रायपुर। छत्तीसगढ़ में शुक्रवार यानी आज से शहरी गार्डन ‘कृष्ण कुंज’ की शुरुआत होगी। प्रदेश भर में ऐसे 162 कुंज विकसित किए जाने हैं। यहां सांस्कृतिक-धार्मिक महत्व के पेड़-पौधों को लगाया जाना है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजधानी रायपुर के तेलीबांधा में ऐसे ही एक बाग में पौधा रोपकर इसकी औपचारिक शुरुआत करेंगे। इसके लिए दोपहर 12 बजे के बाद का समय तय किया गया है।
कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री ने इस योजना की घोषणा की थी। उस समय इसकी शुरुआत के लिए जन्माष्टमी की तिथि तय हुई थी। इस अवसर पर कृष्ण कुंज में बरगद, पीपल, कदंब जैसे सांस्कृतिक महत्व के और जीवनोपयोगी आम, इमली, बेर, गंगा इमली, जामुन, गंगा बेर, शहतूत, तेंदू ,चिरौंजी, अनार, कैथा, नीम, गुलर, पलास, अमरूद, सीताफल, बेल, आंवला के पौधों का रोपण किया जाएगा।
वन विभाग ने प्रदेश में सभी कृष्ण कुंज के लिए एक जैसे गेट का डिजाइन तैयार किया है।
मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों को ’कृष्ण-कुंज’ विकसित करने के लिए वन विभाग को न्यूनतम एक एकड़ भूमि का आबंटन करने के निर्देश दिए थे। अब तक राज्य के 162 स्थलों को ’कृष्ण कुंज’ के लिए चिह्नांकित कर लिया गया है। कृष्ण कुंज को विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए सभी निकायों में एकरूपता प्रदर्शित करने हेतु वन विभाग द्वारा बाउंड्रीवाल गेट पर लोगो का डिजाइन एक समान तैयार किया गया है।
सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की कोशिश बता रही सरकार
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ‘कृष्ण-कुंज’ योजना के उद्देश्यों को लेकर कहा है, ‘पौध रोपण को जन-जन से जोड़ने, अपने सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और उन्हें विशिष्ट पहचान देने के लिए इसका नाम ‘कृष्ण-कुंज’ रखा गया है। विगत वर्षों में शहरीकरण की वजह से हो रही अंधाधुंध पेड़ों की कटाई से इन पेड़ों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है। आने वाली पीढ़ियों को इन पेड़ों के महत्व से जोड़ने के लिए पहल की जा रही है।
वन विभाग ने शहरों में कृष्ण कुंज के लिए गुरुवार को ही तैयारियां पूरी की।
रायपुर जिले में ही 10 छोटे-बड़े शहरों में कृष्ण कुंज
अधिकारियों ने बताया, रायपुर जिले के 10 नगरीय निकाय कुर्रा, खरोरा, बिरगांव, अटारी, तेलीबांधा, आरंग, चंदखुरी, कुरुद समोदा, उरला में कृष्ण-कुंज के लिए जमीन चिन्हित कर ली गई है। गरियाबंद जिले के 3, महासमुंद के 6, गौरेला पेंड्रा जिले के 2, कोरिया जिले के 7, कोंडागांव जिले के 3, दंतेवाड़ा जिले के 4, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर के एक-एक स्थलों के साथ कुल 162 चिन्हित जगहों पर जन्माष्टमी पर पौधों का रोपण किया जाएगा।