रांसफर राज्य शासन ने गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के कलेक्ट्रेट में भू-अभिलेख शाखा में कर दिया गया है। इसी तरह अन्य पटवारी सूरज दुबे, फिरोज आलम, राजेंद्र साहू, राकेश कुमार पांडेय और उत्तम चंद्राकर का भी स्थानांतरण दूसरे जिलों में किया गया है। इस संबंध में शासन ने 30 सितंबर को राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अवर सचिव ने आदेश जारी किया है।
ट्रांसफर आदेश के खिलाफ लगाई है याचिका
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से याचिकाकर्ता पटवारियों का दूसरे जिलों में तबादला करने के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। एडवोकेट मतीन सिद्दीकी, संदीप सिंह और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि पटवारियों की नियुक्तिकर्ता अधिकारी कलेक्टर हैं और उनका स्थानांतरण करने का अधिकार कलेक्टर को है। याचिकाकर्ताओं का दूसरे जिले में ट्रांसफर करने से उनकी वरिष्ठता प्रभावित होगी और वे सीनियर होते हुए भी जूनियर हो जाएंगे।
हाईकोर्ट ने ट्रांसफर पर लगाई रोक और नोटिस जारी कर मांगा जवाब
याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने तर्क दिया है कि भू-राजस्व संहिता की धारा 104 में पटवारियों की नियुक्ति और सेवाओं का अधिकार कलेक्टर को दिया गया है। ऐसे ही राजस्व पुस्तक परिपत्र के खंड 5 की कंडिका 16 के संशोधित आदेश में पटवारियों को उनके जिले के भीतर स्थानांतरण करने का अधिकार कलेक्टर को ही दिया है। लेकिन, पटवारियों का तबादला नियमों को दरकिनार कर प्रदेश स्तर पर किया गया है, जो अवैधानिक है। इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के जस्टिस पीपी साहू की बेंच में हुई। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के स्थानांतरण आदेश पर रोक लगाते हुए राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव और अवर सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।