छत्तीसगढ़ः अधिकारी-कर्मचारियों की दोबारा हड़ताल के पहले दो फाड़, 38 संगठनों ने हड़ताल से वापस लिया नाम

रायपुर । गृहभाड़ा भत्ता और महंगाई भत्ते को लेकर प्रदेश स्तरीय हड़ताल को लेकर कर्मचारी-अधिकारी संगठनों में दो फाड़ हो चुका है। हड़ताल में कुछ संगठन शामिल होंगे, लेकिन ज्यादातर संगठनों ने नाम वापस ले लिया है। रविवार देर रात तक हड़ताल में शामिल होने या नहीं होने को लेकर संशय की स्थिति बनी रही। इसी बीच छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी महासंघ से संबद्ध 38 संगठनों ने हड़ताल से नाम वापस ले लिया है।

इससे पहले छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन ने 22 अगस्त से लंबित मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान किया था, जिसके बाद से हड़ताल में शामिल होने या नहीं होने को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही थी। रविवार शाम को फेडरेशन से संबद्ध कई संगठनों द्वारा मुख्यमंत्री निवास आने-जाने की भी जानकारी मिली। इन संगठनों ने भी हड़ताल से नाम वापस ले लिया है।

अधिकारी-कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय प्रवक्ता संजय तिवारी ने बताया कि 22 अगस्त से प्रस्तावित अनिश्चितकालीन हड़ताल में महासंघ के जुड़े 38 संगठन शामिल नहीं होंगे। इन संगठनों के लगभग 1.75 लाख कर्मचारी हड़ताल से अलग रहेंगे, वहीं छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने कहा कि 22 अगस्त से हड़ताल को कई संगठनों ने समर्थन दिया है। उल्लेखनीय है कि बीते महीने भी हड़ताल में हजारों की संख्या में कर्मचारी-अधिकारी शामिल हुए थे।

कर्मचारियों को मिलेगी सुविधा 

छत्तीसगढ़ शासकीय लघु वेतन कर्मचारी संघ आंदोलन से पृथक रहेगा। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रिया साहू के नेतृत्व में पदाधिकारियों ने रविवार को मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र कर्मचारियों की भांति आने वाले दिनों में महंगाई भत्ता दिया जाएगा, साथ ही वित्त विभाग के परीक्षण के बाद गृहभाड़ा भत्ता देने का आश्वासन दिया गया। लिपिक संघ ने भी हड़ताल से किनारा कर लिया है। लिपिक वेतनमान सुधार की घोषणा लागू करने पर मुख्यमंत्री से सहमति बनने के बाद संघ ने हड़ताल से नाम वापस ले लिया है।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात के पश्चात संघ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित तिवारी ने प्रदेश के लिपिकों से आह्वान किया है कि मुख्यमंत्री जी ने लिपिक वेतनमान सुधार की घोषणा पर सहमति व्यक्त की है अतः लिपिकों का भी दायित्व है कि मुख्यमंत्री जी पर विश्वास रखें।

मुख्यमंत्री ने दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर भी शीघ्र आदेश जारी करने का भरोसा दिलाया। मुलाकात के दौरान संगठन के प्रदेशाध्यक्ष पीआर साहू ने अपील की है कि संगठन के सदस्य हड़ताल में शामिल न हों।

मुख्यमंत्री से आश्वासन के बाद नाम वापस लिया 

महासंघ के प्रांतीय प्रवक्ता ने बताया कि विभिन्न जिलों से यह सूचना प्राप्त हो रही है कि अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के पदाधिकारी विभिन्न जिलों में यह गुमराह कर रहे हैं कि महासंघ के संयोजक अनिल शुक्ला द्वारा हड़ताल को नैतिक समर्थन दिया गया है।जबकि वस्तु स्थिति यह है कि फेडरेशन द्वारा 25 से 29 जुलाई तक आयोजित हड़ताल को नैतिक समर्थन दिया था। महासंघ के प्रांतीय महासचिव ओपी शर्मा एवं मंत्रालयीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष महेंद्र सिंह राजपूत ने कहा कि मुख्यमंत्री से प्राप्त आश्वासन एवं मुख्य सचिव से चर्चा करने के बाद नाम वापस लिया गया है। 

शिक्षक नहीं रहेंगे शामिल 

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा, शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे, नवीन शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विकास राजपूत ने बताया कि 22 अगस्त के अनिश्चितकालीन आंदोलन में शिक्षक संवर्ग हड़ताल में शामिल नहीं होगा, क्योंकि हजारों शिक्षकों ने हड़ताल की सूचना स्कूलों में नहीं दी है।हड़ताल का हम भी नैतिक समर्थन करते हैं।

शिक्षक संवर्ग द्वारा डीए व एचआरए के लिए 25 जुलाई से किए गए अनिश्चितकालीन आंदोलन के दौरान फेडरेशन ने अपने हड़ताल को निश्चितकालीन मानकर आगे नहीं बढ़ाया, जिससे अब मात्र 6 प्रतिशत डीए जारी हुआ। फेडरेशन की बड़ी चूक यही थी कि कर्मचारियों की भावना अनुरूप समय पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय नहीं लिया गया और अंतत: कर्मचारियों का बड़ा नुकसान हो गया।

फेडरेशन ने शिक्षकों के प्रथम नियुक्ति तिथि से पेंशन, वेतन विसंगति, क्रमोन्नित, पदोन्नित के विषय को शामिल न कर अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण व रसोइया संघ के मांगाों को शामिल किया, इसलिए भी फेडरेशन के आंदोलन से शिक्षक संवर्ग ने किनारा करने का निर्णय लिया है।

फेडरेशन प्रमुख ने 22 अगस्त से हड़ताल में शामिल होने उनसे चर्चा भी नहीं की है और न ही निष्पक्ष बैनर, सामूहिक नेतृत्व व समान भूमिका की हड़ताल में स्थिति निर्मित की है। ऐसे में छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन, शालेय शिक्षक संघ, नवीन शिक्षक संघ हड़ताल से पृथक हैं।