RSS ने सोशल मीडिया प्रोफाइल्स में तिरंगा लगाया: ट्विटर, फेसबुक से भगवा ध्वज को हटाया; मोहन भागवत ने भी बदली अपनी डीपी 

नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले शुक्रवार को अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स की प्रोफाइल पिक्चर बदल दी। भगवा ध्वज को हटाकर तिरंगा लगा दिया।

इस खबर की चर्चा इसलिए हो रही है कि RSS ने ऐसा पहली बार किया। केंद्र सरकार के हर घर तिरंगा अभियान के बाद विपक्ष लगातार संघ पर हमलावर था। RSS प्रमुख मोहन भागवत और संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने भी अपनी DP में राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगा लगा लिया है।

RSS प्रचार विभाग के सह प्रभारी नरेंद्र ठाकुर ने कहा, ‘संघ अपने सभी कार्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज फहराकर स्वतंत्रता दिवस मना रहा है।’ भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने की खुशी में सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है।

PM मोदी ने की थी DP बदलने की अपील
मन की बात के 91वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृत महोत्सव के तहत 13 अगस्त से लेकर 15 अगस्त तक घरों पर तिरंगा झंड़ा फहराने और अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर तिरंगा लगाने की अपील की थी। उसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी प्रोफाइल फोटो में तिरंगा लगाया है।

विपक्ष कर रहा था आलोचना
RSS द्वारा अपने ऑफिशियल हैंडल पर भगवा ध्वज हटाकर तिरंगे की DP न लगाने को लेकर विपक्षी दल उसकी आलोचना कर रहे थे। सवाल किया जा रहा था कि RSS और उसके नेता कब DP में तिरंगा लगाएंगे।

कांग्रेस के नेशनल मीडिया इंचार्ज जयराम रमेश ने कहा था कि क्या संगठन जिसने 52 वर्षों तक नागपुर में अपने मुख्यालय पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया, वह ‘तिरंगा’ को प्रोफाइल बनाने के लिए प्रधानमंत्री के संदेश का पालन करेगा। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा था कि संघ वालों, अब तो तिरंगा को अपना लो।

प्रचार प्रमुख ने राजनीति से दूर रहने के लिए कहा था
इससे पहले RSS के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेडकर ने संघ के सोशल मीडिया अकाउंट पर तिरंगे की तस्वीर नहीं लगाने के लिए हो रही आलोचना का बुधवार को जवाब देते हुए कहा था कि ऐसी चीजों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। RSS पहले ही ‘हर घर तिरंगा’ और ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम को समर्थन दे चुका है।

संघ ने जुलाई में सरकारी और निजी निकायों और संघ से जुड़े संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में लोगों और स्वयंसेवकों के पूर्ण समर्थन और भागीदारी की अपील की थी। अंबेडकर ने कहा था कि इस तरह के मामलों और कार्यक्रमों को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा था- जो पार्टी ऐसे सवाल उठा रही है वह देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार है।