रतनपुरः माता के दरबार में भक्तों का सैलाब, 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़,देवी गीतों की धुन पर थिरके युवा; स्वागत के लिए जगह-जगह स्टॉल 

रतनपुर। देश के 51 शक्तिपीठों में से एक आदिशक्ति महामाया देवी का दर्शन करने के लिए महासप्तमी की रात श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली। रतनपुर जाने वाले पदयात्रियों की भीड़ रविवार देर शाम से ही जुटने लगी थी। पदयात्रियों के साथ ही बाइक और चार पहिया वाहन में भी सवार होकर लोग रतनपुर पहुंचे। देर रात तक रतनपुर मार्ग पर मेले जैसा नजारा दिखाई दे रहा था। मंदिर परिसर में देवी दर्शन करने के लिए लंबी कतार में लगे श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह सात बजे तक इंतजार करते रहे। बताया जा रहा है कि महासप्तमी पर यहां पांच लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे।

महासप्तमी पर रविवार को रतनपुर जाने वाले पदयात्रियों की भीड़ देखते ही बन रही थी। कोरोना काल के दो साल बाद शारदीय नवरात्र पर्व पर इतनी बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी। देर शाम से ही शहर और आसपास के पदयात्री जय माता दी के नारे लगाते नंगे पाव चलते नजर आए। जैसे-जैसे रात होती गई, पदयात्रियों के साथ ही बाइक और कार सवार लोगों की भीड़ नजर आने लगी। सरकंडा के हुंडई चौक से लेकर रतनपुर तक श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए जगह-जगह स्टॉल भी लगाए गए थे। सुबह होते तक श्रद्धालु महामाया देवी दर्शन के लिए पहुंचते रहे।

सड़कों पर उमड़ी भीड़।

सड़कों पर उमड़ी भीड़।

जगह-जगह स्टॉल, जगराता भी चलता रहा
सरकंडा से लेकर रतनपुर तक जगह-जगह श्रद्धालुओं का स्वागत करने और प्रसाद वितरण करने के लिए स्टॉल लगाए गए थे, जहां डीजे की धुन पर जस गीत और देवी गीतों की धुन पर युवक थिरकते भी नजर आए। 50 से अधिक स्टॉलों में पदयात्रियों को फल, खिचड़ी, पेयजल सहित प्रसाद वितरण किया जा रहा था। वहीं, कोनी से सेंदरी सहित जगह-जगह जगराता भी चलता रहा।

40 साल से चल रही पदयात्रा की परंपरा
नवरात्र पर्व पर पदयात्रा कर रतनपुर पहुंचने की परंपरा 1980 में शुरू हुई थी। शुरूआत में गिने-चुने लोग ही पदयात्रा कर महामाया देवी का दर्शन करते थे। इसके बाद से धीरे-धीरे कर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई और महासप्तमी पर पदयात्रा करने का सिलसिला शुरू हुआ। अब यह परंपरा आस्था का रूप ले चुका है। ऐसी मान्यता है कि सप्तमी के दिन महामाया देवी का दर्शन करने से लोगों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

महामाया मंदिर के गेट पर भक्तों की भीड़।

महामाया मंदिर के गेट पर भक्तों की भीड़।

मन्नत लेकर जमीन में लेट-लेट कर पहुंचते हैं भक्त
नवरात्र पर्व की महासप्तमी पर भक्त नंगे पांव पदयात्रा करते हैं। वहीं, कई भक्त अपनी मन्नत लेकर जमीन पर लेट-लेट कर रतनपुर पहुंचते हैं और महामाया देवी से मन्नत मांगते हैं। कई भक्त मन्नत पूरी होने के बाद इस तरह की यात्रा करते हैं। शक्तिपीठ महामाया देवी ऐसे भक्तों की मनोकामना भी पूरी करते हैं। यही वजह है कि हर साल नवरात्र पर्व पर यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।

आज अठवाही का लगेगा भोग
महामाया देवी में अष्टमी पर्व पर सोमवार को विशेष-पूजा आराधना होगी। इस दिन देवी मां को अठवाही का भोग लगाया जाएगा। इस दौरान अष्टमी पर हवन भी होगा। इसके बाद माता का वस्त्र बदला जाएगा। 9वें दिन माता का राजश्री श्रृंगार होगा। माता को नया वस्त्र पहनाया जाएगा। 4 किलो सोने के गहनों से माता का श्रृंगार होगा।

पुलिस भी रही तैनात, लगातार करते रहे पेट्रोलिंग
सप्तमी पर्व पर रतनपुर मार्ग में भारी वाहनों को प्रतिबंधित किया गया था। रविवार दोपहर से सोमवार की सुबह 10 बजे पदयात्रा समाप्ति तक इस मार्ग में सभी प्रकार के भारी वाहनों को रोक दिया गया था। भारी वाहनों के लिए यातायात पुलिस ने परिवर्तित मार्ग की व्यवस्था की थी। रविवार की शाम से पुलिस की टीम अलग-अलग पेट्रोलिंग वाहन पर सरकंडा से लेकर रतनपुर तक यातायात व्यवस्था बनाने और पदयात्रियों की सुरक्षा के लिए तैनात रहे। वहीं, रतनपुर में भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।