रायपुर। छत्तीसगढ़ में सामान्य रहा मानसून अब तक बरस रहा है। जून की पहली बारिश से सितम्बर के आखिरी सप्ताह के बीच प्रदेश के छोटे-बड़ें बांधों के जलाशयों में करीब 90% जलभराव हो चुका है। पानी के इस भंडार ने अगले सीजन की चिंता खत्म कर दी है। प्रदेश के 12 बड़े जलाशयों में से 9 में 90% से 100% तक जलभराव की स्थिति है। बिलासपुर के अरपा भैंसाझार, महासमुंद के कोड़ार और कोरबा के मिनीमाता बांगो जलाशय में ही पिछले कुछ वर्षों की तुलना में कम पानी है।
जल संसाधन विभाग के मुताबिक प्रदेश के 12 बड़े जलाशयों में 4756.670 मिलियन घन मीटर पानी इकट्ठा हो चुका है। यह इन बांधों की कुल भराव क्षमता का करीब 88.81% है। यह पानी पिछले दो वर्षों की तुलना में कहीं ज्यादा ही है। बड़े बांधों में सबसे अधिक 2445.57 मिलियन घन मीटर पानी कोरबा में हसदेव नदी पर बने मिनीमाता बांगो जलाशय में है। यह इस जलाशय की क्षमता का केवल 84.5% ही है।
धमतरी में महानदी पर बने रविशंकर सागर जलाशय में 715.99 मीलियन घन मीटर पानी है। यह जलाशय की क्षमता का 93.35% है। इस बांध के गेट खुले हुए हैं, जिससे नहरों में भी पानी जा रहा है। गरियाबंद में पैरी नदी पर बने सिकासार जलाशय, बिलासपुर के खारंग जलाशय और मुंगेली के मनियारी जलाशय में 100% तक जलभराव की स्थिति है। यह पिछले दो सालों की अपेक्षा काफी बेहतर स्थिति में दिख रहा है।
बरसात का अतिरिक्त पानी निकालने के लिए अधिकतर बांधों के गेट खोल दिए गए हैं।
महासमुंद के कोडार जलाशय में 66.48% पानी है। यह पिछले साल की तुलना में बेहतर जलभराव बताया जा रहा है। सबसे कम पानी बिलासपुर में अरपा नदी पर बने अरपा-भैंसाझार जलाशय में है। इसमें केवल 6.96 मीलियन घन मीटर पानी का भराव हो पाया है। यह जलाशय की कुल क्षमता का केवल 42.42% है। पिछले साल 28 सितम्बर तक यह जलाशय 54.48% तक भर चुका था।
वहीं 2020 में इसी तारीख तक बांध में 92.27% तक जलभराव हो चुका था। जल संसाधन विभाग के अफसरों का कहना है, इस बार नदी-नालों के कैचमेंट क्षेत्र में बेहतर बरसात हुई है। इसकी वजह से जलाशयों की क्षमता का अधिकतर हिस्सा बहुत पहले ही भर गया। कई बांधों से अतिरिक्त पानी को निकालने के लिए गेट खोलना पड़ा था। इसकी वजह से बहुत सारा पानी बह गया। अभी भी जो पानी बचा है वह पूरी सर्दी और गर्मी के मौसम में सिंचाई, पेयजल और निस्तारी की जरूरत पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा।
बांध लबालब होने से उनके पार से होकर पानी बाहर जा रहा है।
हमारे बड़े जलाशयों में पानी ही पानी
जलाशय – जलभराव – क्षमता का कितना प्रतिशत
मिनीमाता बांगो – 2445.57 – 84.5
रविशंकर सागर – 715.99 – 93.35
तांदुला – 283.08 – 93.64
दुधावा – 281.11 – 98.94
सिकासार – 202.11 – 100
खारंग – 192.32 – 100
सोंढुर – 164.11 – 91.17
मुरुमसिल्ली – 160.35 – 98.98
कोड़ार – 99.05 – 66.48
मनियारी – 147.72 – 100
केलाे – 58.30 – 94.11
अरपा-भैसाझार – 6.96 – 42.42
(स्रोत: जल संसाधन विभाग का डेली टैंक गेज रिपोर्ट, जलभराव के आंकड़े मीलियन घन मीटर में।)
मझोले स्तर के 34 बांधों में 93% पानी
12 बड़े जलाशयों के अलावा प्रदेश भर में फैले 34 मझोले स्तर के जलाशयों में 936.710 मीलियन घन मीटर पानी भर चुका है। यह इन जलाशयों की क्षमता का 93% है। पिछले दो सालों में इन बांधों में अधिकतम 86% ही जलभराव हो पाया था। इन 34 में से 10 में 100% जलभराव है। इनमें बालोद का खरखरा, बस्तर का कोसारटेडा, कांकेर का परालकोट, कबीरधाम का छीरपानी, राजनांदगांव का पिपरिया नाला, मोगरा बैराज और रायगढ़ जिले का खमारपाकुट शामिल है।
मझोले जलाशयों में यहां सबसे कम पानी
रायपुर जिला स्थित कुम्हारी जलाशय और सरगुजा के बांकी सिंचाई जलाशय में सबसे कम पानी है। कुम्हारी जलाशय में 28 सितम्बर को केवल 32.78% पानी था। वहीं सरगुजा के बांकी जलाशय में 32.28% ही जलभराव हो पाया था। रायपुर के पेण्ड्रावन जलाशय में भी केवल 70% पानी इकट्ठा हो पाया है। यह पिछले साल से अधिक लेकिन 2020 के जलभराव के मुकाबले बेहद कम है। कुम्हारी जलाशय रायपुर और बलौदा बाजार-भाटापारा जिले की सिंचाई जरूरतों को पूरा करता है। सरगुजा का बांकी जलाशय भी सिंचाई का पानी उपलब्ध कराता है।
कुछ देर के लिए ऐसी भी बरसात हुई।
प्रदेश भर में 1255 मिमी बरसात हो चुकी
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में एक जून से 28 सितम्बर की सुबह तक औसतन 1255 मिलीमीटर पानी बरस चुका है। यह पिछले 10 सालों के औसत सामान्य बरसात 1135 मिलीमीटर से 11% अधिक है। इनमें से 13 जिलों में सामान्य से अधिक पानी बरसा है। बीजापुर में तो सामान्य से 91% अधिक बरसात हो चुकी है। वहीं 15 जिलों में सामान्य बरसात बताई जा रही है। वहीं पांच जिलों में सामान्य से कम पानी बरसा है। इसमें मध्य क्षेत्र का केवल एक जिला बेमेतरा शामिल है। शेष चार जिले सरगुजा संभाग के हैं। सरगुजा जिले में ही सामान्य से 48% कम बरसात दर्ज हुई है। कम बरसात की वजह से उन इलाकों में फसलों को नुकसान हुआ है।