छत्तीसगढ़ः भूपेश कैबिनेट ने मनोज मंडावी को दी श्रद्धांजलि, हितग्राहियों को 1866 करोड़ का भुगतान;आदिवासी आरक्षण पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का प्रस्ताव 

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट की बैठक हो रही है। कैबिनेट में मनोज मंडावी को श्रद्धांजलि दी गई है। कैबिनेट बैठक से पहले सभी मंत्रियों ने दो मिनट का मौन रखा। इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि,एक बहुत अच्छा साथी हमने खोया है, मनोज मंडावी का सामाजिक क्षेत्र में बड़ा योगदान है।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हितग्राहियों को किया 1866 करोड़ रूपये का भुगतान किया है। कैबिनेट में आदिवासी समाज का आरक्षण बचाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का प्रस्ताव है।

दिवाली से पहले किसानों को बड़ा उपहार
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हितग्राहियों को किया 1866 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। यह भुगतान राजीव किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना तथा राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के हितग्राहियों को किया गया है। अरहर, मूंग एवं उड़द की फसलों की बुआई करने वाले किसानों के हित में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा निर्णय लेते हुए कहा है कि, धान खरीदी के बाद अब समर्थन मूल्य में अरहर, मूंग एवं उड़द भी छत्तीसगढ़ सरकार खरीदेगी। अरहर एवं उड़द की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य 6600 रूपए प्रति क्विंटल और मूंग फसल की फसल 7755 रूपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदी होगी।

बताया जा रहा है, इस बैठक में आरक्षण पर बिलासपुर उच्च न्यायालय का फैसला ही चर्चा का केंद्र रहने वाला है। सरकार इस मामले में कोई महत्वपूर्ण फैसला ले सकती है। इसके अलावा सरकार से जुड़े कई प्रस्तावों पर चर्चा होनी है। कैबिनेट में विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी के निधन पर शोक भी जताया गया।

कैबिनेट में मौजूद सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू

कैबिनेट में मौजूद सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू

आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने पिछले सप्ताह इसकी जानकारी दी थी। उनका कहना था, हमारी सरकार इस मामले को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी कर रही हैं। इस मामले को 17 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक में भी रखेंगे। कवासी लखमा ने कहा, आरक्षण मामले को भाजपा ने अच्छी तरीके से कोर्ट में नहीं रखा। इसकी वजह से आदिवासी समाज को नुकसान हुआ है। हमारी सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को अच्छे वकीलों के माध्यम से रखेगी। अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वकील अब इस मामले पर सरकार का पक्ष रखेंगे। आबकारी मंत्री ने कहा, हम भी चाहते हैं कि आदिवासी समाज को 32% आरक्षण मिले, ताकि बस्तर और सरगुजा का आदिवासी समाज विकास के पथ पर आगे बढ़े।

इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी आबादी के अनुपात में आरक्षण देने की बात करते रहे हैं। उन्होंने कहा है, कांग्रेस आबादी के अनुपात में आरक्षण की पक्षधर है। हम चाहते हैं कि संविधान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समाज को जो अधिकार मिला हुआ है वह बना रहे। यही नहीं पिछड़ा वर्गों के लिए मंडल आयोग ने जो सिफारिशें की हैं वह भी मिले और संसद ने सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण की जो व्यवस्था की है वह भी लागू रहे। बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले के बाद इसे किस तरह किया जाए उसपर मंथन जारी है।

आदिवासी समाज सड़कों पर है

आरक्षण पर उच्च न्यायालय के फैसले के बाद आदिवासी समाज में भारी बेचैनी है। इसको लेकर सर्व आदिवासी समाज और उनसे जुड़े संगठन लगातार सड़कों पर है। कई जिलों में प्रदर्शन और चक्का जाम हुए हैं। सर्व आदिवासी समाज के भारत सिंह धड़े ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर अध्यादेश लाकर 32% आरक्षण देने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि सरकार आरक्षण बचाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।

राजनीतिक हमले का सामना कर रही है कांग्रेस

2018 के चुनाव में कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत बस्तर और सरगुजा संभाग के आदिवासी बहुल सीटों पर हुई है। इन्हीं वोटरों के दम पर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में भी दो सीटें जीत पाई। आरक्षण मामले में अदालत में सरकार की हार ने प्रदेश की राजनीति को भी गर्म कर दिया है। प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने कांग्रेस और राज्य सरकार पर राजनीतिक हमला तेज कर दिया है।पिछले दिनों भाजपा ने राजभवन तक मार्च कर 32% आरक्षण बहाल करने की मांग की थी।

आरक्षण मामले में अब तक क्या हुआ है

राज्य सरकार ने 2012 आरक्षण के अनुपात में बदलाव किया था। इसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग का आरक्षण 32% कर दिया गया। वहीं अनुसूचित जाति का आरक्षण 12% किया गया। इस कानून को गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। बाद में कई और याचिकाएं दाखिल हुईं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 19 सितम्बर को इसपर फैसला सुनाते हुये राज्य के लोक सेवा आरक्षण अधिनियम को रद्द कर दिया। इसकी वजह से आरक्षण की व्यवस्था खत्म होने की स्थिति पैदा हो गई है। शिक्षण संस्थाओं में भी आरक्षण खत्म हो गया है। भर्ती परीक्षाओं का परिणाम रोक दिया गया है। वहीं कॉलेजों में काउंसलिंग नहीं हो पा रही है।