छत्तीसगढ़ः संस्कृत में फेसबुक को कहते हैं मुखपृष्ठम, राजधानी में जुटे विद्वान, बताया रोजमर्रा की बोलचाल में कैसे करें इस भाषा का प्रयोग 

रायपुर। राजधानी के वृंदावन हॉल में शनिवार को संस्कृत सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बोरियाकला शंकराचार्य आश्रम के प्रमुख डा.इंदुभवानंद बतौर मुख्यअतिथि शामिल हुए। यहां समग्र ब्राह्मण परिषद ने संस्कृत के धुरंधरों और प्रकाण्ड विद्वानों को भी बुलाया। छोटे बच्चों ने संस्कृत के कठिन श्लोकों को सुनाकर उसका अर्थ भी बतलाया।

कार्यक्रम में आए भाषा विशेषज्ञों में से संस्कृत भारतीय संगठन के प्रांत सचिव डॉ. दादू भाई त्रिपाठी ने रोजमर्रा के शब्दों का संस्कृत अनुवाद बताया। इन रोचक शब्दों को सुनकर कार्यक्रम में आए लोग भी हैरान हुए। जैसे सोशल मीडिया के शब्द लाइक को रुचिकरः, इष्ट:, शेयर को प्रदानम्, प्रसारणम्। ईयरफ़ोन-श्रवणयंत्रम् , ड्रैगनफ्रूट-शुष्कफलम्, मोबाइल-जंगमदुरवाणी/दूरभाषं, फेसबुक-मुखपृष्ठम्, और कंप्यूटर-संगणकयंत्रम् कहा जाता है।

14 डिग्रियां लेने वाली प्रीति को वर्ल्ड रिकॉर्ड भी
संस्कृत में भी मास्टर डिग्री करने वाले प्रीति रानी तिवारी को यहां वर्ल्ड रिकॉर्ड दिया गया। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में प्रीति के नाम प्रदेश की सबसे ज्यादा 14 डिग्रियां हासिल करने का रिकॉर्ड दर्ज हुआ है। इसमें 10 पोस्ट ग्रैजुएशन और 4 ग्रैजुएशन डिग्रियां हैं। 7 कोर्सेस में इन्होने डिप्लोमा भी किया है। प्रिती ने 5 आर्ट्स के सब्जेक्ट में मास्टर के साथ MSC, MSW, MCA, बी.लिब, एम.लिब और वकालत की पढ़ाई की है। प्रीति अब क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई करना चाहती है। जिसमें हल्बी,गोंडी जैसी बोली में उन्हें रुचि है।

संस्कृत भाषा की स्कूलों में पढ़ाई हो- डॉ. दादू त्रिपाठी
संस्कृत भारतीय संगठन के प्रांत सचिव डॉ. दादू भाई त्रिपाठी ने कहा कि सरकार को संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए आत्मानंद अंग्रेजी स्कूलों के जैसे संस्कृत भाषा में भी फोकस करना चाहिए। जिससे भारतीय संस्कृति में आज का युवा भी इस भाषा को समझकर जीवन में उपयोग करें।

संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी-डा.इंदुभवानंद
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा.इंदुभवानंद ने कहा देववाणी के रूप में संस्कृत भाषा का जन्म मनुष्यों से नही बल्कि देवताओं ने हुआ है। ये हमारे भारत की पहचान है। ये बिना गलतियों के एक शुद्ध भाषा है।